बुधवार, 14 जुलाई 2021

करोड़ों के भ्रष्टाचार के पर्दाफाश साथ नवजात बच्चों को कैसे मिले उनका हक..? बड़ा प्रश्न..

 करोड़ों के भ्रष्टाचार के पर्दाफाश साथ नवजात बच्चों को कैसे मिले उनका हक..? बड़ा प्रश्न..

शहडोल में कुपोषण दूर करना सबसे बड़ा एजेण्डा हो- कमिश्नर राजीव शर्मा





शहडोल। 14 जुलाई 21 को जब भ्रष्ट अधिकारी दुबे के घर में छापा पड़ रहा था, सोने की ईंट और करोड़ों की दौलत का पर्दाफाश हो रहा था ठीक उसी समय शहडोल कमिश्नर  राजीव शर्मा पत्रकारों के साथ एक कार्यशाला करके यह चर्चा कर रहे थे कि कैसे संभाग में बच्चों, नवजात व उन्हें जन्म देने वाली माताओं के कुपोषण की समस्या का निदान हो । तो एक तरफ संविधान की पांचवी अनुसूची मे शामिल आदिवासी विशेष क्षेत्र मे एक-एक दाने के लिए तरसता नवजात समाज


तो दूसरी तरफ इसी क्षेत्र में को मनमानी तरीके से सरकारी धन की होली खेलने वाले और भ्रष्टाचार में रंगरेलियां मनाने वाला अधिकारी समाज का पर्दाफाश हो रहा था। ऐसा भी नहीं है कि इन भ्रष्टाचारी समाज को अपने अंजाम का ज्ञान नहीं है ।

कार्यशाला में यह बातें भी स्पष्ट हुई कि आप किसी भी पद पर हो, भ्रष्ट हैं तो जेल जाना पड़ेगा और कई लोग गए भी हैं। शहडोल की ही एक कथित महिला जो बुढार की रहने वाली है उसका विवाह भारत की राजनीति के विकास के प्रमाण कानपुर के विकास दुबे के साथ हुआ था। इस विकास दुबे को तब घेराबंदी करके मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सरकार ने गाड़ी पलटा कर अंततः हत्या कर दी थी। जब उसने उत्तरप्रदेश के पुलिसवालों के साथ मुठभेड़ में गोलीबारी कर  पुलिस कर्मचारियों की हत्या कर दी थी। इस अपराधी को उज्जैन के महाकाल में गिरफ्तार किया गया था और माना जाता है कि अगर यह जीवित रहता तो भारत की राजनीति का और राजनीतिज्ञों का अपराधिक चेहरा सामने आ सकता था। इसलिए एनकाउंटर बता कर हत्या कर दी गई।

 अब राजनीतिज्ञों की बदले की भावना से प्रताड़ित होकर उसकी पत्नी जीवन यापन के लिए गुहार


लगाते हुए पत्रकार समाज के सामने अपने बच्चे और जीवित लोगों के लिए पोषण की भीख मांगती नजर आ रही है। क्योंकि वह भी शहडोल की निवासी थी इसलिए जिक्र करना उचित लगा।

 तो शहडोल कमिश्नर कुपोषण में कमी लेकर, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के पवित्र कार्य में लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता पर मीडिया से चर्चा कर रहे थे। कथित तौर पर स्क्रीन पर जो डाटा दिखाया गया वह 2013 का था जिसमें कुपोषित नवजात की हालात में मृतकों की संख्या निमोनिया से 18% होना दिखाया गया। निमोनिया का जिक्र इसलिए करना जरूरी है क्योंकि यह तत्कालिक समस्या है हमारे स्वास्थ्य विभाग के निमोनिया, जहां कई बार कई बच्चों के मरने की चर्चा राष्ट्रीय खबर बन चुकी है। चुकि हमारा तंत्र अभी इतना विकसित नहीं हुआ है या कहना चाहिए इस गवर्नमेंट में वास्तविक डाटा मिलना एक बड़ी चुनौती है इसलिए 2021 में निमोनिया में नवजात अथवा शिशु समाज किस प्रकार से प्रभावित है यह एक रिसर्च स्कॉलर का विषय हो सकता है। अक्सर निमोनिया से प्रारंभ होकर कोरोनावायरस ने जो कहर बरपाया है उससे करीब ज्ञात अज्ञात तरीके से आधा करोड़ लोगों की मौत हो चुकी है। जो अत्यंत भयावह है। इन हालात में कोरोना का डेल्टा प्लस वैरीअंट जो कथित तौर पर बच्चों पर प्रभावी होने वाला है निमोनिया के आंकड़े के हिसाब से यह उसे कितना बड़ा आएगा अगर शहडोल में तीसरी लहर आती है तो चिंतनीय विषय है इसके लिए प्रारंभिक तैयारियां क्या प्रेस को साझा की जाएंगी यह करुणानिधान कृपा मूर्ति बने स्वास्थ्य अधिकारी और नेताओं की इच्छा पर निर्भर है।

क्योंकि हमारे संसाधन अतिदलितक्षेत्र का प्रमाणपत्र है। बावजूद इसके करोड़ों अरबों रुपए मूल्य के प्राकृतिक संसाधन  तमाम प्रकार के माफिया का भ्रष्टाचार शहडोल का संसाधन का सबसे बड़ा प्रमाण है कि कैसे खुली लूट का यह स्वर्ग बना हुआ है।

