मंगलवार, 26 मार्च 2019

हरप्रसाद पांडे का निधन.....



हरप्रसाद पांडे का निधन...... 🙏🙏 

                                                                                                                                                   (त्रिलोकी नाथ गर्ग)

आज एक दुखद खबर आई की मोहन राम मंदिर शहडोल के दानदाता स्व. मोहनराम पांडे के ग्राम असरार ,अमरपाटन जिला सतना में परिवार के वरिष्ठतम प्रतिनिधि हर प्रसाद पांडे का निधन 18 मार्च 2019 को ग्राम असरार में हो गया । हरप्रसाद जी की उम्र करीब 94 साल रही होगी। वैसे तो उनका भरा पूरा परिवार है जो पूर्ण रूप से संपन्न  है किसानी मुख्य पेशा होने से बहुतायत किसान परिवार के प्रतिनिधि के रूप में हैं ।कई लोग शासकीय सर्विस में हैं ।
  हरप्रसाद जी का मेरा संपर्क 1998 के आसपास हुआ शहडोल मोहनराम मंदिर ट्रस्ट मुझे भी प्रस्ताव करके ट्रस्टी बनाया गया ।बता दे इसकी जानकारी रजिस्टार आफ ट्रस्ट सुहागपुर को दी गई ।बाद में पता चला कब शहडोल मैं मोहन राम मंदिर ट्रस्ट की विवादत के खिलाफ समानांतर ट्रस्ट बनाकर लड़ाई लड़ी गई थी। हालांकि 2011  में जीत भी मिली किंतु इसके साथ यह भी तय हो गया कि हमें शहडोल में नए राम-रहीम और आसाराम से भी एक युद्ध करना है। 
हर प्रसाद पांडे जी के साथ 22-23 साल संपर्क में रहा वे सहज ,सरल स्पष्ट स्वभाव के धनी थे। शहडोल मोहनराम मंदिर के बारे में भी जान गए थे जिन हाथों में यह मंदिर धोखे से चला गया है वह इसे नष्ट-भ्रष्ट कर देंगे।

