शनिवार, 27 जुलाई 2019

आदिवासी विभाग मे सफेद हाथी के खाने के दांत और.

आदिवासी विभाग मे 
सफेद हाथी के दिखाने के दांत  और.....



बरकड़े को बरगलाया..,
अब भ्रष्टाचार के स्रोत तय कर रहा है ...
 मंडल संयोजक ......?



शहडोल । जिले के आदिवासी विभाग प्रमुख रहे नरोत्तम बरकड़े के कार्यकाल में अपने स्टाफ के विभाग परिवर्तन का  आदेश हुआ था जिसमें उन्होंन बरसों बरस से अपने-अपने विभाग में बैठकर आदिवासी विभाग को पलीता लगा रहे थे कर्तव्यनिष्ठ तरीके से कुछ काम भी कर रहे थे प्रभार परिवर्तन करना था ताकि शुचिता और पारदर्शिता बनी रहे। बहराल 3 वर्ष के लिए नियुक्त विभाग प्रमुख को हटाने के या परिवर्तित करने के आदेश पर अमल कुछ इस प्रकार हुआ है कि अधिकारी तो चले गए किंतु कथित तौर पर दो कर्मचारी अंगद की पैर की तरह है शाखा में पांव जमा दिए हैं। और सहायक आयुक्त निराश और हताश हालात में इनकी मर्जी के गुलाम प्रतीत होते दिखते हैं ।इनमें से एक तो है ही..., लेकिन एक और हैं ,जिनका जिला में दबदबा आदिवासी विभाग में भ्रष्टाचार के नियंत्रण के रूप में ज्यादा है बजाएं कर्तव्यनिष्ठा के। वैसे तो इन्हें लेखापाल के पद पर हिसाब किताब ठीक रखने का काम रखने की जिम्मेदारी है किंतु लेखापाल  कौशल सिंह मरावी छात्रावास का प्रभार कुछ इस प्रकार से मिला कि वे स्थाई रूप से इस शाखा पर कब्जा कर लिए हैं। और पूरे आदिवासी विभाग के बॉस बने बैठे हैं ।बताया जाता है जिले के हर आदिवासी आश्रम और छात्रावासों से एक मोटी मोटी बड़ी रकम इन्हीं के शाखा से होते हुए उच्च स्तर पर सप्लाई होती है। उनके अनुभव का लाभ शायद ही कोई उच्चाधिकारी छोड़ना चाहता है......? और इसीलिए छात्रावास का प्रभार इनसे नहीं छुड़ाया जाता ।इस प्रकार विभाग में "खाने के दांत और दिखाने के दांत  और" के तर्ज पर सफेद हाथी चलता रहता है।
अधीक्षकों की नियुक्ति में जवानी जमा खर्च

 हाल में सहायक आयुक्त के पद पर अनुभवी मिस्टर श्रोती पदस्थ हुए ,उन्होंने भी इन्हें हटाना उचित नहीं समझा। बहरहाल कर्तव्य निष्ठा और पारदर्शिता का दिखाने का दांत को एक औपचारिकता के रूप में अपने पत्र क्रमांक 8339 दिनांक 8.7. 19 को एक प्रेस रिलीज के जरिए करीब जिले के 41 छात्रावासों और आश्रमों में अधीक्षकों की नियुक्ति की सूचना जारी  की गई।  8 जुलाई को प्रकाशीय सूचना में जो कार्यालय के बाहर शायद चिपकाकर रखी गई। सूचना के अनुसार आयुक्त भोपाल के निर्देश मे 2017 का हवाला है कि किस प्रकार से छात्रावास ,आश्रमों के अधीक्षकों की नियुक्ति की जाएगी ।मोटा-मोटा 3 वर्ष के लिए नियुक्ति होनी है इसलिए 15 जुलाई का समय देकर आवेदन आमंत्रित किए गए। सैकड़ों हजारों की संख्या में आश्रमों और छात्रावासों मे रुचि रखने वाले लोगों तक सूचना नहीं पहुंची ।इसलिए कथित तौर पर  मियाद जुलाई अंतिम तक बढ़ा दिए जाने की खबर है। फिर भी आवेदन नहीं आ रहे हैं.....?
पदस्थ क्षेत्र संयोजक को स्थानांतरित करवा दिया गया
 इसलिए खबर है कि मंडल संयोजक श्री अंसारी अपनी मित्र मंडली और सिस्टम के साथ इन आवेदनों को लेने की प्रक्रिया भी जारी कर रखे हैं, मंडल संयोजक श्री अंसारी फिलहाल क्षेत्र संयोजक के पद पर "प्रभार" में पदस्थ बताए जाते हैं और इस प्रकार जब सहायक आयुक्त नहीं होते हैं तब यह सहायक आयुक्त का काम भी देख लेते हैं....? श्री अंसारी स्वयं सभी नियमों कानूनों को धता बताकर वर्षों से मुख्यालय में जमे हैं ।एक जानकारी और भी चकित करने वाली है की क्षेत्र संयोजक का पद सहायक आयुक्त कार्यालय में वर्षो से रिक्त है किंतु किंतु जब आयुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार की पारदर्शिता का अभाव हो जाता है तब क्षेत्र संयोजक की नियुक्ति की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो जाती है.. अन्यथा इस पद को शायद मंडल संयोजक के लिए आरक्षित कर दिया गया है....?

 हाल में कोई सज्जन क्षेत्र संयोजक के रूप में पदस्थ किए गए थे। स्वाभाविक है लाखों करोड़ों रुपए का बजट वाला विभाग का मुखिया यूं ही प्रभार को हाथ से नहीं जाने देता..., तो बड़े सम्मान के साथ जो-जहां चढ़ाओ चढ़ाना था उसे चढ़ाया गया और एक बड़ी विदाई के साथ पदस्थ क्षेत्र संयोजक को स्थानांतरित करवा दिया गया, उनके सुविधा के हिसाब से। अब वे भी खुश और शहडोल का सिस्टम भी खुश !

आदिवासी विभाग का यह चर्चा विभाग में सफलता के आयामों पर मुहावरे के रूप में देखी जा रही है भ्रष्टाचार की ताकत..., उसकी सक्रियता और सतत निगरानी में चलता है..। जो आदिवासी मुख्यालय संभाग के सहायक आयुक्त कार्यालय में दम ठोकर चला रहा है बात फिसल ना जाए अपन 41 अधीक्षक पदों में जो कि मोटे मोटे 3 वर्षों के लिए होते हैं पर की जा रही थी प्रयास किया जा रहा है कि यदि इन पदों पर जो गुपचुप तरीके से भ्रष्ट जमात के लिए  पारदर्शी  तरीके से बताए जा रहे हैं, कोई नहीं आ रहा है तो डोर टू डोर सर्विस के जरिए विशेष सुविधा लेकर आवेदन प्राप्त किए जा रहे हैं....। जो सहायक आयुक्त के तरफ से प्रतिनिधि बनकर ....?,भ्रष्टाचार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। खबर तो यहां तक है मासिक नियमित भ्रष्टाचार शुल्क के अलावा पुनर्स्थापना अथवा सदस्य की नियुक्ति के लिए मोटी रकम वसूली जा रही है। ताकि आश्रम छात्रावास अधीक्षकों में अपने आदमी नियुक्त कर "रेगुलर करप्शन रिसोर्स" तैयार किए जा सकें। अन्यथा कोई कारण नहीं है इतने ज्यादा पदों के लिए वीहित प्रक्रिया के जरिए भर्ती की प्रणाली नहीं अपनाई.....? .....

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