एक नकारात्मक सोच....
याने एक भयानक सपना.....
...तो साडे तीन करोड़ संक्रमित और साडे पांच लाख मरे लोगों की लिस्ट का भयानक सपना दिखता ...
(त्रिलोकीनाथ)
भारत में "हिंदुत्व-ब्रांड" के लोगों की सरकार है जिनका अपना सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है.... स्वभाविक है पितर पक्ष को मानते होंगे.... पितृपक्ष समापन की ओर है तो क्या हम आध्यात्मिक दुनिया की दूसरे पक्ष को ध्यान में रखकर कुछ ईमानदारी से सोच ले...? कोई बात नहीं है ना सोचे.... तो एक भयानक सपना ही देख ले...
शायद इस झूठ में कोई ताकत मिल जाए। तो आइए एक झूठ को टटोलने का प्रयास करते हैं.... जैसे अयोध्या का कोरोनाराम का बनने वाला मंदिर एक झूठ का साकार रूप है (क्योंकि वास्तविक राम तो मेरे दिल में है मेरी आत्मा उन्हीं का प्रतिबिंब है )वैसे ही इस झूठ को भी देखते हैं....
वर्ल्डोमीटर की माने तो भारत (हमारी) की कुल आबादी 1 अरब 38 करोड़ से ज्यादा है जबकि अमेरिका (यू एस ए) की कुल आबादी 33 करोड़ से ज्यादा है। अमेरिका ने 9 करोड़ से ज्यादा अपने नागरिकों के कोविड-19 का टेस्ट किया जिसमें से 66 लाख से ज्यादा संक्रमित नागरिक होने के कारण वह दुनिया का पहला संक्रमित बड़ा राष्ट्र माना गया है।कुल संक्रमण के टेस्ट किए लोगों के संख्या अमेरिका की एक चौथाई आबादी के हालात को बताता है।
भारत में एक चौथाई आबादी करीब 33 करोड़ से ज्यादा होती है। भारत में कुल टेस्ट करीब 6 करोड़ होने को है जिसमें से वह दुनिया का दूसरा बड़ा संक्रमित राष्ट्र का तमगा लेकर बैठा है। अगर अपनी एक चौथाई आबादी जैसा कि अमेरिका ने टेस्ट किया हुआ है, करता तो 33 करोड़ से ज्यादा लोगों का टेस्ट हो गया होता। अमेरिका ने अपनी आबादी का करीब 27% प्रतिशत लोगों का टेस्ट कराया है। भारत ने अपनी आबादी का करीब 4% लोगों का टेस्ट कराया है। जो अमरीकी तुलना में 7 गुना कम है।
यानी हम अपने संक्रमित लोगों की संख्या की वर्तमान अनुमान को आकलन करें अमेरिका की नजर से तो परिस्थितियां भयानक सपने की तरह सामने आती हैं। तो चलिए पहले देख लेते हैं भारत और अमेरिका के क्या हालात..... और जो हालात हैं उससे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनल पागलों की तरह टीवी स्क्रीन को तोड़-फोड़ कर के बाहर निकल आएगा। लेकिन सभी इलेक्ट्रॉनिक चैनल का एक विचारधारा का मालिक है इसलिए वे वही डिबेट करते हैं जो उनका मालिक उनको निर्देशित करता है यह भारतीय "चमचा चैनल मीडिया" की विशेषता है। तो अद्यतन हालात क्या है.....
अब भयानक सपना का अनुमान लगाते हैं, 7 गुना ज्यादा ,तो अद्यतन वर्तमान गणना अमेरिका का देखें तो कुल संक्रमित व्यक्ति 66 लाख 77 हजार से ज्यादा है मृतकों की संख्या एक लाख 98 हजार से ज्यादा है भारत में यह संख्या करीब 6 करोड टेस्ट किए हुए व्यक्तियों पर 47 लाख 64 हजार से ज्यादा है मृतकों की संख्या करीब 79000 पहुंच रही है भयानक सपना देखने के लिए हमें सिर्फ अपनी गणना में 7 गुना इजाफा करना पड़ेगा... क्योंकि अमेरिका ने 27% लोगों पर टेस्ट किया है और हमने 4% लोगों पर ही टेस्ट किया है... तो अंतर की गणना करीब 7 गुना हो जाती है.....
ऐसे में भारत में तीन करोड़ 34 लाख से ज्यादा संक्रमित व्यक्तियों का आंकड़ा निकल कर आता है जबकि मृतकों की संख्या साडे 5 लाख के करीब दिखती है..... ओह, यह भयानक सपना.... क्या हम देखने में सक्षम हैं.....?,
नहीं, इसलिए बिस्तर ओढ़कर भूत के डर से रजाई में छुपकर अपने आप को सुरक्षित कर लेना और रजाई के अंदर मोबाइल में कंगना रनौत का, तो कभी रिया चक्रवर्ती का सपना वीडियो बनाकर भारत की सर्वोच्च सुरक्षा के घेरे में मुंबई को पीओके बनाकर, रनौत को घुमाना, ऐसे सपने देखते रहना चाहिए.... इससे मन व्याकुल नहीं होता...
