गर्व से कहो मैं ....?
अमृत महोत्सव में दिखा
नया इंडिया का नया भगवान
भगवान, महामहिम माननीय
बलात्कारी बाबा राम रहीम
को मिली जेड प्लस सुरक्षा....
(त्रिलोकीनाथ)
अब मुझे जरा भी शर्म नहीं आती की हिंदुत्व में
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का जो मंदिर बन रहा है उसमें जो भगवान बैठाए जाएंगे अथवा जो पुजारी होंगे या फिर उसमे जो भक्तों की भूमिका होगी वह कितनी गौरवशाली होगी..?
कभी, कवि ने लिखा था "हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है...... यह सोचकर मैं इतराता हूं..।" क्योंकि वोट के धंधे में पतन की सभी सीमाओं को चीरते हुए बलात्कार सोच की सभी पराकाष्ठा को पार करते हुए हरियाणा के खट्टर सरकार ने नए भारत में एक इतिहास कायम किया है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोट के लिए भारत में बिरसा मुंडा को भगवान का स्तर प्रदान किया था। किंतु खट्टर सरकार ने बलात्कारी बाबा राम-रहीम को जेड प्लस की सुरक्षा देकर "महामहिम माननीय बलात्कारी बाबा राम रहीम" के रूप में स्थापित करने का काम किया है। तो यह समझना भी जरूरी हो जाता है की असल में सच्चा ईमानदार और कट्टर हिंदुत्व का रंग किसके जमीर में बह रहा है वह कौन है खट्टर या कोई और ...?
इतना सहज य सरल नहीं है यह स्थापित करना की हिंदुओं के राम और मुसलमानों के रहीम के शब्द चुरा कर जब कोई बाबा राम-रहीम पैदा होता है उसकी अश्लीलता ,उसका वैभव, उसका अत्याचार और उसका धर्म में अंधी संप्रदाय का प्रादुर्भाव का विराट स्वरूप जब विकसित होता है तो वह हरियाणा अथवा पंजाब तक सीमित नहीं रहता; वह भगवान का अवतार बनने की चाहत में समूचे विश्व को एकात्मबाद मे पिरोने लगता है।
बाजारवाद का यह खौफनाक खूंखार किंतु उनके लिए गर्व से सिर ऊंचा उठाने वाला कदम, इसलिए कहा जाना चाहिए क्योंकि कल जब कोई "महामहिम माननीय श्रीमान बाबा राम रहीम" के स्तर तक पहुंच जाएं तब उन्हें शर्म से सिर न झुकाना पड़े वह भी उसी गौरव के साथ सर ऊंचा करके चल सके जिस गौरव के साथ नया इंडिया का सबका साथ-सबका विकास सबको न्याय के फलस्वरूप भारतीय न्यायपालिका की सोच के कारण 20 वर्षों के लिए महान बाबा राम रहीम को कारावास में रहने की इजाजत दी गई है ।
वह वहां उतने ही सम्मान पूर्वक जीवन को जी रहे होंगे जितना अपने डेरा सच्चा सौदा लोगों की जमीन से सौदा कर डेरे में रहकर अंधविश्वासी बीमार लोगों के समाज को उन्होंने विकसित किया है। ताकि वे भारतीय वोट-बैंक के बाजार में तराजू पर तोले जा सके।
और जब भी कभी चुनाव अपने रंग पर आए यानी लोकतंत्र पैदा होने की प्रक्रिया में हो तब किसी सरकार की यह हिम्मत न पड़े , ऐसे बलात्कारी बाबाओं को वे उनकी गरिमा के खिलाफ व्यवहार कर सकें। फिर अगर यह तय होता है कि वह बाबा नहीं है; एक नेता है, एक उद्योगपति है तो भी उसे "महामहिम माननीय बलात्कारी" की संज्ञा देकर उसे महिमामंडित रखा जा सके। ऐसा प्रस्ताव कब भारतीय संसद में ध्वनि मत से प्रस्तावित होगा...?
