बुधवार, 13 अक्तूबर 2021

न्याय का अधिकार कैसे रहे जिंदा...? (त्रिलोकीनाथ)

मामला जैसीहनगर में अराजक सिस्टम का


न्याय का अधिकार कैसे जिंदा रहे, जब प्रकरण में खात्मा लग जाता है...?

उच्चाधिकारियों के निर्देश लक्ष्य पूर्ति में अधीनस्थ तहसीलदार अदम पैरवी में खारिज कर रहे हैंराजस्व प्रकरण 

अथवा वर्ष पुरानी गुम हो जाती हैं फाइलें

(त्रिलोकीनाथ)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मानव अधिकारों की व्याख्या सिलेक्टिव तरीके से न करने की अपील करते हैं मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष उसे कुछ इस अंदाज में बताते हैं कि राजनीतिक हिंसा से मानवाधिकार के मामले में कट्टरता बढ़ती है।

 किंतु जहां राजस्व न्यायालय  मामला का निराकरण की बातें देखी जाती हैं उसमें जब मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव अपडेट होने की सलाह में सभी लंबित प्रकरणों को तत्काल निराकरण करने का फरमान जारी करते हैं तो निचला तबका अपनी नौकरी बचाने की चकल्लस में दसको पूर्व फैसले के लिए लंबित प्रकरणों को अदम पैरवी में खारिज करने में जरा भी गुरेज नहीं करते, पूरी बेशर्मी के साथ खारिज करके अपने न्यायालय से उसका खात्मा लगा देते हैं।

 तो कुछ नए प्रकार के मामलों में जहां विवाद की स्थिति है वहां भ्रष्ट लक्ष्य पूर्ति न होने से एन-केन प्रकारेण खारिज कर देना अपनी योग्यता समझने वाले ऐसे भी अधिकारी देखे गए हैं


अथवा समक्ष के आवेदनों को कार्यालय से गुमा देना या गायब करा देना एक योग्यता की गुणवत्ता के रूप में सामने दिख रहा है।

 सवाल यह है की उच्च अधिकारी कितने भी पवित्र मंसा से राजस्व प्रकरणों का निराकरण संवेदना पूर्ण तरीके से करने का सुनिश्चित क्यों न करें, जब तक अधीनस्थ अमला अपवित्र मंसा अथवा भ्रष्टाचार की चाहत में प्रकरण को देखता रहेगा;


उच्चाधिकारियों की मंशा और कर्तव्यनिष्ठा

अधीनस्थ अधिकारियों की पैर की जूती के तले कुचली जाती रहेगी। कुछ इस प्रकार का जैसीहनगर के रेत स्मगलर्स पर शांतिपूर्ण तरीके से निगरानी रखने वाले तहसीलदार पटेल उस वक्त दुर्घटना के शिकार हो गए थे जब वे सुबह-सुबह ट्रैक्टर भरी रेत का पीछा किए थे और कर्तव्यनिष्ठा के कारण दुर्घटनाग्रस्त भी हो गए थे । किंतु उनकी पवित्र मंसा राजस्व प्रकरण   में कर्तव्य हीनता अथवा अज्ञात कारणों से किनारा करती हुई दिखती है। एक बार तो वे प्रयास करते हैं कि मौका स्थल पर अगर  परिणाम मूलक निष्कर्ष नहीं सुनिश्चित होते हैं तो प्रकरण को ही खात्मा कर दिया जाए और जब दोबारा आवेदन लगता है तो उसे लंबित करके किनारा डालना उनकी कार्यशैली को प्रदर्शित करता है। किंतु वह जिस कर्तव्यनिष्ठा से सुबह-सुबह अवैध रेत के ट्रैक्टर को पीछा कर रहे थे अन्यथा चाहे स्मगलिंग का मामला हो अथवा राजस्व प्रकरणों का प्रकरण को न्याय के दृष्टिकोण से निपटाने मे सब सहजता से निराकृत हो ही जाते हैं जो फिलहाल यहां होता नहीं दिखा। तो क्या अज्ञात कारण से कई रुकी हुई ऐसी फाइलें अपने लक्ष्य को नहीं पा सकेंगे जब तक उच्च अधिकारी उसे नहीं देखेंगे...?

 तो सवाल यह भी है कि क्या उच्च अधिकारी, अधीनस्थ अधिकारियों की गुमी हुई..., वर्षों लंबित हुई अथवा अदम पैरवी में खारिज कर दिए गए तमाम प्रकरणों की सैंपल इन मॉनिटरिंग करेंगे ताकि आम आदमी को सहज न्याय प्राप्त हो सके यह एक बड़ा प्रश्न बन गया है

जैसीनगर क्षेत्र में रामलखन शर्मा पिता स्व. रामदुलारे शर्मा निवासी,  जयसिंहनगर, जिला शहडोल द्वारा तहसील कार्यालय जयसिंहनगर में आवेदन पत्र दिनांक 04.06.2021 को प्रस्तुत


किया, जिसमें उन्होंने ग्राम जय० पह0 जय० रा०नि०म० व तह0 जय० जिला शहडोल म0प्र0 में स्थित आराजी खसरा नं0 1973/4 रकवा 0.101 एवं ग्राम खुशरवाह प0ह0 कतिरा की आराजी खसरा नं0 758/1/क रकवा 0 475, 1204 रकवा 1.627हे0 भूमि का सीमांकन कराये जाने की मांग की। स्थिति यह है कि, चार माह से ज्यादा समय बीत चुका है लेकिन आवेदक सींमाकन की बाट अब तक जोह रहा है।

आवेदक रामलखन ने बताया कि, आवेदन के बाद तहसीलदार के आदेशानुसार दिनांक 16.07.2021 को राजस्व निरीक्षक व हल्का


पटवारी मौके पर नाप करने गये लेकिन सुरेश रैदास पिता भोला रैदास, निवासी ग्राम खुशरवाह के द्वारा मौके पर विवाद किया गया और यह कहा गया कि मैं जमीन नापने नही दूंगा। इस जमीन में मेरा कब्जा है और नहीं भी है तो मैं कब्जा कर लूँगा। सुरेश सरहद्दी भूमिस्वामी नहीं है, वह शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा किया है। वहीं जन धन के बल पर नाजायज रूप से आवेदक के सम्पूर्ण आराजियात पर कब्जा करने के फिराक में है। हद तो तब हो गई थी, जब राजस्व निरीक्षक व हल्का पटवारी द्वारा सीमांकन कार्य यह जाने के दौरान खुली चुनौती देते हुए सुरेश ने यह कहा कि जो भी जमीन को नाप कर आएगा या नापेगा तो मैं उसके हाथ पैर काट दूंगा। ऐसी स्थिति में मौके पर गम्भीर वारदात/विवाद होने की संभावना है। आवेदक ने उल्लिखित आराजियात का सीमांकन पुलिस बल व वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में कराये जाने की मांग भी की है

 अब जबकि प्रभारी मंत्री रामखेलावन पटेल शहडोल को देख रहे हैं तहसीलदार पटेल से क्या जिम्मेदारी का निर्वहन कराया जाएगा क्योंकि राजस्व प्रकरणों का तत्काल निराकरण भी मानवाधिकार का एक हिस्सा है उसमें सिलेक्टिव तरीके से कोई तहसीलदार कैसे काम कर सकता है देखना होगा उच्च अधिकारी इस पर क्या लगाम लगाएंगे ताकि पक्षकारों का जल्द न्याय का अधिकार जिंदा रह सके...?





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