बुधवार, 8 दिसंबर 2021

शोषणकारी क्यों बनी व्यवस्था..?

 शोषणकारी व्यवस्था 

सर्किट हाउस में विधायक

शरद कोल को नहीं मिला कमरा

 कल सर्किट हाउस शहडोल में विधायक शरद कोल सर्किट हाउस में व्यवस्था से नाराज दिखे और सर्किट हाउस की चाय लेने से इनकार कर दिया। वे लगातार सर्किट हाउस के बाहर काफी देर तक बैठ कर अपनी नाराजगी जाहिर की ।इस वक्त पीडब्ल्यूडी अधिकारी मनोज दुबे उन्हें समझाने का प्रयास भी किए कि कमरे पहले से आरक्षित थे इसलिए उन्हें सर्किट हाउस में कक्ष दिया जाना संभव नहीं है। किंतु जब श्री दुबे से चर्चा की गई कि जब नए अतिरिक्त कमरे बन चुके हैं फिर उसमें क्यों जगह नहीं दी जा रही है...? श्री दुबे ने कहा की पीआईयू निर्माण एजेंसी ने अभी तक सर्किट हाउस प्रबंधन के लिए हैंडोवर नहीं किया है इस कारण वे कक्ष नहीं खोले जा सकते।

ज्ञातव्य है चार आधुनिक वीआईपी अतिरिक्त कक्ष का लंबे समय पूर्व निर्माण किया जा चुका है किंतु उद्घाटन की प्रतीक्षा में उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। इस कारण विधायक शरद कोल सर्किट हाउस के बाहर घंटों बैठे रहे और बाहर ही रह कर अपने कार्यों का संपादन किया। जनप्रतिनिधियों की यह दुर्दशा आदिवासी क्षेत्र संभाग मुख्यालय में कार्यपालिका के नाकामी को प्रदर्शित करता है।

अवैध उगाही नहीं देने पर मजदूरी से निकाला कोयला प्रबंधन ने

तो दूसरी ओर आज ही जब प्रभारी मंत्री रामखेलावन पटेल  का शहडोल दौरा था कमोबेश


उसी वक्त खैरहा के कालरी खदान में गत 7 वर्षों से काम करने वाले ठेका मजदूर अपनी शोषणकारी व्यवस्था को लेकर पुलिस अधीक्षक के पास शिकायत करने पहुंचे कि किस तरह कालरी प्रबंधन स्थानीय पुलिस और ठेकेदार के मिलीभगत के कारण जब वर्षों से काम कर रहे  ठेका पद्धति के तहत मजदूरी में प्रति मजदूर 350 रुपये की



उगाही न देने के कारण उन्हें मजदूरी से निकाल दिया गया है और आज उनके सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। इस तरह अलग-अलग स्तर

पर शोषणकारी व्यवस्था अपने अपने तरीके से दबाव बनाए हुए हैं। देखना होगा कि क्या मजदूरों को उनकी  पूरी मजदूरी दिला सकने के साथ उनके रोजगार को सुनिश्चित किया जा सकता है...? अथवा भविष्य में किसी भी जनप्रतिनिधि विधायक या शरद कोल के साथ उनके प्रोटोकॉल के आधार पर  असभ्यता नहीं की जाएगी।

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