_________संवेदनहीनता
की पराकाष्ठा_______
मासूमों
की स्कूल से अपहरण
हत्या ...का मामला
अभी तक नहीं जागा"बाल आयोग.".?
===========त्रिलोकीनाथ के कलम से============
मध्य
प्रदेश पुलिस ने प्रेसकॉन्फ्रेंस करके बताया कि 12 फरवरी के दिन 12:30 बजे चित्रकूट के सद्गुरु पब्लिक स्कूल
में यूकेजी में पढ़ने वाले प्रियांश और श्रेयांश रावत पिता बृजेश रावत उम्र 6 वर्ष निवासी कर्वी को स्कूल बस से वापस
आते समय कैंपस के अंदर ही बस में रोककर कट्टे की नोक पर अपहरण कर बाइक से ले गए | फरियादी
के पिता बृजेश रावत दर्द नाशक
तेल का व्यवसाय करते हैं | बताया गया अपहरण कर्ताओं ने दो करोड़
रुपए फिरौती की मांग की थी, किंतु 20 लाख रुपए की फिरौती दी गई| इसके बावजूद भी यह जानकर कि बच्चे
उन्हें पहचान लेंगे उन्होंने बच्चों की यमुना नदी में उन्हें फेंक हत्या कर दिया |
आरोपी एक व्यक्ति का मोबाइल लेकर फिरौती की राशि
की मांग कर रहे थे तो मोबाइल धारक को शंका हुई तो उसने अपने मोबाइल से बाइक का
नंबर की फोटो खींच ली| जो बाइक नंबर यूपी90 / 5707 पाया गया | जो की
बाइक को ट्रेस कर पुलिस आरोपी रोहित द्विवेदी तक पहुंच गई जिससे आरोपी राजूद्विवेदी
जिला बांदा को गिरफ्तार करके पूछताछ की गई उसने स्वीकार किया कि उसने अपने साथियों
पदमशुक्ला उम्र 22 साल
निवासी चित्रकूट के साथ मिलकर अपहरण की घटना को अंजाम दिया और लक्की सिंह को
गिरफ्तार कर लिया गया है जिन्होंने जिनके द्वारा स्वीकार किया गया आरोपियों द्वारा
फिरौती प्राप्त किए गए 20 लाख रुपए
घटना में प्रयुक्त किए गए कट्टे, तीन बाईक, चार
पहिया वाहन को जप्त किया गया है| अन्य आरोपी को गिरफ्तार किया गया है |
चित्रकूट
मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा स्थित कस्बा है, जो दोनों
राज्यों में फैला हुआ |
पुलिस
सूत्रों के अनुसार बच्चों की अपहरण, हत्या का मास्टरमाइंड पदमशुक्ला
भारतीय जनता पार्टी नेताओं का करीबी है| आरोपी का भाजपा संगठन महामंत्री
चंद्रशेखर दुबे से सीधा संबंध है| साथ ही वह आर.एस.एस के कुछ
नेताओं का करीबी माना जाता है| फेसबुक में आरोपी पदमकांत शुक्ला ने
यूपी,एमपी चित्रकूट के नेताओं के साथ पोस्ट
फोटो पोस्ट कर रखी है| आरोपी यूपी के बाहुबली राजा भैया के
भी संपर्क में था| बड़े नेताओं का संरक्षण होने की वजह
से पदम शुक्ला से स्थानीय पुलिस हाथ नहीं डालती थी|
अपहरण/हत्या के
आरोपी----
1. राजू द्विवेदी पिता राकेश निवासी भवुआ
जिला बांदा उ.प्र.
2. पदमशुक्ला पिता रामकर्ण निवासी नयागांव
चित्रकूट
3. लकी सिंह तोमर पिता सतेंद्र सिंह
निवासी ग्राम तेदुरा जिला बांदा उ.प्र.
4. रोहित द्विवेदी पिता ब्रह्मदत्त
द्विवेदी उम्र 24 वर्ष
निवासी भवुआ जिला बांदा उ.प्र.
5. रामकेश यादव पिता रामचरण यादव उम्र 26 वर्ष निवासी छेरा जिला बांदा उ.प्र.
6. पिंटूयादव पिता रामस्वरूप यादव उम्र 23 वर्ष निवासी गुरदहा जिला हमीरपुर उ.प्र.
"मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने
ट्वीट किया है. चित्रकूट के दो मासूम देवांशु, प्रियांश
का शव मिला दुखद है बच्चों के पिता श्री बृजेश रावत से फोन पर बात हुई है, मैंने
उन्हें भरोसा दिया है कि बच्चों की हत्या करने वाले अपराधियों को हर हाल में कड़ी
सजा मिलेगी"|
मुख्यमंत्री कमलनाथ
"मध्यप्रदेश
के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी ट्वीट किया कि सतना में हमारे मासूम
बच्चे श्रेयांश ऑफ प्रियांश जिनकी स्कूल से अपहरण के बाद हत्या कर दी गई है, उन
बच्चों के प्रति जो फूल बनने से पहले डाल से गिरा दिए गए. हम सबके
मन में कष्ट है हम सभी 1 मिनट का
मौन रहकर माता शबरी, भगवानराम से उन बच्चों की आत्मा को
शांति देने की प्रार्थना करें "|
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह
कमल पर
कलंक.......
कभी यह उदाहरण हुआ करता था की व्यक्ति को कमल की
तरह होना चाहिए जो कीचड़ से निकल कर खिलता है.
अब वक्त
गुजर गया है लोकतंत्र की 15 साल सत्ता
पर रही भाजपा का चुनाव चिन्ह कमल है. वर्तमान सत्ता के मुखिया भी कमल-नाथ है| धर्मनगरी
चित्रकूट ने अपने कृत्यों से इन दोनों कमलों को कलंकित किया और मध्यप्रदेश के
इतिहास ही नहीं, आजादी के बाद कोई अत्यंत पीड़ादायक और
दर्दनाक निरपराध मासूमों के साथ, सिर्फ पैसे की चाहत के लिए 12 दिन तक तड़पाने के बाद पढ़ा-लिखा समाज, खासतौर
से जिस पर आरोप है कि वह सवर्णों का मुखिया, ब्राह्मणों-परिवारों
के उत्कृष्ट-शिक्षा इंजीनियरिंग से जुड़े तथा नए
समाज के अनुसंधान की खोज में स्थापित चित्रकूट ग्रामोदय
विश्वविद्यालय के छात्र शिक्षा के पेसे में अपराध की संभावना से करोड़ों रुपए कमाने
के लिए मानवीय इतिहास का कलंकित कृत्य सतना जिले में कर दिखाया है |
इससे यह
साबित होता है कि लोकतंत्र ने समाज-संरचना की मानसिक-विकलांगता
को स्थापित-उद्योग के रूप में अपराध की दुनिया को
पैसा कमाने का शॉर्टकट रास्ता बना दिया है | भलाई कानूनन इसे मान्यता प्राप्त ना
हो किंतु इस गैर कानूनी कृत्य को चाहे मध्यप्रदेश की कांग्रेस की सरकार हो अथवा
उत्तरप्रदेश की योगी-सन्यासी मुख्यमंत्री, भाजपा की
सरकार हो, दोनों ही अपनी सत्ता की विलासिता में
कुंभ का स्नान करते रहे और मासूम बच्चों के अपहरण के मामले में गंभीरता से खोज-खबर अथवा
सरकारी एजेंसियों का समन्वय नहीं बना पाए | नतीजतन दो बच्चों की इसलिए हत्या हो
गई क्योंकि वे स्कूल गए थे ...?
शासन की संवेदनहीनता का परिचय.............
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री व्यस्त रहे अपने-अपने कुंभ में
आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस दिन इस कुकृत्य
की घोषणा हुई उस दिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी के साथ मुख्यमंत्री,उत्तरप्रदेश
आदित्यनाथ चित्रकूट घटनास्थल से कोई 100 किलोमीटर
दूर प्रयागराज-कुंभ के संगम में राजनैतिक की तलाश में
उनके स्वच्छता मिशन के कर्मचारियों यानी कि दलित वर्ग के पैर धोकर नई इबारत लिखते
हुए दलित-वोट-बैंक का अवसर ढूंढ रहे थे | ठीक इसी
समय मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री उमरिया में लोकतंत्र की दलित-वोट बैंक
की ब्रांडिंग करने वाली रामायण के चरित्र सबरी पर आधारित सबरी-महाकुंभ में वोट की संभावनाओं का नब्ज टटोल
रहे थे और यह इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि जिस वक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ दलित-ब्रांड सबरी-महाकुंभ पर काम कर रहे थे और बच्चों की हत्या
पर ट्वीट किए, कमोवेश उसी वक्त रीवा में बैठकर कमल-चुनाव-चिन्ह
सत्ता में काम करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह ने जो ट्वीट किया वह
राजनीति ट्वीट की तरह था | जिसमें वे सबरी से भी बच्चों की मृत्यु
के संदर्भ में निवेदन करते दिखे....?
