बुधवार, 16 जून 2021

स्वतंत्रता में शहीद क्यों हो रहे हैं आईएएस अफसर

कर्तव्यनिष्ठ-स्वतंत्रता और ईमानदारी ....

 


खतरनाक जोखिम बना

 आईएएस 

लोकेश कुमार के लिए




क्या हमारे लोकतंत्र में अब ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए धीरे धीरे जगह खत्म होती जा रही है..? या लोकतंत्र को मारने वाला "स्लो-पाइजन" अपना रंग दिखाने लगा अन्यथा अपने ऊपर आरोप झेल रहे अयोध्या के राम मंदिर ट्रस्ट के चंपत राय को यह कहने में जरा भी शर्म क्यों नहीं आई की हम पर आरोप तो महात्मा गांधी की हत्या के भी लग चुके हैं। अथवा अगर करोड़ों हिंदुओं के चंदा से एकत्र हुई करोड़ों की राशि पर नेताओं का हिंदू का नकाब पहनकर कोई भ्रष्टाचार किया जाता है तो वह शर्म की बात नहीं है;शर्त होनी चाहिए कि वह हिंदू हो और इसके लिए उसे "सनातन हिंदू" होने की कोई जरूरत नहीं है। अगर ऐसे हिंदू में मुसलमान भी, माफिया भी और धनाढ्य पूंजीपति भी घुसकर लूटपाट करते हैं, फिर वह कोई उपाध्याय हो तिवारी हो या अंसारी हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। क्या हमारे नए इंडिया में सभ्य नागरिक होने की यही एकमात्र पहचान रह गई है....?

 अन्यथा तब शहडोल में रह चुके युवा आईएएस अधिकारी लोकेश कुमार जांगिड़ को सिर्फ इसलिए शहडोल जिले की  माफिया गिरी से टक्कर लेने पर स्थानांतरण नहीं किया जाता क्योंकि वह कानून का पालन करवा रहे थे, जो दिखने वाला था और अंदर का जो कानून था ,वह यह था कि कोई कैलाश बिश्नानी का जाति प्रमाण पत्र जो कथित तौर पर जैसा कि कांग्रेस पार्टी के रतन सोनी ने चिल्ला चिल्ला कर आरोप लगाया है कि वह फर्जी है और डॉक्यूमेंटल तौर पर प्राथमिक तौर में फर्जी ही है, उसके खत्म हो जाने का खतरा भी लोकेश कुमार जांगिड़ की कोर्ट में बना हुआ था। क्योंकि जांगिड़ इमानदार व्यक्ति थे। उसे फर्जी करार दे सकते थे तब भारतीय जनता पार्टी का सिंधी समाज का यह बड़ा चेहरा जो नगर पंचायत बुढार का अध्यक्ष है अपने पद व गरिमा को खो देते। क्या यही खतरा एकमात्र जांगिड़ के स्थानांतरण का पहला कारण बना..? तो कई कारण और भी जुड़ते चले गए और उनकी ईमानदारी मध्य प्रदेश शासन के लगभग भ्रष्ट हो चुके शासन और प्रशासन के सिस्टम के लिए खतरा साबित होने लगी। जांगिड़ के जाने के बाद किसी आईएएस में यह ताकत नहीं बची है कि वह फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर कोई इमानदार निर्णय ले सके अब तो एसडीएम का कार्यालय भी कैलाश के घर में याने बुढार में लगने जा रहा है ऐसे में एसडीएम की क्या विसात रहेगी कि वह कैलाश को हिला सके। अब अपने कम समय में दुगना स्थानांतरण की मार झेल चुके लोकेश कुमार को उनकी भारतीय लोकतंत्र के मध्यप्रदेश  में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा उनके सार्वजनिक अपमान का कारण बन रही है। क्योंकि माफिया उन्हें जीने नहीं दे रहा है और वे माफिया को सांस लेने की इजाजत नहीं दे रहे हैं।

 फिर चाहे माफिया का "किचन-केबिनट" किसी आई ए एस की पत्नी और मुख्यमंत्री की पत्नी का गठजोड़ ही क्यों ना हो..? तो नए घटनाक्रम को समझने का प्रयास करते हैं कि हमारा लोकतंत्र किस प्रकार से स्लो-पाइजन का शिकार हो रहा है... "बेबाक शक्ति" में यह बातें प्रकाश में लाई गई हैं।

