रविवार, 2 मई 2021

हफ्ते मे 6000 अनुमान के आधे दर्ज हुए सक्रिय मरीज

 

शहडोल क्षेत्र कोरोनावायरस 


हफ्ते मे 6000 अनुमान के आधे ही दर्ज हुए सक्रिय मरीज


 कुशल प्रबंधन ने आश्वासन की खबर ने दिया संतोष.....

(त्रिलोकीनाथ)


यदि उपलब्ध आंकड़ों पर विश्वास किया जाए तो शहडोल क्षेत्र में उमरिया जिले के आईएएस अथवा आईपीएस या उस क्षेत्र के तमाम लोगों की यह सफलता ही कहलाएगी की बीते 1 हफ्ते में जबकि कोरोना का पिक-रफ्तार में बड़ा होना चाहिए,तब कोरोनावायरस से मृत व्यक्तियों  की गति को जैसे रोक लगा दिया है। बीते रविवार तक को जहां 41 व्यक्ति मृत्यु दिखाए गए थे इस रविवार तक सिर्फ 44 व्यक्ति बढे है यानी तीन व्यक्ति ही बीते 1 हफ्ते में कोरोना से उमरिया में  मृत पाये गए हैं। 

और पिछले मंगलवार से आज तक उमरिया जिले में कोरोना से सिर्फ एक भी व्यक्ति मृत  हुआ है। यह  खबर उमरिया जिले के कुशल प्रबंधन का हिस्सा कहा जा सकता है। जब कि हफ्ते भर के अंदर शहडोल में 23 व्यक्ति, अनूपपुर में 18 व्यक्ति कोरोना से मृत हो गए हैं।

 इस प्रकार संयुक्त शहडोल जो मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 17324 संक्रमित व्यक्तियों के साथ पांचवा प्रभावित क्षेत्र होने के बाद भी अनुमान के खिलाफ संपूर्ण प्रबंधन को सफलता मिलती दिखाई दे रही है कि उनके प्रयास आंकड़ों में शानदार सफल हुए हैं । जो आमजन के लिए राहत भरी खबर है। इसी तरह शहडोल क्षेत्र में कुल संक्रमित व्यक्तियों की संख्या में 1 हफ्ते के अंदर 3319 मरीजों की वृद्धि हुई तथा इससे ज्यादा कुशल प्रबंधन के चलते 3209 व्यक्तियों को ठीक भी किया गया है। जो कोरोनावायरस के पीक टाइम मे पहुंचने के पहले ही काफी नियंत्रित हो गया है।

 यह खबर राहत देने वाली खबर साबित हो रही है और हो भी क्यों ना अगर पुराने शहडोल जिले को तोड़कर नए जिलों का गठन नहीं होता तो शायद कोरोनावायरस की इस तीव्र रफ्तार में कई आईएएस, कई आईपीएस अधिकारी संभाग को नहीं मिलते। जो अपनी योग्यता और क्षमता के प्रबंधन के जरिए इस आदिवासी अंचल में 25 अप्रैल के अनुमानित 15 दिनों में 12000सक्रिय मरीजों की वृद्धि के खिलाफ जाकर इस हफ्ते में 6000 के मुकाबले आधे से3102  व्यक्तियों को संक्रमित सक्रिय मरीजों के आंकड़ों में दर्ज किया। और कुशल प्रबंधन में जब हम कोरोना पर रोक लगा पाएंगे। उम्मीद करना चाहिए सब कुछ बहुत शानदार तरीके से नियंत्रण के अधीन ठीक होता चला जाएगा।

 यह एक सकारात्मक खबर होने के साथ सुखद व आश्वासन देने वाली सूचना भी है की सब अच्छा हो रहा है ।यदि आंकड़े सत्य हैं; और अगर अर्ध सत्य हैं तो भी संतोष करना चाहिए कि हम भयानक कल्पना के रेंज के बाहर हैं ।किंतु अगर सत्य की परछाई कुछ और है तो उम्मीद करना चाहिए की आशा पर आकाश टिका है सब कुछ बेहतर होगा क्योंकि वास्तविक धरातल पर जो हो रहा है उसे आम जनता ही देख सुन और समझ सकती है। तो सबसे बेहतर किसी सुखद खबर में बहुत विश्वास न करके अपने आत्मविश्वास के जरिए अपने सोशल डिस्टेंसिंग को जागरूक तरीके से बना कर रखिए मास्क केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की एडवाइजरी के हिसाब से अब तो घर के अंदर भी पहनना चाहिए। लेकिन अगर आपको शर्म आती है तो बेहतर है कि घर के बाहर कदम रखने पर आपका मास्क आपके मुंह और नाक की सुरक्षा कर सके । ताकि बाहर खड़ा करोना आप पर हमला न कर पाए । 

क्योंकि कोरोनावायरस अब सामूहिक हमला कर रहा है ऐसा लोक ज्ञान में धारणा बना कर स्वयं की परिवार की और गांव समाज की सुरक्षा का दायित्व सिर्फ आप पर ही है याने एक व्यक्ति कि अपनी सुरक्षा दूसरे की सुरक्षा की गारंटी है।



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