रविवार, 26 फ़रवरी 2023

कोतमा विधानसभा के नए दावेदार ,मुन्ना भाई एम.एल.ए....2 (त्रिलोकीनाथ)

अवकाश में भी ऑनलाइन सेवा में समर्पित है मुन्ना भैया ....

 हम 21वीं सदी की राजनीति में सरवाइव कर रहे हैं और  जहां दुनिया में “ना खाऊंगा ना खाने दूंगा…” का पर्यायवाची “अदानी” नाम से चर्चित हो   वहीं अब अपनी पूरी जीवन में निजी तौर पर कटप्पा की तरह ईमानदार रहने वाले डॉक्टर मदन त्रिपाठी अपने इस स्लोगन के साथ पहली बार अवतरित हुए हैं की ईमानदारी ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है और कोतमा विधानसभा में हाथ जोड़कर वे स्वयं को भगवान की अवतार की तरह पेश कर दिए हैं जो बादलों में उतर कर जमीन में उतरने को लोकहित में समर्पित हो जाने को व्यग्र दिख रहा है| हाईकोर्ट का आदेश उसी दिशा में एक शुरुआत है.. तो इस पर चर्चा करते रहेंगे कि इस वैभवशाली व्यक्तित्व का पृष्ठभूमि किस कदर विरासत को लेकर जनता के दरबार में मसीहा बनकर उतरने वाला है ऐसा मुन्ना भाई का दावा अखबारों में छपवाया है. 

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यह अलग बात है की तब जिला पंचायत के सदस्य अध्यक्ष नरेंद्र मरावी ने शहडोल में धरना प्रदर्शन कर मुन्ना भाई के खिलाफ आंदोलन किया था और तब की भारतीय जनता पार्टी सरकार मुन्ना भाई के पक्ष में खड़ी रही. इसके बाद मामला हाईकोर्ट तब पहुंच गया जब मुन्ना भाई को उनके मूल विभाग में वापस भेजने के लिए नरेंद्र मरावी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी और आर्डर भी करा दिया था किंतु  उन्हें हाईकोर्ट से स्थगन दिया था और वह शहडोल में कटप्पा की भांति अपने लोगों के लिए समर्पित रहे. अब इसकी कोई आवश्यकता नहीं, करोड़ों रुपए का डीएमएफ का फंड भी उपयोग कर लिया गया होगा…. आखिर चुनाव में इन सब की आवश्यकता तो पड़ती ही है… और

निष्ठावान लोगों को उन्होंने अपने आशाओं के संरक्षण में तब भी नहीं हटने दिया जब की उन्हें यानी खंड शिक्षा अधिकारियों को स्थानांतरण करके हटा दिया गया था… क्योंकि उन्हें लगा इससे सिस्टम बिगड़ जाएगा .और ईमानदारी से काम करना मुश्किल हो जाएगा|

 किंतु दूसरा पक्ष ऐसा नहीं मानता है उसका कहना है की हाईकोर्ट के सामने वह जिला पंचायत अध्यक्ष


स्वयं खड़े होकर माननीय हाईकोर्ट से कहा कि उन्हें हटा देना चाहिए क्योंकि वह नियम विरुद्ध शहडोल में पड़े हुए हैं..

 इससे क्या फर्क पड़ता है कि मुन्ना भाई शहडोल में रहे या विधानसभा में अथवा शहडोल के डीपीसी रहते हुए विधानसभा चुनाव की तैयारी करें….


वह कहते हैं शासन से जो काम कराती है वह काम करते हैं तो अब शासन ने उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने की छूट दे दी है इसलिए पूरी ईमानदारी के साथ और 
 शासन के कर्मचारी होने के बावजूद उन्हें विधानसभा चुनाव में लड़ने की छूट मिली हुई है…. जिसके वे तन मन धन और पूरी पारदर्शिता यानी प्रचार प्रसार के साथ अपने कर्तव्य निष्ठा को कटप्पा की भांति समर्पित करने को व्यग्र हैं…

