3 माह तक फ्री वेतन पर टिके रहे शिक्षक
प्राइमरी के शिक्षक हाईस्कूल में रिक्त पदों के विरुद्ध पदस्थ किए गए...?
कई तो 50हजार का सौदा फिट हो जाने के बाद अंततः स्कूल में पदस्थ ना हो पाए शिक्षक
अंततः सहायक आयुक्त कार्यालय शहडोल के अघोषित सहायक आयुक्त ने शिक्षकों की पदस्थ की आदेश जारी कर दिया है जिसमें घोषित सहायक आयुक्त ने अपना हस्ताक्षर भी किया है तृतीय वर्ग कर्मचारी प्रभारी सहायक आयुक्त बंद कर एक शिक्षा समिति का करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार में चर्चित हुए नई व्यवस्था मेला के उन्हें हटा दिया गया किंतु जिस प्रकार से उन्होंने सहायक आयुक्त कार्यालय को अपने मकड़जाल में फंसा रखा है उससे वे अघोषित सहायक आयुक्त के रूप में अभी भी पदस्थ हैं और लगभग पूरे निर्णय उनके द्वारा ही लिए जा रहे हैं यह बात सर्वविदित होने के बाद उस आशा को विराम लग गया और जिसके तहत ट्रांसफर होकर आए शिक्षकों को तत्काल पदस्थ किया जाना था किंतु मांसाहारी चतुर लोमड़ी ने ऐसी पदस्थ की के लिए चर्चित रूप से उसमें मे भी ₹50000 प्रति शिक्षक को मनचाहा स्थान पदस्थ कराने की जिम्मेवारी का वातावरण निर्माण भी किया गया और जब सब कुछ सुनिश्चित हो गया तब 3 माह बाद शिक्षकों को मनचाहे स्थान उनकी कीमत पर दिया गया इस प्रकार की चर्चा सहायक आयुक्त कार्यालय में आम हो चुकी है
तो क्या इन चर्चाओं को विराम लगाने की जिम्मेदार विभाग के कर्ताधर्ता सहायक आयुक्त या उच्चाधिकारी उठाएंगे..? और ट्रांसफर पोस्टिंग सूची में अनियमित तरीके से पदस्थ किए गए शिक्षकों पर समीक्षा करेंगे जो ज्यादा शहरों के निकट पदस्थ किए गए हैं अथवा रिक्त पद दिखाते हुए उच्च स्कूलों में प्राइमरी टीचर के रूप में पदस्थ किए गए हैं उस वक्त जबकि शिक्षक विहीन संस्था अथवा शिक्षकों की कमी से जूझ रहे ग्रामीण अंचल की संस्थाएं एक शिक्षक के भरोसे शिक्षा प्रणाली का दम तोड़ रही हों... देखना होगा क्या कोई निष्पक्षता अपना काम करती है...?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें