शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

चाहिए मध्यप्रदेश में तत्काल एक स्वास्थ्य मंत्री...... (त्रिलोकीनाथ)


इति आदिवासी क्षेत्रे....
चाहिए मध्यप्रदेश में तत्काल 
एक स्वास्थ्य मंत्री......
(त्रिलोकीनाथ)

      कोरोना महामारी के भारत पर आक्रमण के दौरान 20 तारीख के मतदान को लेकर जब सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश में विधायिका के लिए फ्लोर-टेस्ट की बात का आदेश किया था, उसमें उन्होंने नहीं कहा था की स्वास्थ्य मंत्री का साथ में शपथ होना चाहिए, यह न्यायालय त्रुटि इसलिए भी नहीं  मानी जा सकती है क्योंकि याचिकाकर्ता ने देश में फैल चुके कोरोना को गंभीरता से न्यायालय में नहीं दिखाया था, किंतु विधायिका की भी अपनी जिम्मेदारी है.... कि इस महामारी से निपटने के लिए चाहता तो एक उपमुख्यमंत्री स्तर का स्वास्थ्य मंत्री ही बैठा देते.... ताकि वह सतत निगरानी करते हुए मुख्यमंत्री को यह आश्वस्त करते कि सब कुछ ठीक चल रहा है....
 क्योंकि भोपाल के पास इंदौर में बहुत कुछ ठीक नहीं चल रहा है। प्रशासनिक परिवर्तन के बावजूद भी गति थम नहीं रही है। तो संदेश ही है जो बहुविकल्पी प्रबंध को मदद करता है क्या इसकी जरूरत नहीं है की तत्काल एक स्वास्थ्य मंत्री और उसके अधीन सहयोगियों का दल जवाबदेही के लिए हर स्तर पर निगरानी करें.....
 कार्यपालिका अपना दायित्व का निर्वहन जिस सतर्कता से कर रही है वह बेहद प्रशंसनीय है.... बेहद संवेदनशील होते जा रहे मामले में प्रशासन की धैर्यता के लिए सतत विधायिका का संरक्षण और जवाबदेही दिखाने वाली होनी ही चाहिए थी, महामारी के दौरान होने वाला सत्य और दिखाने वाला सत्य दोनों बराबरी से चलना चाहिए.... जिसमें शायद हम सब चूक रहे हैं....

 रामनवमी पर आपको भी बहुत शुभकामनाएं,  जब हम किसी उत्सव में त्यौहार में शुभकामनाएं देते हैं तो उसका प्रतिउत्तर ऐसा ही होता है..।यदि कोई शुभकामना संदेश देता है.., ।
शिवराज सिंह चौहान हमारे मुख्यमंत्री हैं अगर उन्होंने रामनवमी की शुभकामना दे रहे हैं हमारा भी फर्ज होता है कि हम ऐसा करें ....।अच्छा है इसमें, एक संवाद बनता है और रामनवमी के दिन इस संवाद का होना भी जरूरी है... इसलिए हम शुभकामना भी दे रहे ....।

  इस शुभ कामना के साथ यदि प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था को दुरुस्त करने वाली संपूर्ण प्रबंधन का बुनियादी ढांचा शीर्ष स्तर से निचले स्तर तक सुनिश्चित करने का प्रदर्शन होता तो इस महामारी से निपटने में हमारा आत्मबल आपकी शुभकामना में परिवर्तित हो जाता। जो फिलहाल होता नहीं दिख रहा है...

 और ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य शासन के पोर्टल में स्वास्थ्य मंत्री की फोटो नहीं है...


.... यह स्थान रिक्त है... आप तो मुख्यमंत्री हैं, बिल्कुल सच है कि आप स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी को सर्वोच्च प्राथमिकता से देख रहे हैं... तो आपकी ही फोटो दोबारा लग जाती तो हमारा यह अंदेशा मिट जाता कि प्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री नाम की कोई फोटो है...।

यह इसलिए भी कहना जरूरी है क्योंकि पूरे देश में रिकवर होने के मामले सामने आ रहे हैं ....
...तो मध्यप्रदेश के आंकड़ों में रिकवर होने के मामले निल दिखाई दे रहे हैं...? 