तो कमिश्नर शहडोल कि यह कार्यशाला महिलाओं नवजात शिशु व बच्चों के लिए कैसे वरदान साबित हो यह बड़ी चुनौती है। हालांकि शहडोल कमिश्नर की अपेक्षा है  प्रिंट एवं इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के संवाददाता प्रमुख भूमिका निभा सकते है। कमिश्नर ने कुपोषण, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की चर्चा समाज में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि, शहडोल संभाग में कुपोषण में कमी लाने और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए शासन एवं प्रशासन के प्रयासों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों, स्वयंसेवी संगठनों, पत्रकारों एवं समाज के लोगों का सहयोग अति आवश्यक है तभी हम कुपोषण के कंलक की जंग को जीत पाएगें।

 यह अलग बात है कि पत्रकार जमात ही सबसे ज्यादा दलित और कुपोषित समाज है उसे स्वतंत्र परिवेश लोकतंत्र के अन्य स्तंभ नहीं दे रहे हैं हालात इस कदर शहडोल संभाग में गिरे हुए हैं अभी तक लोकतंत्र ने उसे अधिमान्यता देने की प्रक्रिया के लिए पूरी पीढ़ी को खत्म हो जाने दिया ।कई पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मे अपने जीवित होने का सरकारी अधिमान्यता भी प्राप्त नहीं किया है। क्योंकि शहडोल संभाग की अपनी अधिमान्य समिति का प्रसव नहीं हुआ है। और उसके अधिकारों को लूट कर रीवा संभाग के नेता अपने अधिमान्य गुलाम पैदा करते रहे हैं। तो जब तक प्रेस स्वतंत्र नहीं होता उसका अस्तित्व नहीं होता शोषण-कुपोषण यह एक आम बीमारी रहेगी। क्योंकि लोकतांत्रिक संवेदना लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के जिंदा होने के बाद प्रारंभ होती है। अन्यथा चाहे विकास दुबे हूं एमके दुबे या फिर अन्य कोई माफिया इनका साम्राज्य बरकरार रहेगा बनता और बिगड़ता रहेगा।

जन्म से एक हजार दिन अति महत्वपूर्ण

    किंतु बुराइयों के बीच अच्छाइयों की प्रयास भी होते रहते हैं और इस चुनौती हेतु  स्थानीय विकास के उपलब्ध संसाधनों में चिंतित दिखे कमिश्नर ने व्यापक लोकहित में अपनी कटिबद्धता दिखाई उन्होंने कहा कि शहडोल संभाग में कुपोषण, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए कलेक्टर्स और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है, इसके अलावा सभी विभागों को जबावदेही के साथ कार्य करने के लिए निर्देशित किया गया है। कमिश्नर ने कहा कि, शहडोल संभाग में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा दी जा रही संदर्भ सेवाओं एवं पोषण वितरण कार्यक्रम को और अधिक बेहतर एवं कारगर बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं, स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर से बेहतर बनाने के प्रयास किये जा रहे है, बच्चों और गर्भवती महिलाओं के शत-प्रतिशत टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।  कमिश्नर ने कहा कि, शिशु के सर्वांगीण विकास के लिएजन्म से एक हजार दिन अति महत्वपूर्ण होते हैं, इस समयावधि में शिश को पोषणयुक्त आहार की उपलब्धता  के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शहडोल संभाग में चिन्हित कुपोषित परिवारों को प्राथमिकता से स्वरोजगार मुहैया कराया जाना चाहिए । लोगों से चर्चा करें उन्हें जागरूक करें कि कुपोषण किन कारणों से होता है तथा कुपोषण में कैसे कमी लाई जा सकती है..?

  कमिश्नर श्री शर्मा की चिंता, शहडोल संभाग में कुपोषण की स्थिति संतोषजनक जब तक नही हो जाती तब तक शहडोल संभाग में संवेदना अभियान जारी रहेगा। मीडिया कार्यशाला में संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग श्री कण्डवाल द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, टेक होम राशन कार्यक्रम, रेडी-टू-ईंट कार्यक्रम, मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा, प्रसूति सेवा योजना सहित महिला एवं बच्चों से जुडी हुई अन्य योजनाओं की भी जानकारी दी। 

तू चुनौतियां कई है किंतु प्राथमिकता भारत के भविष्य के रूप में स्वस्थ प्रसव पश्चात नए भारत के विकास का भविष्य बने हमारी नई पीढ़ी की सुरक्षा का है क्या तमाम प्रकार की समस्याओं के बीच में हमारा समाज कार्यपालिका मैं कर्तव्यनिष्ठ सजग अधिकारियों के साथ साथ समाज भी अपनी नैतिक जिम्मेदारियों में नवजात के प्रति संवेदनशील नजरिया बनाने की योजना बनाएगा जो हमारी नई आजादी का प्रतीक भी होगा क्योंकि हम भविष्य के धरोहर को बचा पाए तभी देश बच पाएगा और चिंता देश बचाने की होनी चाहिए।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भारतीय संसद महामारी कोविड और कैंसर का खतरे मे.....: उपराष्ट्रपति

  मुंबई उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के  राम राज्य में और अमृतकाल के दौर में गुजर रही भारतीय लोकतंत्र का सं...