शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

कोतमा विधानसभा के नए दावेदार ,मुन्ना भाई एम.एल.ए.... (त्रिलोकीनाथ)


 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड यह चर्चित शब्द का अविष्कार   सत्ता में आने के बाद उन्होंने किया था किंतु जब मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो रहा था तब 50 करोड़ में विधायक बिकता है बोलो खरीदोगे के अंदाज में सत्ता का बाजार खुल गया था….. संयोग है उसकी शुरुआत इसी अनूपपुर जिले के एक विधायक से हुई थी जहां आज मुन्ना भाई  चुनाव लड़ने को बेताब है...

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“ईमानदारी ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है” कोतमा विधानसभा से डॉक्टर मदन कुमार त्रिपाठीउर्फ मुन्ना भैया का यह संदेश निश्चित तौर पर पूरी ईमानदारी के साथ हाई कोर्ट जबलपुर के आर्डर में दिखता है ..पूरी ईमानदारी के साथ उन्होंने अपने जीवन की कर्तव्यनिष्ठ कृत्य दायित्वों का पालन किया है और उस पर किसी भी किसी को भी शंका नहीं करनी चाहिए…? एक निष्ठावान व्यक्ति की तरह डॉक्टर मदन त्रिपाठी का व्यक्तित्व कटप्पा  की तरह अपने आशाओं के लिए समर्पित रहा है और उसका पुरस्कार उन्हें अपने रिटायरमेंट के कार्यकाल में देने का आश्वासन भी उनके अपनों ने निश्चित तौर पर दिया है. यह अलग बात है कि ठीक चुनाव के पहले वे अथवा उनका आकार किस अलादीन का चिराग होगा, क्योंकि निष्ठा हवा के रुख में बदल जाती हैं.

 भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस से वह कराई कई निष्ठाएं वर्तमान में भाजपा की कर्तव्यनिष्ठा बनकर डंका पीट रही है जो कटप्पा की तरह सत्ता के साथ हमेशा समर्पित होती हैं. अब यह अलग बात है कि सत्ता किसकी होने वाली है…? लोकसभा के सांसद रामदास आठवले  एकमात्र सांसद है जो हवा के रुख को समझकर पूरी ईमानदारी के साथ अपने जीवन की पूंजी समझ करहमेशा सत्ताधारी पार्टी के साथ समर्पित रहे हैं और गाहे-बगाहे लोकसभा में अपने भाषण में निजी जीवन में भी पूरी पारदर्शिता के साथ अपनी ईमानदारी की व्याख्या करने में उन्हें कभी भी शंका नहीं हुई.

 कुछ इसी प्रकार मुन्ना भाई अपने सल्तनत के प्रति समर्पित हैं जीवन की शुरुआत में  मुन्ना भाई एमबीबीएस के आदर्श नायक स्टार्टिंग से ही इस बात पर कमिटेड रहे की किसी भी चीज को हासिल करने के लिए कुछ भी करना सब कुछ जायज है और वह पूरी ईमानदारी के साथ इसे पूरी पारदर्शिता के साथ करते भी रहे. मुन्ना भाई शिक्षा के क्षेत्र में तन मन धन समर्पित करके अपनी शिक्षा को टॉप में रखते थे. जो पूरे सिस्टम के लिए एक पारदर्शी माफिया गिरी था. लेकिन उस माफिया मुन्ना भाई को सब पसंद करते थे क्योंकि मुन्ना भाई सबके पसंदीदा नायक थे.ना जाने कितने  परिवार शिक्षाकर्मी भ्रष्टाचार में लूटपाट गए लुट गए किंतु मुन्ना भाई की मिलनसारता और उसके अनुभव से अब बारी विधानसभा की आ गई है. विधानसभा के चुनाव में ऐसे ही पारदर्शी और योग्य मुन्ना भाई की आवश्यकता है.

 कोतमा विधानसभा सामान्य लोगों के विधानसभा होने के साथ किसी को भी चुनाव जीता देने के लिए अब तक उसी प्रकार से उदाहरण बन गया है जैसे सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र से शबनम मौसी को चुनाव जीता देने के लिए दुनिया में सोहागपुर विधानसभा उदाहरण बनकर विधानसभा क्षेत्र से अलविदा हो गया....

अब मुन्ना भाई को लग रहा है कि उन्हें जनता की सेवा करनी चाहिए. क्योंकि वह उनकी कर्मभूमि है और जनता का दुख उनसे नहीं देखा जा रहा हैऔर पूरी पारदर्शिता के साथ अब उस स्थगन को जो कि उन्हें शहडोल में बने रहने के लिए जरूरी था टिकाए रखने की जरूरत हाईकोर्ट में नहीं रह गई है. इसलिए इस पर हाईकोर्ट से आर्डर कराना एक आवश्यकता थी. ताकि मुन्ना भाई कोतमा विधानसभा चुनाव से जब चुनाव लड़े तब कोई सरकारी  अड़ंगा उनके सामने स्पीड ब्रेकर बन कर न खड़ा हो जाए.  उन्होंने पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ उच्च न्यायालय को के आदेश को सम्मान स्वीकार करने के ईमानदारी दिखाई है, तो उच्च न्यायालय जबलपुर में उनकी ईमानदारी को स्वीकार करते हुए उन्हें अपने मूल विभाग में वापस भेजने का रास्ता खोल दिया है.इस तरह कोतमा विधानसभा चुनाव में  मुन्ना भाई हरी झंडी लेकर बहुत जल्द जमीन में अपना झंडा लहराएगा अब यह उनके विरोधियों के लिए सतर्क हो जाने वाली बात है जिन्हें मुफ्त में विधानसभा चुनाव में विधायकी का रसमलाई खाने को मिला था .

चुकी हम 21वीं सदी की राजनीति में सरवाइव कर रहे हैं और या  जहां दुनिया में “ना खाऊंगा ना खाने दूंगा…” का पर्यायवाची “ अदाणी ” नाम से चर्चित हो   वहीं अब अपनी पूरी जीवन मे निजी तौर पर कटप्पा की तरह ईमानदार रहने वाले डॉक्टर मदन त्रिपाठी अपने इस स्लोगन के साथ पहली बार अवतरित हुए हैं की ईमानदारी ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है और कोतमा विधानसभा में हाथ जोड़कर वे स्वयं को भगवान की अवतार की तरह पेश कर दिए हैं जो बादलों में उतर कर जमीन में उतरने को लोकहित में समर्पित हो जाने को व्यग्र दिख रहा है| हाईकोर्ट का आदेश उसी दिशा में एक शुरुआत है..


तो इस पर चर्चा करते रहेंगे कि इस वैभवशाली व्यक्तित्व का पृष्ठभूमि किस कदर विरासत को लेकर जनता के दरबार में मसीहा बनकर उतरने वाला है
 ऐसा मुन्ना भाई का दावा अखबारों में छपवाया गया है जो इतना पारदर्शी है कि प्रतीत होता है किस शासन और प्रशासन ने इस दावे को अपना समर्थन दिया है और वही मुन्ना भाई को चुनाव लड़ने की खुली छूट दी है अच्छा है अन्य लोगों को भी किसी कलेक्टर अथवा एसपी को भी ऐसी छूट दे दी जाए ताकि अनूपपुर जिले के कलेक्टर या एसपी वहां से चुनाव लड़ सकें, इससे एसपी और कलेक्टर का निजी पैसा खर्च नहीं होगा क्योंकि निर्वाचन अधिकारी आखिर चुनाव जो लड़ेगा ...? यह भी लोकतंत्र में एक प्रयोग कहलाएगा........     (.......जारी भाग 2)


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