22 अक्टूबर समीक्षा बैठक जबलपुर में आयुक्त आदिवासी विकास करेंगे चर्चा...
अपर संचालक संजय का शहडोल में निरीक्षण...
"दिखाने के दांत और खाने के और..."
करोड़ों का वारा-न्यारा करने वाले तृतीय वर्ग कर्मचारी अंसारी ने दिखाया जलवा...
सहायक आयुक्त धुर्वे पीछे-पीछे घूमते रहे
मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र मरावी की अमरकंटक विश्वविद्यालय को लेकर यह शिकायत कि विश्वविद्यालय प्रबंधन आदिवासियों का अपमान करता है..., उसकी एक झलक अपर संचालक संजय वाष्णेय के शहडोल दौरे पर देखने को मिली; जहां शहडोल आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त रंजीत सिंह धुर्वे दौरे के दौरान अपमानित होते देखे गए।
क्योंकि अपर संचालक के बगल में तृतीय वर्ग कर्मचारी व पूर्व सहायक आयुक्त एमएस अंसारी अपर संचालक के साथ बैठा हुआ देखा गया। वहीं सहायक आयुक्त श्री धुर्वे दूर किनारे खड़े फोटो पर नजर आते हैं ।क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार के उन गुणों को आत्मसात पूरी तरह से नहीं किया है जिन पर महारत हासिल करने वाले तृतीय वर्ग कर्मचारी अंसारी तत्कालीन कलेक्टर सत्येंद्र सिंह की कृपा से जब गैर कानूनी तरीके तमाम विकल्प होते हुए भी सहायक आयुक्त का प्रभार न सिर्फ लिया बल्कि अपने 6 महीने के प्रभार में करोड़ों रुपए का गैर कानूनी शासकीय कोषालय, जो विधि विरुद्ध होने के साथ भ्रष्टाचार पूर्ण प्रक्रिया का प्रमाण भी रहा निर्भीक होकर आहरण करता रहा। इतना ही नहीं उन्होंने करीब 25 वर्ष लंबित विवादित एक निजी शिक्षा संस्थान पांडे शिक्षा समिति जैसीहनगर को कर्मचारियों के लंबित एरियर की रकम करीब 8 करोड़ 34 लाख रुपए का भी ना सिर्फ आहरण किया बल्कि कथित कर्मचारियों का भुगतान उनकेेे खाते में शिक्षा समिति के खाते में डलवाने का भी भ्रष्टाचार पूर्ण संरक्षण दिया। ताकि शासकीय धन की बंदरबांट हो सके।
क्योंकि अब यह खबरें छनकर आ रही हैं कि कई कर्मचारी जिनके नाम पर भुगतान हुआ है वे वहां नाममात्र के कर्मचारी थे कुछ कर्मचारियों का कम तो कुछ कर्मचारियों का ज्यादा भुगतान दिखाया गया है। हालांकि जबलपुर में होने वाली आयुक्त अनुसूचित जन जाति विकास का बैठक मे संजीव सिंह के सामने अपर संचालक संजय इन बातों को कैसे रखेंगे, तब जबकि आज भी पदस्थ सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्री धुर्वे का उनके सामने लगातार अपमान होता रहा।
और वह भी अधिकारियों के नजरिए को समझ कर भ्रष्ट अंसारी के पीछे पीछे चुपचाप चलना जैसे स्वीकार लिए थे और इस तरह अपर संचालक यह सब जानकर जिस प्रकार की चुप्पी साधे रहे बल्कि उन्होंने अंसारी को उसकी उंगली के इशारे पर ऑफिस संभालने मौन सहमति देते रहे, उससे लगता है कि उन्होंने भी अंसारी के भ्रष्टाचार को आत्मसात करने की हरी झंडी दे दी है ।
इस तरह आदिवासी मुख्यालय संभाग शहडोल में आदिवासी विभाग में पदस्थ वर्षों से अंसारी के भ्रष्टाचार का सिक्का एक बार फिर से जमता दिख रहा है क्योंकि अपर संचालक में एक बार भी अंसारी को यह नहीं टोका कि सहायक आयुक्त श्री धुर्वे अगर हैं तो तुम क्यों निरीक्षण करवा रहे हो...? इसका अर्थ साफ है कि करोड़ों रुपए की चमक के सामने आदिवासी समाज के अधिकारियों की अहमियत उतनी ही है जितनी की मध्य प्रदेश जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष और शहडोल सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह के पति इंजीनियर नरेंद्र कुमार मरावी अमरकंटक विश्वविद्यालय में कुलपति के संरक्षण में हुए अपमान की शिकायत को जितना उजागर किया था..। ऐसे में आदिवासी विकास के करोड़ों करोड़ रुपए सिर्फ भ्रष्टाचार और बंदरबांट में अगर खानापूर्ति हो रहे हैं तो यह कोई नई बात नहीं दिखती।
देखना होगा की 22 अक्टूबर की बैठक में किसी तृतीय वर्ग कर्मचारी के द्वारा गैरकानूनी आहरण और आदिवासी अधिकारियों के अपमान के बातें बैठक में मुद्दा बनता है या नहीं....?
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