यदि मॉनिटरिंग की कसावट पूरी संवेदना के साथ और अच्छी होती यदि मंत्रालय बैठक करके लोकज्ञान से संभावनाओं की तलाश के लिए आदिवासी विरासत की ज्ञान को भी सूत्र रूप में लेकर पिछले 10 दिनों में कुछ आगे बढ़ा होता वैज्ञानिक पुष्टि करते हुए जड़ी बूटियों पर काम किया होता... तो शायद परिणाम बेहतर होते...
 जब हम त्रेता युग के राम को याद कर रहे होते हैं, तो उस युग के भलाई वह रक्ष संस्कृति का सुषेन वैद्य था, उसका अपहरण करके हनुमान जी महाराज ने राम के भाई लक्ष्मण को ठीक करने का काम किया था।
 क्या हम अपनी आदिवासी विरासत की ज्ञान को तिलांजलि दे चुके हैं... और हां तो रामनवमी और राम के युग का आदर्श, क्या दिखावा मात्र नहीं रह गया है..... यह चिंतन बड़ा विरोधाभासी है कि हम अपने राम से सिर्फ अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए उनका उपयोग करने लगे हैं... उनकी संपूर्ण विरासत को हम नहीं स्वीकार करते।
 यह राम ही हैं जो मानव के उद्धार के लिए जंगल-जंगल भटके, जोखिम भी था छोटा भाई भी हमले में प्राय: मृत हो गया था...किंतु इन्हीं जड़ी बूटियों ने जो हमारे मध्य प्रदेश में भरी पड़ी हैं.. उनके विद्वान लोकज्ञानी भी भरे पड़े हैं..... जिनका समुचित सम्मान आज तक  नहीं हुआ है। जरूरत है कि हम उस लोक ज्ञान को विकल्प के रूप में, वैकल्पिक प्रयोग के रूप में जरूर विचार करें.... 
चूंकि हम भगवान राम के वनपथ गमन क्षेत्र के निवासी हैं, विशेष आदिवासी क्षेत्र के निवासी हैं, इसलिए हमें संभावना यहां भी दिखती है... किंतु यह तब होगा ना जब कोई स्वास्थ्य मंत्री हमारे स्वास्थ्य के बारे में अलग से बैठकर सोचेगा...
 और मंथन करेगा... अपनी गलत-शलत, अच्छी-बुरी.. रिपोर्ट अपने मुख्यमंत्री को सौंपेते, तब मुख्यमंत्री जी को निष्कर्ष लेने का अवसर मिलेगा... शायद स्वास्थ्य मंत्री के ना होने से यह अवसर चूक रहा है.... मैं तो एक कदम आगे चलकर सोचता हूं कि क्या कारण है कि हमारे लोकज्ञानी लोग विद्या धन का अभिमानी समाज जड़ी बूटियों की हजारों साल की विरासत का ज्ञान समेटे बैठा है  और अभी तक उसका आवाहन हमारा शासन-प्रशासन उससे हाथ जोड़कर अथवा किसी बड़े इनाम की घोषणा करके बीमारी के सिंप्टम लक्षण बताकर इन लोक ज्ञानियों से अनुसंधान करने की बात क्यों नहीं कही है ......?
हां, एक जरिया है पत्रकारों के जरिए भी इन तक पहुंचा जा सकता है ....क्योंकि वह भी अनुसंधान की एक कड़ी है.... लेकिन क्या पत्रकारों का अथवा उसके संसाधन का अथवा इन लोक ज्ञानियों को अपने संदेश में कोई ऐसा आश्वासन दिया गया है... कि यदि वे किसी निष्कर्ष पर इस बीमारी को पराजित करने में सक्षम है चाहे वह सूत्र मात्र के रूप में ही जड़ी बूटी कार्यरत क्यों न हो, अभी तक उन्हें सिर्फ दलित मानकर और पिछड़ा मानकर सिर्फ वोट-बैंक बना कर क्यों छोड़ दिया गया है.... कम से कम मानवता की रक्षा के लिए यह आवाहन, किसी बड़ी इनामी घोषणा के साथ क्यों नहीं की गई है...... शायद इसलिए कि स्वास्थ्य मंत्री जैसा मिडिलमैन पद नई सरकार में अभी तक अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराया है....
 यह हमारी अपनी आदिवासी सोच है, जो पिछड़ी भी हो सकती है ....  ,किंतु बड़ी सोच यह है जो दलित नहीं है उसका मानना है कि सूत्र और संभावनाओं को विज्ञान की कसौटी में परख कर कोरोना का यानी कोविड-19 चीनी-महाराजा का नाश किया जा सकता है.....
 यदि हमारे जंगल में रहने वाले लोक ज्ञानियों को प्रयोग के तौर पर ही कुछ मरीजों पर बुनियादी सुविधाओं के साथ विशेषज्ञों की निगरानी में मदद की जाए तो निश्चित तौर पर हल है..... लेकिन यह करने वाली बात है।
   पहली शर्त यह है कि तत्काल प्रदेश के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक स्वास्थ्य मंत्री शपथ ले... वे खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी बतौर स्वास्थ्य मंत्री के रूप में चाहे तो दोबारा शपथ ले सकते हैं.... कोई बुराई नहीं है... यह कुछ इसी प्रकार की बात है जैसे माननीय प्रधानमंत्री जी दीया जलाकर रोशनी की तलाश में आत्मबल का उत्साह वर्धन कर रहे हैं... अगर समझ में आ रहा है तो हमारी शुभकामनाएं.... नहीं तो राम नवमी के बाद नौ दिए हम इतवार को जलाने ही जा रहे हैं आप भी शामिल हो जाइए......
 शायद नौवीं के 9 दियों में कोई दुर्गा प्रगट हो जाएं और ज्ञान का प्रकाश लोक ज्ञानियों तक पहुंचकर आधुनिक विज्ञान को परावर्तित कर सकें....।
  शुभम, मंगलम....

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