शर्मशार नागरिकों में फूटा गुस्सा
आश्चर्य है कि मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री
अथवा प्रधानमंत्री या उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री 12 दिन तक 6 वर्षीय जुड़वा भाई दो मासूम
जो उनके भविष्य के नागरिक थे, दर-दर भटकते रहे और सरकारी एजेंसियां, लोकतंत्र
की नपुंसकता को सिद्ध करती रही. हो सकता है इन दो बच्चों में कोई एक
लालबहादुर शास्त्री भी होता..? जो प्रयागराज का कुंभ में कभी गुम हो
गए थे, लेकिन तब देश आजाद नहीं था और वह मिल
भी गए थे. बाद में भारत के प्रधानमंत्री बने. क्या मान
कर चला जाए कि हमने किसी प्रधानमंत्री की हत्या के कारोबार के लिए इन बच्चों के
बहाने अपराध का उद्योग खोल रखा है..? यह हमारे लिए बार-बार सोचने का विषय
है |
2000 के दशक में शहडोल जिले के व्यवहारी के.........
सलैया में पढ़ रहे बच्चों पर हमला कर दो बच्चों को मौत
यह बात आवेश में नहीं बल्कि स्थिरता के साथ और समस्या निवारण के दृष्टिकोण में रख रहा हूं| मुझे 2000 के दशक में शहडोल जिले के व्यवहारी
कस्बे में सलैया गांव कि सच याद आ रही है जिसमें आरक्षित वर्ग से नियुक्त
शिक्षाकर्मी सिर्फ सलैया में पढ़ रहे बच्चों पर जानलेवा हमला कर दो बच्चों को मौत
के घाट उतार दिया, क्योंकि शिक्षक को तब की दिग्गी-सरकार ने
वेतन नहीं दिया था और वह इस नौकरी से तंग आकर अपनी पत्नी की दबाव में पूरा-गुस्सा
पढ़ रहे प्राइमरी के बच्चों पर उतार दिया..? उस वक्त बड़ा हंगामा हुआ, शासन की
अलग-अलग टीमें आई किंतु हम बदले हुए परिदृश्य में देख रहे हैं की पुनः अब एक नई
स्कूल के अंदर, नए प्रकार का पढ़ा-लिखा-समाज; उत्कृष्ट
इंजीनियरिंग के छात्र उत्कृष्ट समाज के निर्माण की ठेका लेने वाले ग्रामोदय
चित्रकूट विश्वविद्यालय के छात्र दो मासूमों की अपहरण कर हत्या कर देते
हैं.. यह किस प्रकार का विकास है|
शर्मशार नागरिकों में फूटा गुस्सा तौर से चित्रकूट, बांदा, कर्वी मैं
बिना नेताओं के हिस्सेदारी और अधिकारियों की मिलीभगत के नहीं चल सकता था..... तो कौन-कौन इसमें शामिल है, उनके चेहरे भी सामने आना चाहिए.. सतगुरु आश्रम-पुजारी-मठ तो
सामान्य अपराधी हैं क्योंकि इतना तो तय है सत्ताधारियों के संरक्षण में चल रहा
अपहरण और हत्या का उद्योग खासतौर से चित्रकूट, बांदा, कर्वी मैं बिना नेताओं के हिस्सेदारी
और अधिकारियों की मिलीभगत के नहीं चल सकता
था..... तो कौन-कौन इसमें शामिल है, उनके
चेहरे भी सामने आना चाहिए.. सतगुरु आश्रम , पुजारी ,मठ तो
सामान्य अपराधी हैं आश्रम नकाब पहनकर वास्तविक धार्मिक साधु-संतों को
बदनाम करने वाले लोगों का पर्दाफाश हो ...?
इन को संरक्षण देने वाले पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को भी चिन्हित किया
जाना चाहिए | उनके गोपनीय चरित्रावली में इस प्रकार
का उल्लेख करना चाहिए कि भविष्य में इन्हें कैसे दंडित किया जाए..? जो
उदाहरण बन सके |
कांग्रेस मुख्यमंत्री कमलनाथ से उम्मीद
किया जाना चाहिए
कि सिर्फ
नेताओं की चाटुकारिता और चमचागिरी कर के अपहरण/हत्या और
माफिया उद्योग को
पढ़ा-लिखा समाज संरक्षण नहीं देगा...?