शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2021

दामिनी मे दमन के खिलाफ किसानों का अनशन

 दामिनी मे दमन के खिलाफ किसानों का अनशन 


 भूमि अधिग्रहण के बाद भी नहीं मिली नौकरी

शहडोल । जिले में लगातार उद्योगों के नाम पर किसानों के साथ अन्याय ही हो रहा है। ऐसा ही एक मामला एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र की दामिनी कोयला खदान का है। किसानों की भूमियों का अधिग्रहण कर कालरी प्रबंधन ने कालरी तो खोल दी किन्तु भूमिस्वामियों को उचित मुआवजा अब तक नहीं दिया गया। अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए अब किसान, हितग्राही दामिनी भूमिगत खदान के मुख्य द्वार पर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं, इनका कहना है कि जब तक हमें हमारा हक नहीं मिल जाता हम हड़ताल पर ही रहेंगे।

10 वर्ष पूर्व किया गया था अधिग्रहण

दामिनी भूमिगत खदान की शुरूआत वर्ष 2003-


04 में हुई कालरी प्रबंधन द्वारा वर्ष 2010-11 में ग्राम खैरहा एवं कदौंहा के किसानों की भूमि अधिग्रहित करते हुए किसानों को प्रथम लाभ मुआवजा तो कालरी प्रबंधन द्वारा दिया गया किन्तु द्वितीय लाभ रोजगार अधिग्रहण के 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक भूमिस्वामियों को रोजगार नहीं दिया गया। जबकि अनुविभागीय अधिकारी सोहागपुर की अध्यक्षता में किसानों व प्रबंधन के बीच डीआरसीसी बैठक खैरहा एवं कदौंहा की दिनांक 20.10.2019 एवं 04.12.2019 की गई । प्रबंधन के द्वारा किसानों को प्रति 02 एकड़ व क्लाविंग कर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं, जिसकी अनुशंसा अनुविभागीय अधिकारी सोहागपुर द्वारा की गई।

कालरी प्रबंधन करता रहा गुमराह

डीआरसीसी की बैठक में लगभग 219 किसानों को नौकरी की पात्रता बनती थी जिसकी अनुशंसा की गई किन्तु कालरी प्रबंधन द्वारा लगातार किसानों को गुमराह किया गया। बैठक के समय सभी को आश्वासन दिया गया था कि आप सभी को 6-8 महीने के भीतर नौकरी दी जायेगी। किन्तु आज दिनांक तक किसी को भी नौकरी नहीं दी गई अंततः कालरी प्रबंधन भी अब इस मामले से अपना पल्ला झाड़ रहा है चूंकि खदान से लगभग कोयला निकाला जा चुका है संभवतः 2-3 वर्ष का काम शेष बचा है। कालरी प्रबंधन अब कह रहा है कि अब आप लोगों को नौकरी नहीं मिल सकती है। इसी तरह शहडोल संभाग में अलग-अलग उद्योग के प्रभावित किसानों को सिर्फ बरगला कर टाइम पास किया जा रहा है और उसकी जमीन ए उनसे छीन कर अपने उद्योगों के हित में उपयोग की जाती हैं किंतु इस मामले में ना तो सांसद मुखर दिखाई देते हैं नाही विधायक हस्तक्षेप कर अपने वोटरों की आजीविका सुनिश्चित करने की गारंटी देते दिखाई देते हैं देखना होगा संवेदनशील प्रशासन नागरिकों के पक्ष में क्या कदम उठाते हैं



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