जीवन का कर्ज पटाये ....
जितनी उम्र, उतने पेड़ लगाएं
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आज पहली किस्त, शेष बाद में
जितनी उम्र, उतने पेड़ लगाएं
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आज पहली किस्त, शेष बाद में
( त्रिलोकीनाथ )
जब तक लक्ष्य निर्धारित नहीं होता, तब तक उत्साह और उमंग भी निर्धारित नहीं होता और बिना निर्धारण के कोई कार्य कैसे संभव है...? भाषण बाजी से बातचीत से या सरकारी योजना की गारंटी से शायद वह सफलता हासिल नहीं होती। जब स्वअनुशासित धर्म स्वरूप आराध्य कोई स्थापित कर व्यक्ति दृढ़ निश्चय होकर स्व-कर्तव्य करता है इस प्रकार किसी भी प्रकार का कोई भी कार्य सकारात्मक तरीके से स्वतंत्र उत्साहित होकर आनंद का कारण बनता है।
क्योंकि लक्ष्य पूर्ति का आनंद हमें स्फूर्ति देता है और हम बिना किसी का मुंह ताके अपने कार्य को अंजाम देते हैं । इसीलिए और सिर्फ इसीलिए, कम से कम मैंने अकेले अपने लिए नहीं निर्धारित किया है कि जितनी मेरी उम्र है पृथ्वी ने जितना मुझे जीवन दिया है इतने साल के बराबर अपनी उम्र की गणना के हिसाब से मैं वृक्षारोपण करूंगा ।
और आज पहला दिन था, जय हो नामक संस्था ने 25 पचगांव के शमशान घाट में डॉक्टर्स डे पर सभी डॉक्टरों को साथ लेते हुए वृक्षारोपण का मिशन जंगल का कार्यक्रम रखा। मैंने देखा और पहुंचकर अपनी उम्र के हिसाब से 8 वृक्षों का वृक्षारोपण कर आया। सुबह करीब 8:00 बजे, शेष वृक्षारोपण के लिए मैं अवसर की तलाश पर रहूंगा ।कहीं भी सुन लूंगा , जान लूंगा मैं अवसर का लाभ उठा लूंगा और अपनी उम्र के बराबर गणना के हिसाब से शेष वृक्षारोपण कर आऊंगा।
इस प्रकार से पृथ्वी ने प्रकृति ने जो मुझे पाला पोसा है मैं उसका कर्जा पटाने का काम करूंगा। वृक्षारोपण के इस सीजन की यह पहली किस्त थी, शेष किस्त जल्द ही पटा दूंगा... । अपनी किस्त पटाने पर मुझे बेहद आनंद आया। धन्यवाद जय हो, आपका।
आप भी चाहें तो पृथ्वी का क़र्ज़ पटाने के लिए या तो मेरा रास्ता या फिर अपना सहज रास्ता चुन लीजिए .......,मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।हम सबके, वृक्षारोपण के लिए ।
क्योंकि लक्ष्य पूर्ति का आनंद हमें स्फूर्ति देता है और हम बिना किसी का मुंह ताके अपने कार्य को अंजाम देते हैं । इसीलिए और सिर्फ इसीलिए, कम से कम मैंने अकेले अपने लिए नहीं निर्धारित किया है कि जितनी मेरी उम्र है पृथ्वी ने जितना मुझे जीवन दिया है इतने साल के बराबर अपनी उम्र की गणना के हिसाब से मैं वृक्षारोपण करूंगा ।
और आज पहला दिन था, जय हो नामक संस्था ने 25 पचगांव के शमशान घाट में डॉक्टर्स डे पर सभी डॉक्टरों को साथ लेते हुए वृक्षारोपण का मिशन जंगल का कार्यक्रम रखा। मैंने देखा और पहुंचकर अपनी उम्र के हिसाब से 8 वृक्षों का वृक्षारोपण कर आया। सुबह करीब 8:00 बजे, शेष वृक्षारोपण के लिए मैं अवसर की तलाश पर रहूंगा ।कहीं भी सुन लूंगा , जान लूंगा मैं अवसर का लाभ उठा लूंगा और अपनी उम्र के बराबर गणना के हिसाब से शेष वृक्षारोपण कर आऊंगा।
इस प्रकार से पृथ्वी ने प्रकृति ने जो मुझे पाला पोसा है मैं उसका कर्जा पटाने का काम करूंगा। वृक्षारोपण के इस सीजन की यह पहली किस्त थी, शेष किस्त जल्द ही पटा दूंगा... । अपनी किस्त पटाने पर मुझे बेहद आनंद आया। धन्यवाद जय हो, आपका।
आप भी चाहें तो पृथ्वी का क़र्ज़ पटाने के लिए या तो मेरा रास्ता या फिर अपना सहज रास्ता चुन लीजिए .......,मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।हम सबके, वृक्षारोपण के लिए ।
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