अगर व्याकुल होता है तो 65 करोड़ का मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तरह एक हवाई जहाज खरीद कर हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर के साथ पूरे प्रदेश में घूम कर उपचुनाव का प्रचार करना चाहिए... यह भी एक अच्छा सपना है... इसमें भयानक सपने का डर तो नहीं होगा....
अब यह अलग बात है कि जब हेलीकॉप्टर शहडोल मेडिकल कॉलेज के ऊपर से गुजर रहा है तो वह आपको डरा दे... क्योंकि वहां भी लोग मर रहे हैं, अव्यवस्था, अराजकता उतनी ही है जितनी इस भयानक सपने के अंदर में पूरे देश में दिख रही है.... यह अलग बात है की आम नागरिकों के लिए यह सब सच है।
जबकि नेताओं की गर्दन किसी शुतुरमुर्ग की तरह ऊपर खड़ी होती है और यह शुतुरमुर्ग, चल रही है आंधी में अपना सिर रेत में घुसेड़ देता है ताकि उसे आंधी का आभास ना हो। और जब आंधी चली जाती है तो वह फिर इस घमंड से रेगिस्तान में घूमता है कि वह यहां का बादशाह है।
हमारे राजनेता कुछ इसी अंदाज में काम करते दिख रहे हैं।
अन्यथा, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कोरोना वा जीडीपी के साथ रमण करते हुए कोविड-19 के चलते देश में खत्म हो रही नौकरियों पर जवाबदेही फिक्स करने की वजाय सभी नौकरियों को खत्म करने का ऐलान करती हैं तो उन्हें यह ऐलान करने में क्यों शर्म आती है कि विधायकों और सांसदों की संख्या तत्काल होने वाले चुनाव के मद्देनजर रिक्त किए जाते हैं। या फिर निलंबित रखे जाने का प्रस्ताव भेजती....., जिसे चुनाव आयोग जो उनका अपना ही है, स्वीकार कर लेता। तथा जिस प्रकार से नौकरियां कम हो गई हैं उसी प्रकार से विधायकों के पद आधे या 1 चौथाई क्यों न कर दिए जाएं.....? आदि आदि.... विकल्प होते ।उन्हें चिन्हित किया जाता है। किंतु तब अपने "अदृश्य बॉस" के लिए प्रस्ताव पारित करना या तो सरल हो जाता है फिर कठिन हो जाता......?
किंतु भयानक सपना और मौत का खौफनाक मंजर सिर्फ जनता के लिए है.... नेताओं के लिए शायद नहीं.... इसलिए वह आम जनता पर नौकरियों का प्रहार करती हैं.... यह सत्ता की भारतीय राजनीति में संवेदनशीलता के पतन होकर मर जाने का का प्रमाणपत्र भी है।
जिस प्रकार आदिवासी क्षेत्र में तमाम अव्यवस्था, अराजकता और संवेदनहीनता को 1000 करोड़ रुपए के नवीनतम अत्याधुनिक शहडोल मेडिकल कॉलेज में कुप्रबंधन के हवाले करके शहडोल मेडिकल कॉलेज को बदनाम किया जा रहा है... उसी तरह लोकतंत्र को राजनेता बदनाम कर रहे हैं, ताकि लोकतंत्र के प्रति आस्था वैसे ही खत्म हो जैसे कि शहडोल मेडिकल कॉलेज की आस्था खत्म होती चली जाएगी....,
फिर चलेगा मेडिकल कॉलेज को बेचने का नया कारोबार.... क्या यह गिद्धों की सरकार है.....?
यह भी एक सपना है ....और सपने की अभिव्यक्ति भी, उस अभिव्यक्ति की तरह है जिसे कंगनारनौत ने हवाई जहाज मैं बैठे-बैठे ट्वीट किया था। और उसे सरकारी सुरक्षा में कोई अमित शाह, आजाद भारत के "पीओके" में पहुंचाया था। यह अलग बात है कि अमित शाह फिर से कोविड-19 के तथाकथित शिकार हो गए हैं। यह भी एक सपना है....।
तो सपना एक और देखने की इच्छा पड़ती है.... उन्हें कोविड-19 अभी तक क्यों नहीं हुआ... जो भारत के लोकतंत्र को कठपुतली की तरह अपनी उंगली से पूंजीपति वर्ग नचा रहा है... क्या उसे मालूम है कि कोविड-19 का खेल कैसे चलता है.....?
यह सपना हमें नहीं दिखा.... दुखद है, हम अच्छे सपना-बाज भी न बन सके...., सिर्फ आदिवासी क्षेत्र के आदिवासी पत्रकार होने के नाते यह सत्य को देख पा रहे हैं कि कैसे बिना मध्यप्रदेश की सरकार के साथ खनन का अनुबंध किए बिना रिलायंस कंपनी सरकारी अफसरों की सहायता से गैस का उत्पादन कर रही है.....?
हे अंबानी.., हमें भी शरण में लो.... जैसे सत्ता को शरण में लिया है... हमें भी जीने दो.. हम भयानक सपना नहीं देखना चाहते....
जब आंख खुली, तब सपना टूट गया था....
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