 किंतु राजनीति के जानकार कहते हैं की कटप्पा गद्दार है उसने अपने मालिक राजा को तलवार से मार डाला था, क्योंकि कटप्पा तब राजा के लिए समर्पित था और उसकी निष्ठा उसे गद्दारी करने का पूरा अवसर दे दी थी…  अब कटप्पा, मुन्ना भाई के रूप में विधानसभा में कर्तव्य निष्ठा का पालन करने को बेचैन दिख रहे हैं… टिकट फिर चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की यह उसकी नीलामी पर निर्भर होगा… और फिलहाल कटप्पा ने अपनी इमानदारी से इतना धन तो अरजीत ही कर लिया है कि वह भाजपा अथवा कांग्रेस दोनों की टिकट खरीद लेने की हैसियत रखता है….? फिलहाल अनूपपुर जिले के एक विधायक ने इस  विधायक की कीमत 50 करोड़ रुपए तो घोषित ही कर दी थी. तो न्यूनतम बोली अगर मंत्री जी की माने तो विधायक पद के लिए ₹500000000 से तय होगी ऐसा भी मान कर चलना चाहिए …

एक  समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार शहडोल कलेक्टर को इस बात की जानकारी नहीं है कि वह वीआरएस ले रहे हैं बल्कि स्वास्थ्य कारणों के कारण वह छुट्टी पर गए हुए हैं अब इस नई खबर ने प्रशासन को सतर्क होने के लिए पर्याप्त कारण दिए हैं कि उन्होंने याने मुन्ना भाई ने इसी दौरान कई ऑनलाइन भुगतान कर डाले हैं तो सवाल यह है कि इन सब की जांच क्या "ना खाऊंगा ना खाने दूंगा के पर्यायवाची गौतमअदानी  की तरह ही पारदर्शी है और जांच नहीं होगी क्योंकि उन्हें चुनाव लड़ने की छूट जो मिली है... ?

 जो खबर है उसके अनुसार न्यायालय द्वारा स्थगन समाप्त कर पद से हटाए गए डी.पी.सी. मदन त्रिपाठी  का अफिस प्रेम इन दिनों चरम पर है। सूत्रों की माने तो 25 फरवरी शनिवार अवकाश के दिन- रात भर अफिस संचालित रहा आज 28 फरवरी रविवार अवकाश में भी कुछ समय आफिस चला लेकिन फिर सारी फाइले गाडी में डाल कर मुन्ना भइया ले गए..? दरअसल कोतमा विधायक बनने के चक्कर में मुन्ना भइया को समय नहीं मिला एवं करोडो रूपयो का  फस गया। अधिकारियों द्वारा चुनाव करने की दी गई छूट का इतना बड़ा नुकसान होगा किसी अधिकारी की समझ में नहीं आया। अब बिल भुगतान कर इसे हजम करना आवश्यक है. क्योंकि मुन्ना भइया को चुनाव फंड भी जुटाना है. इसलिए मेडिकल अवकाश में होने के बावजूद मुन्ना भइया विलो का आनलाइन भुगतान करने में व्यस्त हैं...?

 सूत्रों की माने तो इन दो दिनों में अधिकारियों की मिली भगत से बैकडेट मे धड़ाधड़ फइले तैयार कर अधिकारियों के हस्ताक्षर करा कर करोडो का भुगतान किया गया एवं किया जा रहा है..!! ज्ञात हो कि कलेक्टर शहडोल द्वारा 2018 में ही डी.पी.सी. को शिक्षा विभाग के लिए कार्यमुक्त किया जा चुका है ये न्यायालीन स्थगन पर कार्य कर रहे थे 

 कयास ये लगाया जा रहा है कि डी. एम. एफ. मद के स्कूलों को फर्नीचर सप्लाई के लगभग 5 करोड, स्कूलों की स्पोर्टस मामग्री के लगभग 2 करोड, स्कूलों को भेजी गई स्प्रे मशीन के लगभग 3 करोड आदि कई करोड रूपयो के बडे भुगतान चुनाव लड़ने के चक्कर में फंसे है जिनका भुगतान अधिकारियों की मिली भगत से रातो रात किया जा रहा है.... क्योंकि यदि मुन्ना भाई विधायक बन गए तो इसकी ब्याज सहित वापसी भी करनी पड़ सकती है...                अभी इतना ही…      ( जारी-3)

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