सोमवार, 2 नवंबर 2020

शहडोल में भी हुआ था लवजिहाद..( त्रिलोकीनाथ)

शहडोल में भी हुआ था लवजिहाद..?,

हिंदुत्व-सरकार रही टांय-टांय फिश....



(त्रिलोकीनाथ)

इन दिनों लव जिहाद का धंधा जोरों पर चल रहा है उत्तर प्रदेश के कट्टर हिंदू का दावा करने वाली योगी सरकार के मुखिया ने बड़ा बयान दिया है किंतु हिंदुत्व की सरकारों में एक दुखद घटना शहडोल में भी घटी जिसका दूरगामी असर पड़ेगा ही पड़ेगा

 कोरोना के दौर में सिर्फ कोरोनावायरस ही भय पैदा नहीं किया शहडोल में एक परिवार ऐसा भी था प्रतिष्ठित परिवार जो लवजिहाद का शिकार हो गया। कहने के लिए हिंदुत्व और आर एस एस की प्योर सरकार जो 16-17 वर्ष से मध्यप्रदेश में अपना हिंदुत्व का सुशासन चलाई और उत्तरप्रदेश में कट्टर हिंदुत्व की सरकार इसदौर उस दोनों सरकारों में की पुलिस ने लवजिहाद को रोकने में नाकाम रही। ऐसा भी नहीं है कि हिंदुत्व के संगठन जो अलग-अलग रूप में, नाम में है उन्होंने इस पर संज्ञान नहीं लिया.... बावजूद इसके कट्टर हिंदुत्व की उत्तरप्रदेश की सरकार लाचार, बेबस और सिर्फ भ्रष्ट दिखी..। जिसका बड़ा खामियाजा शहडोल के एक बड़े परिवार में पड़ा और अंततः हिंदुत्व के ठेकेदारों के बीच में ठीक  उसी तरह अपनी लड़की को शिकारियों के हाथ में सौंपना पड़ा जिस प्रकार से लवजिहाद के शिकारी पूरे कानूनी स्वरूप में शहडोल की लड़की का शिकार कर ले गए। क्योंकि वह युवक और युवती कानूनी शादी की उम्र पार कर चुके थे। बचाकुचा एक  अधिवक्ता ने भूल भुलैया का वातावरण बनाकर उत्तरप्रदेश के उस शहर में उन्हे गुमा दिया।

 ऐसे हालात में जबकि इस्लामी कट्टरपंथी हिंदू लड़की का अपहरण कर ले कर ले जा रहे थे उस दौर में उस लड़की से मुलाकात कराने का एक भी अवसर ना तो मध्यप्रदेश के हिंदुत्व और आर एस एस की सरकार ने जिम्मेदारी उठाई और ना ही उत्तरप्रदेश के कट्टर हिंदू का नकाब पहन कर काम करने वाली सरकार ने कोई सहूलियत प्रदान की।

 इसमें यह तर्क भी खड़ा नहीं किया जा सकता की  हिंदू लड़की का पक्ष भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा नहीं था... बावजूद इसके क्योंकि ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से ज्यादा निजी राजनीतिक हित मात्र कोई प्रगट नहीं हो पा रहे थे इसलिए हिंदू लड़की का पक्ष उत्तर प्रदेश में वास्तविक परिस्थितियों देखने के बाद भी कि मुस्लिम युवक की आर्थिक हालात बहुत जर्जर है और वह हिंदू लड़की की वर्तमान रहन-सहन की स्तर को पार भी नहीं सकता शहडोल का परिवार शिकंजे में फंसी लड़की को तथाकथित लव जिहाद से मुक्त नहीं करा पाया क्योंकि उत्तर प्रदेश में अधिवक्ता ने व कायदे लड़की को तब तक दूर रखने का काम किया जब तक कि न्यायालय में संरक्षण पाने की कानूनी सहूलियत लड़की को ना मिल जाए क्योंकि यह प्रदर्शित किया गया कि लड़की को अपने मां-बाप से ही जान का खतरा है इसका एक पक्ष इसलिए भी ज्यादा गंभीर है की लड़की ने एक मोटी रकम लेकर के मुस्लिम युवक के बहकावे में आकर अपने परिवार को और उसकी शान शौकत तथा इज्जत को धता बताते हुए अपहृत हो गई या ने जानबूझकर चली गई और उस घेराबंदी में जा पहुंची जहां उसे समझाया गया कि अब उसे अपने हिंदू परिवार से जान का खतरा है यदि कट्टर हिंदू उत्तर प्रदेश की सरकार से संरक्षण का आश्वासन सांगठनिक तौर पर होता या फिर हिंदू संगठनों के जरिए वह गाजीपुर में संरक्षित होती है तो उसकी मन है स्थिति सोचने और समझने की भिन्न होती सिर्फ यह कह देना की लड़की और लड़के बालिग हैं ऐसे किसी कथित लव जिहाद में फंसा कर कोरोना के भयानक कार्यकाल में हिंदू परिवार कट्टर हिंदू  सरकार मैं अपने अधिकार को लेकर परिवार सहित जान में जोखिम डाल कर घूमती रही यदि एक व्यक्ति को भी कोरोना तो हालात वितरित हो जाते अंततः यह मानकर हिंदू परिवार ने लड़की को दूरी बना ली कि अब उसके बस में उत्तर प्रदेश के हिंदू सरकार कोई संरक्षण नहीं दे पाएगी लेकिन यहां पर यह देखना अहम होगा कि क्या ऐसे लव जिहादी भविष्य में लड़की की ओर से उसके मां बाप की संपत्ति पर हक नहीं जम आएंगे तो क्या यह माना जाए हिंदू लड़की को बहला-फुसलाकर कोई राह चलते व्यक्ति न सिर्फ लड़की को अपहृत किया बल्कि उसके साथ एक मोटी रकम भी निकलवा कर अपने खाते में ट्रांसफर करवाया और भविष्य में जब लड़की का परिवार कमजोर या वृद्ध हो जाएगा तब लड़की अपने हक के लिए कानूनी नकाब पहनकर मां-बाप की धन संपत्ति मेहक नहीं जब आएगी जो वास्तव में उस रोड छाप मुस्लिम युवा की लूटी हुई संपत्ति मानी जाएगी ...।यह अलग बात है कि ।हर कोई लड़की "गुलाबो-सिताबो" की बेगम फातिमा नहीं है कि वह जीवन के अंतिम दौर में ऐसे लोभी आशिकों को भी धता बता देते हैं। इस तरह वर्तमान में लव जिहाद के धंधे पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आशा की किरण बनकर नजर आते हैं यह अलग बात है कि यह भी हिंदुत्व का झुनझुना ना साबित हो जाए......

 (इस आलेख को लिखने का उद्देश्य किसी परिवार को दुखी करना नहीं है बल्कि दुखत परिवार की आत्मीयता के साथ अन्य परिवारों को सबक सीखने की जरूरत है कि राजनीतिज्ञों से निजी मामलों में बहुत आसान लेकर काम नहीं करना चाहिए बल्कि स्वयं का संरक्षण स्वयं करना चाहिए)



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