कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोरोना पर चर्चा की सीरीज के तहत गुरुवार को बजाज ऑटो के एमडी राजीव बजाज से बात की
। इस चर्चा को लेकर बजाज ने खुलासा किया कि एक दोस्त ने उन्हें राहुल गांधी से बात नहीं करने की सलाह दी थी। दोस्त ने कहा था कि राहुल से बात करके मुश्किल में फंस जाओगे, लेकिन मैंने कहा कि हम सिर्फ बिजनेस, इकोनॉमिक्स और लॉकडाउन जैसे मुद्दों पर बात करेंगे। हालांकि, बजाज ने दोस्त का नाम नहीं बताया।
राहुल से चर्चा मेंबजाज ऑटो के एमडी राजीव बजाज ने कहा- "कोरोना सनसनी इसलिए बना, क्योंकि विकसित देशों के अमीर इससे प्रभावित हैं। लोग कह रहे हैं कि टीबी, निमोनिया और डायरिया जैसी बीमारियों से भारत में लाखों बच्चों की मौत होती है, लेकिन कोरोना ने विकसित देशों को सीधे प्रभावित किया है। जब अमीर और मशहूर लोगों पर असर पड़ता है तो ये हमेशा हेडलाइन बनती है। कोरोना की शुरुआत में किसी ने कहा था कि अफ्रीका में हर दिन 8 हजार बच्चे भूख से मरते हैं, लेकिन कौन परवाह करता है?"
दूसरे देशों के मुकाबले भारत में लॉकडाउन बहुत सख्त: बजाज
बजाज का कहना है कि दूसरे देशों के मुकाबले भारत में लॉकडाउन का तरीका बहुत सख्त था। ऐसा मैंने किसी देश के बारे में नहीं सुना। दुनियाभर में मेरे दोस्त घरों से निकलने को फ्री थे। एक पुलिस अफसर से मेरी चर्चा में ये जिक्र हुआ कि भारत में हेलमेट नहीं पहनने के 99.9% मामलों में कोई कार्रवाई नहीं होती, लेकिन लॉकडाउन में कोई ताजा हवा लेने के लिए बिना मास्क पहने निकला तो उसे डंडे मारे गए।
बजाज का कहना है कि दूसरे देशों के मुकाबले भारत में लॉकडाउन का तरीका बहुत सख्त था। ऐसा मैंने किसी देश के बारे में नहीं सुना। दुनियाभर में मेरे दोस्त घरों से निकलने को फ्री थे। एक पुलिस अफसर से मेरी चर्चा में ये जिक्र हुआ कि भारत में हेलमेट नहीं पहनने के 99.9% मामलों में कोई कार्रवाई नहीं होती, लेकिन लॉकडाउन में कोई ताजा हवा लेने के लिए बिना मास्क पहने निकला तो उसे डंडे मारे गए।
'हमारे यहां सच्चाई के मामले में कमी रह गई'
हमने इटली, फ्रांस, यूके को फॉलो किया, लेकिन वे बेंचमार्क नहीं हैं। उन देशों की जन्मजात बीमारियों, तापमान, जनसंख्या और भौगोलिक परिस्थितियां अलग हैं। कोई भी ये बताने को तैयार नहीं था कि कितने लोग खतरे में हैं? नारायण मूर्ति जी हमेशा कहते हैं कि जब संदेह हो तो खुलासा करना चाहिए। मुझे लगता है कि हमारे यहां खुलासा, तर्क और सच्चाई के मामले में कमी रह गई है।
हमने इटली, फ्रांस, यूके को फॉलो किया, लेकिन वे बेंचमार्क नहीं हैं। उन देशों की जन्मजात बीमारियों, तापमान, जनसंख्या और भौगोलिक परिस्थितियां अलग हैं। कोई भी ये बताने को तैयार नहीं था कि कितने लोग खतरे में हैं? नारायण मूर्ति जी हमेशा कहते हैं कि जब संदेह हो तो खुलासा करना चाहिए। मुझे लगता है कि हमारे यहां खुलासा, तर्क और सच्चाई के मामले में कमी रह गई है।
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