सोमवार, 3 जून 2019

बरगद का संदेश- अब तक जीवन के उम्र + प्रति वृक्ष = कुल वृक्षारोपण ( त्रिलोकीनाथ )


सोमवती अमावस में 
   बरगद का संदेश
अब तक जीवन के उम्र + प्रति वृक्ष = कुल वृक्षारोपण
 कर्ज उतारने का गणित सूत्र


( त्रिलोकीनाथ )
भारत के संविधान में  विहित व्यवस्था के अनुपालन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारापांचवी अनुसूची क्षेत्र खनिज की प्राप्त होने वाली रॉयल्टी में जिला खनिज न्यास का गठन किया 
शहडोल में भी इस न्यास में बीते 5 साल में करीब 50 -60 करोड़ है आ गए, यह  न्यास की राशि जिले में होने वाले खनिज उत्पादन की प्राप्ति का एक जिला खनिज न्यास  से  एकत्र हुआ .वैसे यह राशि देश की आजादी के साथी जिला खनिज न्यास के रूप में गठित हो जानी चाहिए थी प्राप्त हो जाने चाहिए थी किंतु मोदी सरकार ने इस पर विचार किया अच्छा है, किंतु बुरा यह है कि इसमें पारदर्शिता दिखाने के लिए शहडोल में कलेक्टर मुकेश शुक्ला आए उन्हें लगा कि इससे  विकास किया .
"सबका साथ-सबका विकास" नारा को सार्थक करने में लगे  शुक्ला  नगर में सड़क निर्माण चौड़ीकरण पर ध्यान दिया और यह विकास शहडोल के लिए विकास कम पर्यावरण  विनाश के रूप में सिद्ध हुआ...., ना सड़क का व्यवस्थित चौड़ीकरण हो सका ,ना ही नालियों को सही ढंग से स्थापित किया जा सका...
पता नहीं क्यों शहडोल कलेक्टर के निर्देश पर काटे गए वृक्षों में जेल बिल्डिंग के आगे राजन टॉकीज के बीच का बरगद का वृक्ष जड़ से काटने के बावजूद भी अंततः बचा दिया गया..., आज यही वृक्ष ट्रैफिक सिग्नल होने की वजह से 1 .5 मिनट के लिए सभी टू व्हीलर अथवा यात्रियों को वरदान का सांस है, थोड़ा सा राहत देता है और लंबा भविष्य का संदेश  भी. क्या इसी वृक्ष में कड़ी धूप पर जब हम ट्रैफिक  के रेड सिगनल रुक जाते हैं 1 मिनट ही सही सोच पाते हैं कि वृक्ष हमारे जीवन में कितने जरूरी हैं...... यह ठीक है की वर्तमान व्यवस्था में भ्रष्टाचार के बिना जीवन नहीं होता ...,यह प्रशासनिक व अनैतिक जीवन शैली ने प्रमाणित किया है........ किंतु इसमें वृक्षों का क्या दोष था ....?
 शहर के काटे गए वृक्षों का विकल्प वृक्षारोपण प्राथमिक तौर पर क्यों नहीं किया गया....? जितना भ्रष्टाचार जरूरी है नवीन जीवन पद्धति में, प्रगतिशील समाज के लिए, उच्च वर्ग के लिए, उस से 100 गुना ज्यादा जरूरी है प्राकृतिक समाज के लिए वृक्षारोपण... बरगद  वृक्ष का यही संदेश है... आप कितना भी भ्रष्टाचार क्यों न करें बिना वृक्ष के आप भी नष्ट हो जाते हैं. 
मूलत:  भ्रष्टाचार मुक्त जीवन ही सार्थक है, किंतु अगर आप  नहीं मानते हैं, तो भी वृक्ष मुक्त जीवन निरर्थक है.... और वृक्ष और उसके साथ उसके पूरक विषय तालाब या पानी उतने ही जरूरी हैं जितना आपका भविष्य..... तो इसके लिए एक गणित शुरुआत क्यों न की जाए, शायद यही संवेदनशीलता हमें बचा पाए..... प्रति व्यक्ति जीवन शैली में वृक्षों के महत्व को लेकर




बढ़ा सटीक व्यंग है यह संयोग है कि मैं आज ही सोच रहा था की एक अभियान में मैथमेटिक्स को देखा जाए जिसमें प्रथम चरण पर अपनी कुल उम्र के बराबर याने जितनी उम्र हो चुकी है उतने वृक्ष का वृक्षारोपण करके जमीन का कर्जा पटाना चाहिए और इस गणित में अगर हम सफल है तो लक्ष्य रखकर अपना काम कर सकेंगे।
1दिन में नहीं 2 दिन 10 दिन 100 दिन जब भी .....क्योंकि जब काम पकड़ लेता है व्यक्ति, तो उसे जल्दी निपटा देता है.... हफ्ते भर में जहां भी वृक्षारोपण हो.., जा करके पूरी लगन के साथ काउंटिंग करके कर्जा पटा देना चाहिए....?
जब प्रथम चरण में कर्जा पट जाएगा, तब दूसरे चरण की तैयारी की जाएगी. इस प्रकार इसका सार्थक प्रभाव हमें मिल सकता है .....।
अगर समझ में आवे तो जरूर स्वेच्छा से सेल्फ-डिसीप्लिन से वृक्षारोपण कहीं भी.., कभी भी...., किसी के भी साथ, पत्नी भी, कोई और भी , के साथ करना चाहिए ।
तो दुगने बृक्ष लग जायेंगे। नही तो अकेले अपना कर्जा तो पटा ही देना चाहिये......तो आपने क्या तय किया...?. जो कर्ज जीवन का पृथ्वी से लिया क्या उसकी वार्षिक किस्त एक वृक्ष लगाकर, ई-आई (ईयरली-स्टॉलमेंट )देने के लिए क्या आप ईमानदार हैं.......?
 तो सोचिए........
तो हार्दिक शुभकामनाएं...........

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