2019 में सांस्कृतिक हमला
लता मंगेशकर का चुनावी-हित में गाया गाना
=========त्रिलोकीनाथ=========
जैसे अमिताभ बच्चन सदी के महानायक कहलाने लगे। किंतु संगीत की दुनिया में परम आदरणीय लता मंगेशकर जी जोकि भारत कोकिला के नाम से विख्यात हैं, प्रकृति ने उन्हें अनुपम उपहार दिया है। यदि मैं गलत नहीं हूं तो वह संगीत की दुनिया में स्थापित अपने आप में एक बड़ी संस्था है। सबकी नजर में आदर्श, पूजनीय और परम आदरणीय भी जिन्हें देखकर सुनकर हम भारतीय जीवन को समझने का प्रयास करते हैं।
यदि कहा जाए तो वे एक बड़ी सेना के रूप में स्थापित संस्था की तरह हैं और ऐसी संस्था के लिए यदि बंबई शहर ने या भारत की वाणिज्यिक राजधानी महाराष्ट्र के इस शहर ने अपने इस प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया जोकि लता मंगेशकर के बंगले के बगल से हाईवे प्रोजेक्ट बन रहा था, क्योंकि तब लता मंगेशकर अड़ गई थी कि यदि यह हाईवे प्रोजेक्ट मेरे घर के सामने से गया तो मैं मुंबई छोड़ दूंगी..... बिल्कुल जायज था, एक बड़ी संस्था का सम्मान रखना उन्हें मुंबई में आन-बान और शान से पूर्ण स्वतंत्रता के रूप में उन्हें रहने देने के लिए और शायद ही कोई हो तो इसका विरोध भी किया हो। आखिर स्वतंत्रता एक सतत संघर्ष का नाम है और लता मंगेशकर अपनी स्वतंत्रता से शायद कोई समझौता नहीं करना चाहती थी। उनका यह निर्णय सभी को भाया भी रहा होगा और वही ताकत रही होगी।
आज भी कहते हैं उस हाईवे ब्रिज को लता जी के घर के आस-पास निर्माण से रोक दिया गया जब तक लता है तब तक वह हाईवे ब्रिज रुका पड़ा रहेगा जैसे समय ठहर गया हो। यह एक दौर था, मान सम्मान और संस्थानों का स्वाभिमान बचाए रखने का। अब हम दूसरे दौर में जी रहे हैं, 21वीं सदी में जी रहे हैं .....,21वीं सदी की राजनीति पूरी तरह से बाजारवादी है और इतनी बाजारवादी कि वह अपने स्वार्थ के लिए "चवन्नी" में लता मंगेशकर को खरीदने की शक्ति भी रखती है, यह लता मंगेशकर जी का दोष नहीं हो सकता ,यह वर्तमान राजनीति के के गिरावट का दौर, उस का प्रमाण पत्र है कि उसने याने भारतीय जनता पार्टी और उसके नेता नरेंद्रमोदी , अमित शाह जी जैसे लोगों ने लता मंगेशकर जैसे महान संस्थान को चवन्नी छाप राजनीति के लिए उनके उम्र का लिहाज किए बिना भावनात्मक तरीके से अथवा पैसे के बलबूते उन्हें खरीद लिया।
कि वे नरेंद्र मोदी के लिए चुनावी भाषण को अपनी आवाज दी हैं। कोई बड़ी बात नहीं है कल के लिए वह या कोई और बढ़िया आवाज "मैं भी चौकीदार" के जुमले पर कोई डिस्को डांस या फिर कोई आकर्षक संगीत मई आवाज पैदा कर दे ।
कभी-कभी सोचता हूं यह उसी प्रकार की पतनपूर्ण हालात हैं जैसे कि श्रीमद् भागवत या गीता के संदेश अथवा कुरान या बाइबल के संदेश संगीत के माध्यम से संगीतमय वातावरण में बाजारवाद जगह-जगह बाजारों में प्रवचनों के माध्यम से बिकता है उससे उस मूल तत्व का अवमानना भी हुआ जैसे कि आसाराम, राम रहीम या फिर इसी प्रकार के किसी भी धर्म के व्यक्तियों ने उसका बाजारीकरण किया, भीड़ इकट्ठा की धन कमाया। और परिस्थितियों के कारण जेल में गंदे से गंदे प्रकरणों में सपरिवार बंद है। भक्तों का हालात यह है कि वे आज भी जैसा कि कहते हैं कि जब गुरु पूर्णिमा होती है तो आसाराम जेल में है उस जेल की आरती उतारी जाती है कुछ इसी प्रकार का बाजारवाद भारतीय पौराणिक ज्ञान को पतित कर दिया और बदनाम भी किया ।
ठीक है कि असीमानंद इसलिए छूट गया क्योंकि वह न्यायालयीन प्रक्रिया के मद्देनजर दोषी नहीं था किंतु इससे हिंदू आतंकवाद का एजेंडा गर्म करने की या उसे प्रचार करने की क्या जरूरत थी ...?
यह अत्यंत दुखद है परम आदरणीय लता मंगेशकर जी एक महान जैविक संगीत संस्थान उन्हें पतित करने के लिए किसी राजनीतिक दल ने उसका दुरुपयोग किया है आप भी सुने और समझे कि क्या लता जी को भावनात्मक रूप से अथवा व्यवसायिक रूप से ब्लैकमेल करके इस प्रकार के राजनीतिक बातों को मुद्दों को आवाज देना चाहिए....? कम से कम मैं तो समझता हूं बिल्कुल नहीं।
हो सकता है आप सहमत ना हो....
यह कुछ उसी प्रकार का है जैसे कि कुमार विश्वास ने कहा था कि उन्होंने महान कवि हरिवंश राय बच्चन की किसी काव्य खंड का उपयोग अपने एक सीरियल में इसलिए किया क्योंकि उन्हें हरिवंश राय बच्चन जी को महानता कि उस इस स्तर पर दिखाना था। किंतु कॉपीराइट होल्डर सदी के नायक अमिताभ बच्चन ने कथित तौर पर उन्हें कॉपीराइट उल्लंघन का चेतावनी देते हुए कार्यवाही कर दी। यह ठीक है कि कुमार विश्वास ने सटीक जवाब देते हुए मात्र कुछ रुपए का वैल्यूएशन पाए जाते हुए राशि अमिताभ बच्चन को भेज दी ।लेकिन हरिवंश राय बच्चन जी जैसी बड़ी संस्था को कॉपीराइट के जेब में रखना कितना उचित होगा...? मुझे लगता है बिल्कुल नहीं ।
मुझे अच्छी तरह से याद है कि आज भी खरे हैं तालाब इस पर उनके राइटर मिश्रा जी ने ने यह लिखकर इसे कॉपीराइट के दायरे से बाहर कर दिया क्योंकि यह लोकहित की बड़ी सामग्री थी ।
लता मंगेशकर जैसे संस्थानों का कॉपीराइट करने का प्रयास भी अति निंदनीय कार्यवाही कही जाएगी 2019 में ।अगर सबसे निंदनीय सांस्कृतिक हमला कोई माना जाए तो मैं समझता हूं माननीय लता मंगेशकर का चुनावी हित में गाया गया यह गाना होगा ।
आप भी सुनिए, चुकी लता जी ने ही आवाज दी हैं तो लोकप्रिय होगा ही। यह तो गारंटी है। तो सुनिए लता दीदी का यह गाना...।
किंतु मतदान करते वक्त कभी भी यह मत सोचिएगा कि इस गाने का आपके मतदान पर कोई प्रभाव पड़ना चाहिए यह मनोरंजन है मनोरंजन की तरह ही लें।
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