विनोद दुआ नहीं रहे
हिंदी पत्रकारिता की पहचान बन चुके विनोद दुआ अब हमारे बीच में नहीं रहे 4 दिसंबर को उनका निधन कोरोना की लंबी लड़ाई के बाद अंततः मौत को गले लगा कर खत्म हुई हमने उन्हें सत्ता
के साथ आंख से आंख मिलाकर बात करते हुए देखा है वे जनता के वाहक भी रहे उन्होंने दूरदर्शन पर 'जनवाणी' से पहचान बनाई. दूरदर्शन पर चुनाव विश्लेषण के लिए भी वो जाने गए. यह वह दौर था जब सत्ता जनता के लिए समर्पित थी और प्रतियोगिता इस बात पर होती थी कि पत्रकारिता जनता के लिए ज्यादा कर रही है या विधायिका जनता के लिए ज्यादा कर रही है युग बदल गया है
जबकि विंध्य के समाजवादी नेता अजय खरे ने पत्रकारिता के लिए बड़ी क्षति बताया
हम लोगों ने उनके पत्रकारिता के तौर तरीके और तर्क से बहुत कुछ सीखा है पत्रकारिता में नवाचार में शामिल पत्रकार संसद के सभी सभी सदस्यों की ओर से तथा विजयआश्रम परिवार की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है
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