(त्रिलोकीनाथ)

भोपाल:- देश में मप्र कैडर के ब्यूरोक्रेट्स को कर्तव्यनिष्ठ और बेहतर अधिकारी माना जाता रहा है। पिछले डेढ़ दशक में प्रदेश में ऐसे ब्यूरोक्रेट्स हाशिए पर रखे गए हैं जो जनता के बीच में लोकप्रिय और ईमानदार हैं। ऐसे अफसरों को फुटबॉल बनाकर यहां से वहां ट्रांसफर हो रहा है। पोस्टिंग से नाराज कई अफसर प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए हैं। वहीं कई जाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। एक युवा आईएएस अधिकारी की कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी नेताओं एवं भ्रष्ट अधिकारियों की आंख की किरकिरी बन गई है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले साढ़े 4 साल में जांगिड़ का 8 बार तबादला किया जा चुका है। इससे परेशान उक्त अफसर ने अपने गृह राज्य महाराष्ट्र कैडर के लिए 3 साल की प्रतिनियुक्ति मांगी है। 2014 बैच के आईएएस लोकेश कुमार जांगिड़ की आप बीती है। साढ़े 4 साल के कार्यकाल में जांगिड़ को सरकार ने जहां पदस्थ किया है, वहां उन्होंने जनता के बीच विश्वास अर्जित किया। कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी के कारण जांगिड़ व्यवस्था में व्याप्त भर्राशाही को समाप्त करने के लिए कठोर कदम उठाते हैं, ताकि जनता तक सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके। लेकिन व्यवस्था में घुन की तरह बैठे नेता और अफसर यह पसंद नहीं करते हैं। इस कारण उनका बार-बार तबादला कर दिया जाता है। इससे परेशान होकर जांगिड़ मप्र से पयालन करने जा रहे हैं। -ब्यूरोक्रेट्स का उठा भरोसा करीब एक दशक पहले तक मप्र कैडर में आना हर ब्यूरोक्रेट्स का सपना होता था। लेकिन अब राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ने और काम करने की आजादी नहीं होने के कारण प्रदेश में पदस्थ आईएएस अफसरों का मप्र से भरोसा उठ गया है। अब सीनियर से लेकर जूनियर आईएएस प्रदेश से पलायन कर रहे है। प्रदेश से आईएएस अधिकारियों के मोहभंग का प्रमुख कारण अफसरों पर दिन- प्रतिदिन बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप को माना जा रहा है। पिछले कुछ अर्से से एक के बाद एक कई अफसरों ने दिल्ली की राह पकड़ीद। यह अधिकारी जल्द प्रदेश भी लौटने के इच्छुक नहीं हैं। प्रशासनिक सूत्रों की माने तो देश में मप्र ही ऐसा राज्य है जहां ट्रांसफर पोस्टिंग के कोई नियम नहीं है। अधिकारी राजनैतिक दबाव में प्रताडित हो रहे हैं। -सिस्टम की प्रताड़ना के शिकार हुए जांगिड़ 2014 बैच के आईएएस अधिकारी लोकेश कुमार जांगिड़ भी उन अधिकारियों में शामिल हैं जो सिस्टम की प्रताड़ना से तंग आकर मप्र से जाने का मन बना चुके है। जांगिड़ ने पारिवारिक कारणों का हवाला देकर महाराष्ट्र कैडर के लिए 3 साल की प्रतिनियुक्ति मांगी है। केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की ओर से उन्हें हरी झंडी मिल चुकी