सावधान,
एटम बम सबित हो सकता है नया वायरस
अमेरिका में मचा चुका है
तबाही ,टीकाकरण के बाद भी
जनसत्ता अखबार में 26 पेज के एक 10 पेज में सिंगल का छोटा सा समाचार की गंभीरता को समझा जाए तो दुनिया की सबसे शक्तिशाली लोकतांत्रिक राष्ट्र अमेरिका में कोरोनावायरस का यह वेरिएंट तबाही मचा चुका है तब जबकि वहां टीकाकरण आदि हो चुका था ।तो इस बड़े समाचार को बहुत छोटा समाचार के रूप में प्रकाशित करने का कारण मात्र सूचना देना नहीं हो सकता. किंतु इसे पहले पेज पर जगह नहीं मिली है तो यह समाचार बहुत बड़ा नहीं है इसको कैसे समझें....? कि अथवा क्या इस कोरोनावायरस के नए स्वरूप से हमें अलर्ट नहीं रहना चाहिए.. ?
जिस प्रकार से राहुल गांधी की यात्रा को लेकर राजनीति में और जमीन में कोहराम मचा समाचार जगत पर कवरेज क्यों नहीं दी गई ।यह हमारी सरकार की कि हो सकता है नीति फैसला हो। अन्य हमारे सभी समाचार पत्र और मीडिया सरकार की समाचार को प्राथमिकता के हिसाब से कवरेज करते हैं। समाचार की गंभीर कितनी है यह मायने नहीं रखता। किंतु क्या भारतीय नागरिक को यह हक नहीं है कि वह बड़े समाचार की गंभीरता को ध्यान में रखने में अपने सतर्कता के प्रति और भी ज्यादा शतर्क हो जाएं।ऐसी परिस्थियां समाचार पत्र दायित्व का निर्वहन करता पैदा करता नहीं दिखता।
कम से कम हमारे शहडोल जैसे आदिवासी क्षेत्र में इतनी जागरुकता तो कभी नहीं रही जब तक की शासन और प्रशासन का डंडा यह प्रचार इस्तेमाल करता है प्रसार नहीं करता है क्योंकि यहां के लोग प्रचार-प्रसार पर ही यकीन रखते हैं।
नया वैरिएंट दुनिया के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य राष्ट्र की खटिया खड़ा कर चुका है ।वहां के नागरिक बच्चे कीडे मकोडे जैसे मर रहे थे ।हलां की जहां तक मरने की
बात है तो हमारे लोकतंत्र में वैसे भी लोग किडे मकोडे के तरह मर रहे थे। हमने शहडोल मेडिकल कॉलेज के
अनुभव में पाया है पर सरकार गर्व करती है कि मेडिकल कॉलेज नहीं
होता तू यहां के हाल और खतरनाक होते हैं ।
हमें नए- पुराने जितने भी वेरिएंट आएंगे सब से एक अकेले ही युद्ध करना होगा इसके लिए जितनी भी सतर्कता
हो सकती है बिना किसी सरकार मदद कि बिना किसी सहयोग की अपेक्षा के। सरकार जितना कर दे वह एहसान मान कर चलना चाहिए एक जो व्यक्ति
की स्वतंत्रता सुरक्षा जैसी एक कि कोरोनावायरस के लिए जारी किए गए। सामाजिक व्यवहार के मामले
में दुसरो से दूरियां बनाकर रखना, सैनिटाइजर का प्रयोग , मास्क पहनना और अपनी इम्युनिटी
को ताकत पर बनाना रखना अब प्रथम लक्ष्य होने चाहिए।
सरकारों का क्या है वह तो
तो वहां बैठे लोग सिर्फ अपने व्यक्तिगत सुरक्षा देखते हैं इससे ज्यादा नहीं, इसलिए ये राम राज्य है भगवान भरोसे रहना सिखीए और इस खतरानक कोरोना के बदले हुए स्वरूप को सिर्फ जनसत्ता में छपे इस समाचार की अंतिम लाइन से समझइए की इस ने अमेरिका में
तबाही मचा दी थी । तू खुद भी सुरक्षित रहिए और दूसरो की भी रक्षा कीजिये। बस इतना काफी
है। क्योंकि यह कड़वा सच अभी भी सामने है कि कोरोनावायरस ने वाले तमाम लोगों को प्रशासन और शासन ने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दी गई राहत राशि भी देने में 10 अड़ंगा लगाती है सरकारी दफ्तर में पड़ी फाइलें यही साबित करती हैं तो बच कर रहिए और दूसरों को बचाइए।
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