बावजूद इसके हमने 2009 में कमिश्नर शहडोल अरुण तिवारी जी के कार्यकाल में एक बैठक की जिसमें हर प्रसाद पांडे जी की सराहनीय भूमिका रही। बैठक में कमिश्नर अरुण तिवारी, कलेक्टर अजीत कुमार एसडीएम एस एन राय जल संसाधन के कार्यपालन यंत्री, हर प्रसाद पांडे जी व मैं स्वयं बैठक में उपस्थित रहा। बैठक मुख्य रूप से मोहन राम तालाब के संरक्षण पर केंद्रित थी और जिसके परिणाम स्वरूप मोहन राम तालाब ही नहीं बल्कि शहडोल के पूरे तालाबों पर संरक्षण का काम हुआ है। मोहन राम तालाब एक मॉडल तालाब था जिस पर दो-तीन बार सफाई हुई ,किंतु कहा जाता है की भ्रष्टाचारी एक कदम आगे चलते हैं...... मोहन राम मंदिर और अन्य तालाब में यही होता रहा।  बहरहाल श्री पांडे हमेशा मोहन राम तालाब की साफ सफाई और संरक्षण ,कहना चाहिए शहडोल के अन्य तालाबों को संरक्षित करने में एक मार्गदर्शक के रूप में याद रखे जाएंगे। अगर वे नहीं होते तो शायद तालाब संरक्षण की यह महत्वपूर्ण बैठक प्रशासन के लिए अनुगामी पहल नहीं हो पाती।
 यह ठीक है कि मोहन राम तालाब ही केंद्र में था किंतु वही एक तालाब 19वीं और 20वीं सदी में शहडोल नकल का रोल मॉडल तालाब है यदि इसे आप ठीक कर पाए तो शहर के तमाम तालाबों को ठीक किया जा सकता है अगर नहीं कर पाए तो यह तालाब संरक्षण में असफलता का बड़ा प्रमाण पत्र भी होगा हमारी संपूर्ण योग्यता तकनीकी ज्ञान और भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष का यह एक बड़ा पैमाना भी है यह प्रशासन और शासन को हमेशा याद रखना चाहिए कम से कम शहडोल के मामले में अन्यथा जो हो रहा है वह हम सब लंबे समय से देख ही रहे.......?
 जो हुआ भी एक वाक्यआ यह भी याद आता है न्यायालय जीत के बाद न्यायालय निर्देशों के अनुरूप जिला न्यायालय द्वारा निर्देशित कटनी निवासी भास्कर राव जीके खैरहनी  फाटक बगल स्थित उनकेंं निवास अपने निजी वाहन से गए ताकी जिला न्यायालय द्वारा नियुक्त कार्यकारी न्यासी एम भास्कर राव और हरप्रसाद जी  बैठकर यह निर्णय ले सकें ट्रस्ट के गठन की प्रक्रिया क्या हो ।
किंतु वहां पर देखा और पाया गया की अवैध रूप से पुलिस थाने का उपयोग करके पुरानी लंका चित्रकूट के मठाधीश रोहनी प्रपन्नाचार्य जी लगभग भास्कर राव जी को बंधक बनाकर  के रखे थे ताकि शहडोल मोहनराम मंदिर ट्रस्ट में दवाव बनाकर नए ट्रस्ट का गठन किया जाए। हालात की जानकारी हरप्रसाद जी पांडे व साथ में आए श्याम बाबू जी जयसवाल को दी गई और पांडे जी इससे बड़े नाराज हुए उन्होंने इस मीटिंग को रद्द कर दिया ।भास्कर राव अति वृद्ध होने के कारण कई जगह से कई जगह से हड्डियां टूटने से करीब 2 साल से  अवस्था में पड़े रहे। इसके बाद जो हुआ मैं मंदिर ट्रस्ट शहडोल को लूटने जैसा काम हुआ इसकी शिकायत कलेक्टर व एसपी कटनी को दे दी गई और हम सब वापस आ गए ।
स्व.मोहनराम पांडे के विरासत को संभालने वाले हर प्रसाद पांडे धर्म के नाम पर इस पाखंड पूर्ण आवरण के सख्त खिलाफ थे और 2011 के बाद वे रोहनी प्रपन्नाचार्य और उनके सभी साथियों से सख्त नाराज थे जो एक गिरोह बनाकर शहडोल मोहनराम मंदिर ट्रस्ट जो उनकी पारिवारिक विरासत है मैं अवैध कब्जा से हमेशा नाराज रहे वह इसकी शिकायत व कार्रवाई हेतु जिला प्रशासन शहडोल को लिखते रहे। प्रशासन भी शायद गुलामी के दौर में भारतीय जनता पार्टी शासन काल में गुजर रहा था इसलिए स्वयं को लावारिस पाकर निष्क्रिय रहा जिसका परिणाम शहडोल मोहन राम मंदिर ट्रस्ट की वर्तमान दुर्दशा है ....?