है। अब मप्र सरकार से हरी झंडी मिलना बाकी है। -जनता के बीच लोकप्रिय दरअसल लोकेश कुमार जांगिड़ की गिनती ईमानदार और तेजतर्रार आईएएस अधिकारी में की जाती है। लोकेश जहां भी पोस्टेड रहे हैं जनता के बीच उन्होंने कुशल कठोर प्रशासनिक अधिकारी की छाप छोड़ी है। पोस्टिंग के दौरान वे एसी चेंबर से निकलकर फिल्ड पर ज्यादा रहते है। लोकेश को जितना जनता पसंद करती है उतना ही राजनेता और अधिकारी उन्हें नापसंद करते है। लोकेश का चार साल में 8 बार ट्रांसफर हो चुका है। इस बार लोकेश अपने 40 दिन में हुए ट्रांसफर से मायूस हो गए और उन्होंने मप्र छोडने का मन बना लिया। लोकेश को सरकार ने कोरोना के नियंत्रण के लिए बड़वानी में अपर कलेक्टर के पद पर पोस्टेड किया था। इस दौरान लोकेश को कोरोना प्रभारी बनाया गया। लोकेश ने जिले में कोरोना को तो नियंत्रण कर लिया। इसके साथ ही वे वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार को भी नियंत्रित करने की भूल कर बैठे, और यह भूल उनको भारी पड़ गई। नतीजा 40 रोज के अंदर उन्हें वापस भोपाल बुला लिया गया। सूत्रों की माने तो बड़वानी में कोरोना महामारी में उपकरणों की खरीदी में भारी हेरफेर हुआ था। 39 हजार के ऑक्सीजन कन्सेंट्रेटर 60 हजार में खरीदे गए। इसके साथ ही अन्य उपकरणों की खरीदी में करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ था। लोकेश ने चार्ज लेते ही भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगा दी थी। लोकेश की कार्यप्रणाली सिस्टम के ही लोगों को रास नहीं आई और उन्हें रातोरात हटवा दिया गया। -चैट हुआ वायरल सिस्टम की पोल खोलता एक चैट वायरल हो रहा है। यह चैट आईएएस एसोसिएशन के ग्रुप से हुआ है। चैट के दौरान इस बात का जिक्र किया गया है कि किस तरह एक अफसर को ईमानदारी की सजा मिली है। चैट में नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों के भ्रष्टाचार की बातें भी सामने आई हैं। -सीनियर आईएएस भी प्रताडना से अछूते नहीं कभी सरकार के संकट मोचक रहे सीनियर आईएएस मनोज श्रीवास्तव भी सिस्टम का शिकार हुए है। श्रीवास्तव को रिटारमेंट से 21 रोज पहले पंचायत विभाग से अलविदा कर दिया गया। शिवराज सरकार के बहुत करीब रहे आईएएस अधिकारी की फजीहत से दूसरे आईएएस भी आसुरक्षित महसूस कर रह हैं। ऐसे कई आईएएस अधिकारी हैं जो आज साइड लाइन कर दिए गए हैं। जांगिड़ की अब तक पदस्थापना एसडीएम – विजयपुर एसडीएम – शहडोल अवर सचिव राजस्व उपसचिव नगरीय प्रशासन सीईओ जिला पंचायत – हरदा अपर कलेक्टर – गुना अपर मिशन संचालक राज्य शिक्षा केंद्र अपर कलेक्टर – बड़वानी अपर मिशन संचालक राज्य शिक्षा केंद्र इनका कहना है :- ट्रांसफर-पोस्टिंग राज्य शासन का विशेषाधिकार है। बड़वानी से ट्रांसफर के बाद मैंने 11 जून को 3 साल के लिए महाराष्ट्र कैडर में प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन किया है- लोकेश कुमार जांगिड़ ।


