सोमवार, 9 मई 2022

"यू ब्लैक इंडियन....." (त्रिलोकीनाथ)

आजादी का अमृत महोत्सव और विकास

विकास के दौर में

एक विकास और सही

"यू ब्लैक इंडियन....."

कभी फिरंगी कहते थे...

                             ( त्रिलोकीनाथ ) 

अमेरिकी मुद्रा डॉलर का तेजी से विकास हुआ ठीक उसी तरह से जिस तरह पेट्रोल, डीजल, गैस और अब तो आम जरूरत की चीजें नून मिर्चा धनिया मसाला आदि का विकास भी तेजी से हो रहा है। पेट्रोल डीजल और गैस विकास की चरम रफ्तार की ओर बढ़ने को बेताब है.. क्योंकि वह 100 रुपए लीटर के पार हो गए हैं।

 इसलिए हमारी छोटी बुद्धि इसे चरम विकास मानती है। क्योंकि हम अपने पैमाने पर सोचते हैं वास्तव में यह अब 200 पार का लक्ष्य रख लिए हैं ऐसा लगता है ।


जैसे डॉलर अब ₹100 प्रीति डॉलर का लक्ष्य रखकर तेजी से बढ़ रहा है ।क्योंकि विकास प्रकृति का नियम है।

 अब जातिवाद के धंधे में विकास दुबे भी उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नैतिक धरातल में विकास की रफ्तार पकड़ते हुए कुछ पुलिस वालों की हत्या कर देता है। क्योंकि वहां भी पुलिस वालों में और विकास दुबे में एक जैसी रफ्तार रहती है। प्रतियोगिता विकास का ही था। लेकिन विकास दुबे था जो अपने विकास के धुन में अंधाधुंध फायरिंग कर बैठा और अंततः उत्तर प्रदेश की अब तथाकथित बुलडोजर सरकार ने तब विकास दुबे को दुनिया के किसी भी कोने में जैसे ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने ढूंढ कर मारा उसी तरह भारतीय संविधान मे मौलिक अधिकारों का पूर्ण पालन करते हुए भाजपा सरकारों ने घेरकर महा मृत्युंजय, महाकाल के घर में घुसकर विकास को पकड़कर  अपनी धरती में लाकर काउंटर फायर किया। जिसमें व्यक्ति विकास दुबे मर गया।


 इसके साथ ही माना गया कि रावण पर विजय पा लिया गया और अब विकास के आर्थिक विकास के आंकड़े ₹670000000 संपत्ति पैसा आदि को सरकार ने जप्त किया। क्योंकि उन्हें अपने विकास को प्रतियोगिता में खरा उतरना था। 

किंतु पेट्रोल डीजल और गैस की अघोषित कंट्रोल कर रहे तथाकथित सरकार ने जो विकास की गति पकड़ी है वह मानक सिद्ध हो रहा है विदेशी डालर के लिए, जो ₹100 प्रति डालर की रफ्तार पकड़ने को विवश है। क्योंकि यह भी विकास है... 

यह अलग बात है कि जैसे सरकारों में तमाम घटनाओं को लेकर नैतिकता का पतन होता है जब कभी कोई विकास दुबे की घेराबंदी करके उसे मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया जाता है उसी प्रकार पेट्रोल डीजल और गैस की रफ्तार के साथ अब डालर की रफ्तार की घेराबंदी कर इसे संचालित करने वाले माफियाओं की हत्या कोई नहीं कर रहा है। क्योंकि यह संविधान के दायरे में विकास की रफ्तार को अपना लक्ष्य पाने को विवश है। तो विकास के अपने-अपने मायने हैं इसमें पीसने वाला सिर्फ इस तथाकथित आजाद मुल्क में आम आदमी और उसकी व्यवस्था ही है। जो लगातार गिरती ही चली जा रही है... जैसे भारतीय मुद्रा की गरीबी लगातार डालर के सामने प्रतीत होती चली जा रही। तब भारतीय मुद्रा में छपे गांधी भी इस गरीबी के हमेशा के लिए प्रमाण पत्र बन कर रह जाएंगे ऐसा माना जाना चाहिए।

 क्या यही विकास का स्वरूप हमारा लक्ष्य था....? यह अवश्य सोचना चाहिए;  ठहर कर, रुक कर और समझ कर क्योंकि आम आदमी को चक्रव्यूह के विकास में इस कदर डाल दिया गया है की 80 करोड़ से ज्यादा लोग 5 किलो अनाज में जीवन यापन करने पर विवश दिखाई देते हैं तो बीते 7 साल के दौर में इसी भारत में नई सरकार के रहते गिनती के तीन आदमी दुनिया के सबसे अमीर आदमी बनने के विकास के लक्ष्य में टॉप टेन में शामिल हैं।

 यह सोच कर मन गर्व से कहता है कि हम इंडियन हैं। "ब्लैक इंडियन, ओनली....". ठीक ही कहा था फिरंगीओ ने "ब्लडी ब्लैक इंडियन....." क्योंकि अब भारत में बोर फिरंगीयों की बजाए काले फिरंगीओं से लड़ने का जज्बा मीडिया के मूर्खतापूर्ण बहसों के जरिए खत्म हो रहा है... 

क्या फर्क पड़ता है... प्रत्यक्ष कंट्रोल ना होकर अप्रत्यक्ष गोरे फिरंगी आखिर कंट्रोल तो कर ही रहे और यह भी एक विकास है ऐसा मानकर चलना चाहिए तो कदम कदम मिलाए जा खुशी के गीत गाए जा... है ना आज का यही प्रत्यक्षं किम् प्रमाणम  है।


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