मामला गायब हो गई पुरातत्व संपदा का
लो, मिल गई
हिंगलाज की खंडित मूर्ति....
हमारे स्थाई और कट्टर दुश्मन देश पाकिस्ताान के बलूचिस्तान में हिंगलाज माता की प्राचीन शक्तिपीठ दुश्मनों केेे देश
में भी सुरक्षित है क्योंकि वहां दुश्मन भी स्पष्ट दिखता है और माता केे भक्त भी किंतुुु शहडोल में ऐसा नहीं है यहां या तो मूर्ति के स्मगलर होते हैं अथवा अंधभक्त...
शहडोल जिले की वनचाचर शारदा मंदिर से गायब हुई मूर्ति पुलिस प्रति व्यक्ति के हिसाब से एक अंधभक्त के कारण चोरी कर ली गई थी
उसे जब तक कर खंडित अवस्था में प्राप्त कर लिया।
पाकिस्तान में हैं प्राचीन हिंगलाज शक्तिपीठ और सुरक्षित भी
गया है यही हाल जिले के तमाम प्राचीन पुरातात्विक मूर्तियों का है जगह-जगह खंडित मूर्तियां पुरातत्व संपदा की लूट जाने और खंड खंड हो जाने का प्रमाण है ।यह गांव ग्राम वासियों का दवाब था य पुलिस की कर्तव्यनिष्ठा सफलता यह है की खंडित हिंगलाज माता की मूर्ति प्राप्त हो गई है। क्योंकि मंदिरों की सुरक्षा का दायित्व किसी का नहीं है।
शहडोल की मोहन राम मंदिर जयविजय की प्राचीन मूर्तियां टूटी फूटी अवस्था में भी वापस नहीं मिली। शायद उन्हें बदल कर नई मूर्तियों से काम चलाया जा रहा है। कहते हैं इस प्रकार का प्रस्ताव चुनिया स्थित ऐतिहासिक माता रानी की मूर्ति के मामले में भी कुछ लोगों ने किया था और इस कारण माता रानी की मूर्ति क्षतिग्रस्त हो गई थी किंतु अपने तेज के कारण वह तस्करों द्वारा नहीं गायब की जा सके।
किंतु मोहन राम मंदिर के तस्कर अथवा मूर्ति को गायब कर आने वाले पंडित/पुजारी जब अपने अंध भक्तों से से पूजित हो रहे हो। तो मूर्तियां कहां से मिलेंगे ...? क्योंकि सत्ता ही जब गायब मूर्तियों पर रुचि नहीं लेती, कानून ठप हो जाता है... तब मूर्तियां नहीं मिलती..।
वैसे भी शहडोल जिला पुरातत्व संपदा की सूची से शायद बाहर है इसलिए गूगल सर्च में देखा जाए तो शहडोल में हिंगलाज मूर्ति अथवा मंदिर का कहीं जिक्र नहीं है
खंडित मूर्ति जरूर अब उसके होने का एहसास कराएगी।
स्थापित 4 ऋषियों मूर्तियां भी कोरोना के कार्यकाल में लापता हो गई हैं। बेहतर होता शहडोल पुलिस उन प्राचीन मूर्तियों को भी तलाश कर खंडित मूर्तियां ही सही यथा स्थिति में रखवा देते हैं। मंदिर की संपदा तो लूट ही रही है। उच्च न्यायालय के निर्देश में गठित स्वतंत्र समिति को तो इसकी चिंता ही नहीं है ....?
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