यह देखने को नया-इंडिया निश्चित रूप से बेचैन हो रहा है। इस स्तर पर अगर विकास नहीं होता है तो यह माना जाना चाहिए कि अभी भी देश बहुत दलित, पिछड़ा और निंदनीय हालात में है। जहां 80 करोड़ लोग भिखारियों की जिंदगी जीने को विवश हैं.. ऐसी सोच आज स्थापित की जा रही है। ऐसा क्यों नहीं माना जाना चाहिए...?
हमने अपनी बीसवीं सदी की राजनीति में राजनीतिक कुटिल चालचालबाजियों के बीच में ऐसे महान नेताओं को भी देखा है जिन्होंने हरियाणा और जाटलैंड की जमीन से ऐसे जमीर की सोच रखने वाले नेता भी पैदा किए हैं जिसमें देवीलाल को हम कभी नहीं भूल पाएंगे, चौधरी चरण सिंह को बुलाना शायद किसान समाज का बड़ा अपमान होगा । देवीलाल तो प्रधानमंत्री बना दिए गए थे लेकिन उन्हें अपनी सीमाओं का ज्ञान था वे देश को प्यार करते थे किंतु कुटिल परंतु मधुर राजनीति के पलटी में है विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री हो गए। यह वही भारत है जहां जमीर को पैदा किया जाता है और जमीर बोलता है कि उसकी "आत्मा की आवाज" उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनने को कहती है। सोनिया गांधी विदेशी मूल की जरूर थी किंतु जमीर चाहे दिखाने का ही क्यों ना हो जिंदा दिखाया गया।
लेकिन यह हिंदुत्व का नया इंडिया है। 21वीं सदी का आधुनिक भारत जिसमें हमें जरा भी शर्म नहीं आती कि हम 20 वर्षों के लिए सजायाफ्ता बलात्कारी बाबा राम रहीम को न सिर्फ चुनाव में वोट के धंधे की खातिर उसे बाहर निकालते हैं बल्कि एक नई पहचान देते हुए महामहिम राष्ट्रपति जी के समकक्ष जैसी सुरक्षा का दर्जा भी देते हैं, जेड प्लस सुरक्षा।
तो क्या यह भविष्य के भारत में पैदा होने वाले नेताओं और करिश्माई धार्मिक भगवानों की इबादत का एक रास्ता भी होगा उसे स्थापित करने का भारतीय मानव मस्तिष्क में मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालने का एक तरीका भी है। चुनाव के बहाने कि अपराध जगत को , यहां तक की बलात्कार के अपराध जगत को भी यह सुरक्षा दी जाए की बलात्कारी जेड प्लस सुरक्षा में बलात्कार कर सके..... क्योंकि वहां कोई चिड़िया पर भी नहीं मार सकती। ऐसा क्यों न समझा जाए...?
क्या यही नया इंडिया है हमें क्या इसके लिए तैयार नहीं होना चाहिए...? कि धर्म के नाम पर मंदिर या मस्जिद बना कर अपराध को महिमामंडित किया जाए...? यह बात इसलिए गंभीर भी है क्योंकि न्यायपालिका लोकतंत्र में अभी भी जिंदा प्रकट होता दिखता है... शायद न्यायपालिका को इसीलिए महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में स्वतंत्र भारत में जगह मिली थी।
देखना होगा कि न्यायपालिका में बैठे हुए मठाधीश, खट्टर सरकार के द्वारा स्थापित किए जा रहे"महान महामहिम माननीय बलात्कारी बाबा राम रहीम" के मामले में खट्टर सरकार की खटाई को किस स्तर पर संज्ञान में लाते हैं...? हालांकि याचिका लगा दी गई है। फिलहाल तो उन्हें गर्व करना चाहिए जिन्होंने प्रायोगिक तौर पर राम रहीम को जड प्लस सुरक्षा देने का काम किया है। याने जेड प्लस सुरक्षा में भी बलात्कार की गारंटी देने का काम किया है ऐसा क्यों न समझा जाए.....? (जारी भाग 2)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें