प्रत्यक्षण किम् प्रमाणम-221
पत्रकारिता से निकले शासन-प्रशासन से क्यों ना हो ढेर सारी
अपेक्षाएं...
(त्रिलोकीनाथ)
जिस प्रकार भारतीयजनता पार्टी शहडोल इकाई की नई कार्यकारिणी ब्राह्मण पदाधिकारी बहुसंख्यक है इसके बाद भी अगर ब्राह्मणों को अपने साथ नाइंसाफी होने की बात साबित होती है तो यह मानकर चलना चाहिए कि इस समुदाय में गुलाम अच्छे पाए जाते हैं.., ठीक उसी प्रकार शहडोल जिले में विधायिका मे प्रभारी
मंत्री रामखेलावन पटेल अपनी पत्रकारिता के जरिए सार्वजनिक जीवन की यात्रा के बाद मंत्री पद तक पहुंचे हैं, इसी प्रकार जिले के संभाग आयुक्त राजीव शर्मा पत्रकारिता के प्रारंभिक जीवन की यात्रा के बाद आईएएस तक की सफल यात्रा किए हैं ।इन सब के बावजूद भी अगर शहडोल क्षेत्र मे पत्रकारों के साथ इस लोकतंत्र में अन्याय शोषण या दमन के साथ आर्थिक समस्याएं जीवन यापन की सीमित जिंदगी को भी पूरा नहीं कर पा रही हैं तो यह मानकर चलना चाहिए की पत्रकारिता-समाज में गुलाम अच्छे पाए जाते हैं।
यह लिखने का आशय सिर्फ इस ओर इशारा करने का है कि लोकतंत्र में पत्रकारिता ही स्वतंत्रता की एक बड़ी अज्ञात सक्ती है ठीक उसी प्रकार जैसे कि भारतीय जनता पार्टी के अज्ञात शक्तिRSS है । जो प्रशासन में है भी, और नहीं भी है। नहीं होने के बाद भी, बिना उसके पत्ता नहीं हिलता है...। शासन और प्रशासन में ऐसा माना जाता है। और यह प्रमाणित देवा क्योंकि जब मुख्यमंत्री अतिक्रमणकारी भू माफिया के खिलाफ उन्मूलन अभियान चलाए हुए थे तब शहडोल नयागांधी चौराहा में अतिक्रमण में तहसीलदार द्वारा पारित आदेश के तहत ₹90000 जुर्माना और अतिक्रमण हटाए जाने पर कार्यवाही 2019 से अभी तक लंबित है ।
हालांकि तत्कालीन तहसीलदार इस कार्यवाही को अंजाम दे दिए होते किंतु अतिक्रमणकारी भूमफिया-नेमचंद्र जैन का भ्रष्टाचार का चंद्रलोक की चमक से जिला आर एस एस के मुखिया अतिक्रमण को बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दिए थे और
तत्कालीन कलेक्टर ललित दायमा तथा अतिक्रमणकारी नेमचंद्र जैन कि एक घंटा चली वार्ता में एक चौकीदार की तरह (नरेंद्र मोदी की तरह चौकीदारी नहीं थी )बल्कि चंद्रलोक वस्त्रालय के गेट में बैठकर कलेक्टर और भूमाफिया के बीच में गुप्त वार्ता की चौकीदारी कर रहे थे। और नतीजा भी उन्हें मिला कि जब पुलिस अधीक्षक तथा प्रशासन मिलकर पूरा जिले में पूरा अतिक्रमण भू माफिया से हटा डाला तब चंद्रलोक के भ्रष्टाचार की चमक मे तहसीलदार द्वारा प्रमाणित और अतिक्रमण हटाए जाने के आदेश के बाद भी आज तक अतिक्रमणकारी का बाल बांका नहीं हो सका। क्योंकि आर एस एस प्रमुख एक चौकीदार के तहत सफल चौकीदारी रहे। यह अलग बात है कि कुछ लाखों रुपए के रेमंड कपड़े कई लोगों में मुफ्त में बांटे गए ताकि तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों, आर एस एस और राजनेताओं के निर्वस्त्रता को ढका जा सके।
इस तरह नकाब ओढ़कर अरमान जगाने वाले लोग कुछ इस अंदाज में अपनी-अपनी माफिया गिरी चमकाते रहते हैं ।ऐसे हालत में प्रभारी मंत्री रामखेलावन पटेल (पूर्व पत्रकार) के लिए प्रशासनिक निष्पक्षता का दायित्व दिखाने वाला बेहद चुनौतीपूर्ण दिखता है। किंतु अनुभवी राजनेता होने के नाते उनसे विंध्य प्रदेश में चल रही माफिया गिरी के स्वर्ग बने शहडोल-क्षेत्र में बहुत अपेक्षाएं स्वाभाविक रूप से जागृति होती हैं। देखना होगा वे कितने मील के पत्थर गाडे जाते है अथवा घुमक्कड़ विभाग के मंत्रालय के नाते सिर्फ घूमते फिरते चले जाएंगे...? फिलहाल उनका अभिनंदन स्वागतम बनता ही है। शुभम मंगलम।
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