हालात यह है रघुराज स्कूल के बगल में स्थित मोहन राम मंदिर ट्रस्ट की अचल संपत्ति और मकानों को तोड़ कर व वृक्षों को काटकर कब्जा करने के उद्देश से हाईकोर्ट शहडोल से 2012 में अपदस्थ किए गए रोहनी प्रपन्नाचार्य के साथी ट्रस्टी गण लव कुश प्रसाद और अन्य ट्रस्टी  जो वर्तमान में शहडोल भारतीय जनता पार्टी के अनेक पदों पर हैं मंदिर ट्रस्ट की प्रॉपर्टी पर कब्जा करने के लिए व लूटने  के लिए वक्त देखकर विधानसभा चुनाव के दौरान पूरी प्रॉपर्टी पर तोड़फोड़ कर कब्जा कर अवैध निर्माण किया ।जिसकी शिकायत होने पर तहसीलदार सुहागपर स्थगन-आदेस तो जारी कर दिया किंतु भारतीय जनता पार्टी के शासन पर मंदिर को लूटने से बचाने में असफल रहे नतीजतन स्थगन लगा रहा और नगर पालिका  के सार्वजनिक हैंडपंप से मोटर लगाकर पूरी प्रॉपर्टी को नष्ट भ्रष्ट करके अवैध डबल स्टोरी मकान खड़ा करने का काम तत्कालीन प्रशासन ने स्थगन की अवमानना की छूट करते हुए सहयोग किया ....? अन्यथा मंदिर ट्रस्ट की प्रॉपर्टी बच सकती है।
 यह तो उदाहरण था इसी प्रकार की तमाम सोना, चांदी वा मंदिर के अंदर कि तमाम प्रबंधन कब्जा करके हाई कोर्ट के निर्देशों के विपरीत कार्यों को होने दिया गया....? जोकि स्वर्गीय मोहन राम पांडे की दान की सुधा प्रॉपर्टी पर निर्मित ट्रस्ट का हिस्सा है। भारतीय जनता पार्टी का धार्मिक मंदिर ,मठों में लूटपाट करने व कराए जाने का इससे बड़ा उदाहरण नजदीक में देखने को मुझे नहीं मिला।
 कमोबेश आज भी वही हालात हैं तहसीलदार सुहागपुर द्वारा जारी स्थगन की खुली अवमानना व 2012 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद निर्देशित गठित स्वतंत्र समिति शहडोल को पूर्ण रूप से प्रबंधन पर प्रभार न दिया जाना धर्म का नकाब पहनने वाले पंडित और पुजारियों व मठाधीश का तथा राजनीतिज्ञों की मिलीभगत का एक माफिया जैसा बड़ा कृत्य शहडोल में होता रहा।
 हर प्रसाद पांडे निश्चित तौर पर अपने वयोवृद्ध उम्र पर बिना कानूनी सहायता के कुछ भी नहीं कर सकते थे ,हाई कोर्ट में व्यस्ततम पेशियों के कारण  भी देरी होती रही। जिला प्रशासन शहडोल लावारिस और असहाय सा के हालात में तत्कालीन शासन का गुलाम रहा और इस प्रकार हर प्रसाद पांडे अपने पूर्वज स्वर्गीय मोहनराम पांडे द्वारा गठित की गई धार्मिक समिति "पांडे मोहनराम मंदिर" को आजाद भारत में लूट खसोत से बचा पाने में असफल रहे और न्याय ,पारदर्शिता की आशा में बूढ़ी आंखें अंततः 18 मार्च 2019 को हताशा और निराशा के माहौल में बंद हो गई....?
 यह हमारी आजाद भारत की दुर्भाग्य जनक कानूनी हालात को भी दर्शाता है कि जो भारतीय जनता पार्टी और आर एस एस हिंदुत्व का ढिंढोरा पीटकर राम मंदिर निर्माण के दावे का ठेका लेना चाहती है वह वास्तव में सत्ता पाने के बाद मध्यप्रदेश के शहडोल में में अपने कार्यकर्ताओं के सहयोग से शहडोल मोहन राम मंदिर को नष्ट भ्रष्ट करने वालों ने का खुला खेल किया और आज भी वह कर रही है नैतिकता और आदर्श की बातें सिर्फ एक ढकोसला का दस्तावेज पर हरप्रसाद पांडे का निधन एक जीवित हस्ताक्षर हमेशा -हमेशा के लिए बना रहेगा ।
क्या आज भी शासन व प्रशासन इन सब के बारे में गंभीरता से सोचने की काबिलियत रखता है ....?क्या वह  धार्मिक कार्यों के लिए दी गई दान सुधा वस्तुओं को सुरक्षित करने में सक्षम है.....?  यह आज हमें सोचने को विवश करता है... यदि लोकतंत्र ऐसा कर पाता है तो यह हर प्रसाद पांडे जी के लिए एक बड़ी श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने अंतिम सांस तक शहडोल मोहन राम मंदिर के सुरक्षा के लिए प्रयास किया....? उनके इस सराहनीय प्रयासों को हम हमेशा प्रेरणा के तौर पर संरक्षित रखेंगे और उनकी लड़ाई को जारी रखने का काम भी करेंगे ताकि जिन उद्देश्यों के लिए धार्मिक केंद्र बने होते हैं वे बचे रहें  और यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी..............⚘⚘⚘⚘⚘

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