रविवार, 22 मार्च 2020

"बिन पानी सब सून............." आज विश्व जल दिवस है (त्रिलोकीनाथ)


विश्व जल दिवस 


बिन पानी सब सून....
(त्रिलोकीनाथ)

जल दिवस का महत्व




यह निर्विवाद सत्य है कि सभी जीवित प्राणियों की उत्पत्ति जल में हुई है। वैज्ञानिक अब पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर पहले पानी की खोज को प्राथमिकता देते हैं।  पानी के बिना जीवन जीवित ही नहीं रहेगा। इसी कारणवश अधिकांश संस्कृतियां नदी के पानी के किनारे विकसित हुई हैं … इस प्रकार ‘जल ही जीवन है’ का अर्थ सार्थक है। दुनिया में, 99% पानी महासागरों, नदियों, झीलों, झरनों आदि के अनुरूप है। केवल 1% या  इससे भी कम पानी पीने के लिए उपयुक्त है। हालाँकि, पानी की बचत आज की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। केवल पानी की कमी पानी के अनावश्यक उपयोग के कारण है। बढ़ती आबादी और इसके परिणामस्वरूप बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण, शहरी मांग में वृद्धि हुई है और पानी की खपत बढ़ रही है। आप सोच सकते हैं कि एक मनुष्य अपने जीवन काल में कितने पानी का उपयोग करता है,  किंतु क्या वह इतने पानी को बचाने का प्रयास करता है? असाधारण आवश्यकता को पूरा करने के लिए, जलाशय गहरा गया है। इसके परिणामस्वरूप, पानी में लवण की मात्रा में वृद्धि हुई है।


वैश्विक जल संरक्षण के वास्तविक क्रियाकलापों को प्रोत्साहन देने के लिये विश्व जल दिवस को सदस्य राष्ट्र सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता हैं। इस अभियान को प्रति वर्ष संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की एक इकाई के द्वारा विशेष तौर से बढ़ावा दिया जाता है जिसमें लोगों को जल से संबंधित मुद्दों के बारे में सुनने व समझाने के लिये प्रोत्साहित करने के साथ ही विश्व जल दिवस के लिये अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का समायोजन भी शामिल है। इस कार्यक्रम की शुरूआत से ही विश्व जल दिवस पर वैश्विक संदेश फैलाने के लिये थीम (विषय) का चुनाव करने के साथ ही विश्व जल दिवस को मनाने की सारी जिम्मेवारी संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण तथा विकास एजेंसी की है।
अब बात शहडोल नगर की जल संकट की
इन सबके बावजूद एक प्रस्ताव ने मुझे परेशान कर रखा है वह यह शहडोल नगर में बहुत जल्द पानी का संकट आने वाला है प्रशासनिक तैयारी क्या है यह ईश्वर जाने क्योंकि सभी तालाबों से हरा-भरा शहडोल नगर का जलस्तर बहुत बेहतरीन था यह बात  1986 के आसपास की है किंतु जितनी लापरवाही से संभाग मुख्यालय बनाने के बाद शहडोल के आसपास षड्यंत्र करके अधिकारियों को अपने बस में करके पूंजीपति उद्योगपतियों के लिए नगर के आसपास जो कोल ब्लॉक्स खोले गए हैं उसमें विचारपुर कोल माइंस और माला जिओ कोल माइंस बल्कि राजेंद्रा माय इसके बाद खुलने वाली आसपास की कोल माइंस शहडोल के जलस्तर को खत्म करने के लिए पर्याप्त कारण होंगी भारत के संविधान की अनुसूची 5 में सुरक्षित व संरक्षित विशेष आदिवासी क्षेत्र की गारंटी होने के बाद भी इसके पर्यावरण को नष्ट करने के लिए हर संभव प्रयास किए गए उसी में शहडोल का मुख्यालय अब लक्ष्य में है सवाल यह है कि कौन बचाए क्योंकि बचाने के लिए पैसा भी चाहिए विवेक विचार और समय भी और इन सब के लिए कोई व्यक्ति अगर काम करता है तू है उद्योगपतियों के या रेत माफिया का विरोधी होता है क्योंकि अगर नदियों में रेत नहीं है तो पानी का ठहराव कहां होगा वृक्ष तो हमने पहले ही काट दिए हैं लगे हाथ यूकेलिप्टस पर लगवा दिया है तो पानी कहां से आएगा शहडोल नगर के पूरे तालाब सबके आंख खोलने के लिए प्रकृति का खुला प्रमाण पत्र है अगर आप पढ़ सकते हैं तो पढ़ ले कि पानी नहीं है और विशेषकर विचारपुर कोल माइंस याने अल्ट्राट्रेक कोल माइंस अथवा माला शिवा कोल माइंस या राजेंद्र के पास नई खुलने वाली कोल माइंस जिनका संपर्क या संबंध मेकल पहाड़ी दलालों से होकर शेड्यूल नगर तक पहुंचता है जो कहीं सरफा की तो मुड़ना की तो कहीं और अड़ना अथवा अन्य अन्य प्रकार की सहायक नदी नालों का स्रोत है उन्हें अगर नष्ट कर देंगे तो शहडोल नगर तक जल कहां पहुंचेगा या तो आप विकास कर ले या फिर विनाश यह आपके हाथ में है कर्मचारी बाहर के लोग होते हैं दो-तीन साल काम करते हैं अपने लक्ष्य को पूरा करते हैं और चले जाते हैं हमें आपको यही रहना है बचा सकते हैं तो शहडोल नगर को बचाने के लिए थोड़ा सा वक्त थोड़ा सा बहस ज्यादा मंथन और अंतिम निष्कर्ष सिर्फ पानी बचाने के लिए और कुछ नहीं अगर पानी है तो पानीदार बनिए क्योंकि  कहा है कि पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून किंतु क्या शहडोल नगर के लोग पानीदार हैं यदि हां तो सोचे और एक छोटी सी चिट्ठी कलेक्टर को जरूर लिखें जल संरक्षण के लिए कुछ भी कदम उठाइए प्लीज जल संरक्षण करिए विश्व जल दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं

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