गुजरात इंडिया कंपनी का जंगलराज
सड़कों में बह रहा है
कीमती पानी
नागरिक
पानी को मोहताज
शहडोल नगर पालिका परिषद से हम लंबे समय से पानी उपलब्ध कराने के लिए मांग कर रहे थे। डेढ़ महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है वैसे भी चढ़ाई में होने के कारण यहां वाटर सप्लाई लगभग 20 पर्सेंट रह जाता है। जवाब नहीं होने से पानी कम आता है। एक नल तीन-चार साल से लगभग बंद है। प्रयास करके खुलवाने का प्रयास काम किया लेकिन नगर पालिका परिषद में व्यस्तता बहुत है। और मेन पावर यानी प्लंबर बहुत कम है। मुख्य सड़कों के लीकेज अलावा अधिकारियों के यहां भी पानी की समस्या को देखते हुए वहां लोग भेज दिए जाते हैं।
इसलिए हमारा नल ठीक नहीं हो पा रहा है क्योंकि नगरपालिका को मालूम है कि पानी बिल की वसूली करनी होगी तो पूरे गुंडागर्दी से या कोर्ट में घर नीलाम करा करके भी पानी को पैसा वसूल लेंगे। इसलिए जब फुर्सत होगी तब पानी की समस्या ठीक करेंगे।
बचा-कुचा काम ईस्ट इंडिया कंपनी नहीं... नहीं, गुजरात इंडिया कंपनी के लोग जैसे पूरे भारत में कर रहे हैं वैसे शहडोल में भी लगभग 2 काम कर रहे हैं एक तो गैस पाइप लाइन का विस्तार का काम और दूसरा मल जल निकासी के लिए सीवर पाइप लाइन विस्तार का काम।
इसलिए शहडोल की विकास की रफ्तार में गैस पाइपलाइन वालों ने आज पानी की गंगा हमारे गली से बहा दी है जब पूरे सड़क पर पानी अपने घर के सामने से जाते देखे तो हमें लगा सच में पालिका परिषद गुलामों की फेहरिस्त में शामिल हो गई है जिस कारण वह विकास के तौर-तरीके पर अपनी भूमिका नहीं तय कर पा रही है। निश्चित तौर पर अब जो प्लंबर होंगे वे जहां गैस पाइपलाइन वालों के कारण पाइप लाइन टूटने से नल फूटे जाएंगे वहां पर गुजरात इंडिया कंपनी के साहब बहादुर की सेवा में पूरी अफसरशाही लग जाएगी। ऐसे में आदिवासी क्षेत्र के हम निवासियों को गुलाम बनने की आदत डाल लेनी चाहिए क्योंकि यह बर्बादी रोज के रोज देखने ही पड़ेगी। यह अलग बात है की एक बड़ी समिति के मुखिया और हमारे वार्ड के पार्षद भागदेव जी के घर के सामने से भी गुजरात इंडिया कंपनी के द्वारा भाई के गंगा बहती हुई अंततः मुड़ना नाला में जा मिलेगी।
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