मध्य प्रदेश से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अफसरों का मोहभंग भोपाल:-प्रदेश में पदस्थ मध्य प्रदेश कैडर के करीब आधा दर्जन से अधिक आईएएस अधिकारियों ने मप्र से अन्य प्रदेशों में जाने का मन बना लिया है। इसमें कुछ को जहां सफलता मिल गई है वहीं कुछ अभी भी केंद्र और राज्य सरकार की अनुमति के इंतजार में हैं। प्रदेश से आईएएस अधिकारियों के मोहभंग का प्रमुख कारण अफसरों पर दिन-प्रतिदिन माफियाओं के हमले और बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप को माना जा रहा है।उल्लेखनीय है कि अन्य प्रदेशों की अपेक्षा मध्य प्रदेश में शांति और शुकून को देखते हुए प्रदेश में पदस्थ आईएएस अफसरों का प्रदेश से भरोसा उठ गया है। गत फरवरी में प्रदेश के चंबल संभाग के तहत मुरैना के बामोर में आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार की खनिज माफिया द्वारा तथाकथित हत्या के बाद प्रदेश के आईएएस अफसरों का मोहभंग हो गया है। इस हत्या के बाद नरेंद्र कुमार की आईएएस पत्नी मधुरानी तेवतियां ने प्रदेश सरकार को आवेदन देकर कैडर बदलने की मांग की है। उन्होंने कहा कि उन्हें पारिवारिक कारणों से मध्य प्रदेश में सेवा देना मुश्किल पड़ रहा है। ऐसे में उनका मध्य प्रदेश कैडर बदल दिया जाए। बताया जाता है कि श्रीमती तेवतिया दिल्ली में पदस्थापना चाहती हैं। उन्होंने सरकार को दिए आवेदन में कहा है कि उनका ससुराल पक्ष यूपी में है ऐसे में वह मप्र में इन परिस्थितियों में सेवाएं देने में परेशानी महसूस कर रही हैं। हालांकि, प्रदेश सरकार ने अभी तक उनके आवेदन पर फैसला नहीं किया है। इसके साथ ही प्रदेश में पदस्थ मप्र कैडर के अन्य आईएएस अधिकारियों ने भी कैडर चेंज करने का आवेदन दिया है, जिसमें कुछ को स्वीकृति भी मिल गई है। इस मामले में सागर कलेक्टर डॉ. ई रमेश कुमार अपना कैडर चेंज करवा लिया है। वह अब अपने गृह प्रदेश आंध्र प्रदेश में सेवाएं देंगे। इसके साथ ही हाल ही में छिंदवाड़ा में पदस्थ कलेक्टर पवन शर्मा भी अपना कैडर चेंज करवा चुके हैं। उन्हें इसमें सफलता भी मिल चुकी है और वह वर्तमान में दिल्ली नगर निगम में उपायुक्त के पद पर पदस्थ हैं।. कलेक्टर और सीईओ भी कतार में
प्रदेश में पदस्थ एक कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी भी कैडर बदलने के इंतजार में हैं। इनमें 2000 बैच की सोनाली वायंगणकर शाजापुर कलेक्टर हैं वहीं भोपाल जिला पंचायत में सीईओ के पद पर पदस्थ आयरिन सिंथिया जेपी ने भी अपना कैडर बदलवाने का आवेदन दिया है। वह अपने गृह प्रदेश केरल के समीप राज्य तमिलनाडू में सेवाएं देना चाहती हैं। ज्ञात हो कि उनके आईएएस पति वहीं पर पदस्थ हैं। उधर, शाजापुर कलेक्टर वायंगणकर ने अपने आवेदन में पारिवारिक कारणों के चलते कैडर बदलने की मांग की है। वह महाराष्ट्र कैडर में जाना चाहती हैं। वह महाराष्ट्र की ही रहने वाली हैं और परिवार के साथ रहने की इच्छा के चलते उन्होंने यह निवेदन सरकार से किया है। वहीं श्योपुर कलेक्टर ज्ञानेश्वर बी पाटिल ने भी अपना कैडर बदलने की मांग की है। इतनी अधिक संख्या में आईएएस अधिकारियों द्वारा कैडर बदलने की मांग से प्रदेश सरकार भी सकते में हैं।. आईएएस एम. गीता का अनोखा मामला
प्रदेश से जहां एक ओर आईएएस अधिकारियों का मोहभंग होता जा रहा है और वह एक के बाद एक कैडर बदलवाने के लिए सरकार के पास आवेदन कर चुके हैं वहीं प्रदेश में पदस्थ एक कलेक्टर ऐसी भी हैं, जिन्हें मध्यप्रदेश इतना रास आ गया कि वह बुलाने और विवाद के बाद भी प्रदेश छोडऩा नहीं चाहतीं, जबकि वह मध्य प्रदेश के मूल निवासी नहीं हैं। मामला उज्जैन में पदस्थ कलेक्टर एम. गीता से जुड़ा हुआ है। मूलत: केरल निवासी एम. गीता को छत्तीसगढ़ कैडर आवंटित है, लेकिन वह मध्य प्रदेश छोडक़र वहां जानेे से साफ मना कर चुकी हैं, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार एम. गीता की सेवाएं वापस मांग रही है, लेकिन मप्र सरकार ने कोर्ट के स्टे का तर्क देकर इससे इनकार कर दिया है और फिलहाल उन्हें उज्जैन में कलेक्टर जैसे महत्वपूर्ण पद पर पदस्थ किया हुआ है।

(समाचार स्त्रोत सौजन्य व धन्यवाद :- बेबाक शक्ति और emsindia&mp2day)




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