जिस अध्यात्म के अधिनायक भगवान राम को सत्ता प्राप्ति का राम बनाकर जो बाजार बना दिया गया है जब भी चुनाव आते हैं उसे श्रीराम का झुनझुना सत्ता पाने की चाहत में तेजी से बजाया जाने लगता है…
---------( त्रिलोकीनाथ )-------------------
जिस राम ने दशहरा में अखिल विश्व विजेता दशानन का वध करने के बाद अपनी शक्ति और समर्थ स्थापित करने के बाद अयोध्या में रामराज्य चला रहे थे उस दौर मे उनके एक नागरिक ने मां सीता के संदर्भ में सर्वविदित अनुचित बातें कह दी जिसका तर्क एक महिला नागरिक की आजादी के संदर्भ में था। और यह बात महारानी सीता जी के राजत्याग का कारण बनी। यह मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नैतिकता और सत्ता की उस चुनौती को दर्शाता है जो राष्ट्र में प्रत्येक नागरिक के विचार में उठने वाले प्रश्न के समाधान से जुड़ा है।
यह तत्कालीन राम की सत्ता की कसौटी थी। कलयुग में श्रीराम इन बातों को खारिज करता है। कलयुग के राम को भी मानने वाले लोग मणिपुर में महिला नागरिक को निर्वस्त्र कर नगर में जुलूस के रूप में भव्यता के साथ प्रदर्शन करते हैं और उसे जन जातीय संघर्ष का नकाब पहनाते हैं।
कई महीनो राष्ट्र सत्ता के मुखिया यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नजरअंदाज करते हैं यानी स्वत: संज्ञान में मौका स्थल पर जाकर देखने पर बचते हैं, यह उनके श्रीराम के आदर्श का एक उदाहरण है। और यही बात जब उनकी ही विचारधारा से मिलते जुलते वैचारिक सत्ता इजरायल के मुट्ठी भर जनसंख्या वाले प्रधानमंत्री नेतन्याहू के पास घटनाक्रम में आती है जब हमास के उग्रवादी इजरायल की महिला को निर्वस्त्र कर उसे सार्वजनिक अपमानित करते हैं तो इजरायल, हमास को जड़ मूल से नष्ट करने के लिए वह विश्व युद्ध तक की कल्पना में नहीं हिचकता ।
लेकिन हम लोकतंत्र हैं, संविधान दिखाने की वस्तु है, सत्ता के लिए महिला नागरिक की निर्वस्त्रता, सत्ता की हवस को किस कदर बनाए रखती है यह बात जिम्मेदार भारत शासन के नीति निर्धारकों को बता पाने में शायद असफल रही है। वह महिला नागरिक की निर्वस्त्रता में सत्ता-सुंदरी की प्रकट भाव को पहचान का काम करते हैं।
किंतु आदिवासी जनजाति की "महिला की निर्वस्त्रता" शायद उनके पितृ संगठन की बौद्धिक विभाग में उबाल मारता रहता है…, और यही उबाल, दशहरा में उनके भव्यतम अवसर पर छलक गया….. तो उनके पितृ पुरुष मणिपुर की "निर्वस्त्र हो चुकी महिला नागरिक" के बारे में क्या सोचते हैं एक नजर इसे समझना चाहिए…. ।
दशहरा के वक्त भारत के सुपर पीएम का हम रखने वाले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि मणिपुर में हुई जातीय हिंसा प्रायोजित थी। पूर्वोत्तर राज्य के हालात के लिए बाहरी ताकतों को कसूरवार ठहराया। भागवत ने सवाल किया कि मैतेई और कुकी समुदाय के लोग कई वर्षों से साथ रहते आ रहे हैं।
साथ में कहा22 जनवरी को अयोध्या के मंदिर में भगवान राम की मूर्ति स्थापित की जाएगी और इस अवसर पर जश्न मनाने के लिए लोग देशभर के मंदिरों में कार्यक्रम आयोजित करें।
उन्होंने कहा कि जो लोग एकजुटता की चाह रखते हैं, वे इस बात पर जोर नहीं दे सकते कि एकजुटता के बारे में सोचने से पहले "सभी समस्याएं हल" होनी चाहिए। हमें "छिटपुट व घटनाओं "से विचलित हुए बिना शांति और संयम से काम करना होगा।
आरएसएस प्रमुख भागवत ने मंगलवार को बताया मणिपुर एक सीमावर्ती राज्य है। इस तरह के अलगाववाद और आंतरिक संघर्ष से किसे फायदा होता है? बाहरी ताकतों को भी फायदा मिलता है। वहां जो कुछ भी हुआ, क्या उसमें बाहर के लोग शामिल थे ?
बिना नारेंद्र मोदी का नाम लिये मणिपुर के हालात पर आरएसएस प्रमुख ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तीन दिन तक मणिपुर में थे । वास्तव में संघर्ष को किसने बढ़ावा दिया? यह (हिंसा) हो नहीं रही है, इसे कराया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि मणिपुर में अशांति और अस्थिरता का फायदा उठाने में किन विदेशी ताकतों की दिलचस्पी हो सकती है? क्या इन घटनाक्रमों में दक्षिण-पूर्व एशिया की भू-राजनीति की भी कोई भूमिका है? भागवत ने कहा कि जब
शांति बहाल होती नजर आती है, तब कोई न कोई घटना घट जाती है। इससे समुदायों के बीच दूरियां बढ़ती हैं। जो लोग ऐसी हरकतों में शामिल हैं, उनके पीछे कौन है? हिंसा कौन भड़का रहा है?आरएसएस प्रमुख ने कहा कि उन्हें संघ के उन कार्यकर्ताओं पर गर्व है, जिन्होंने मणिपुर में शांति बहाल करने की दिशा में काम किया।
हमें "छिटपुट घटनाओं "से विचलित हुए बिना शांति और संयम से काम करना होगा उन्होंने कहा कि तीन तत्त्व- मातृभूमि के प्रति समर्पण, पूर्वजों पर गर्व और समान संस्कृति भाषा क्षेत्र, धर्म, संप्रदाय, जाति एवं उपजाति रूपी सभी विविधताओं को एक साथ जोड़कर हम एक राष्ट्र बनाते हैं। आरोप लगाया कि तथाकथित सांस्कृतिक मार्क्सवादी और जागरूक तत्त् अराजकता, अशांति और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे हैं। उन्होंने कहा कि ये तत्त्व मीडिया, शिक्षा और क्षेत्रों में अपने प्रभाव से सामाजिक व्यवस्था नैतिकता,
संस्कृति, गरिमा और संयम को बाधित करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि ये विनाशकारी ताकतें खुद को 'जागृत' बताती हैं और कुछ बड़े लक्ष्यों के लिए काम करने का दावा करती हैं, लेकिन उनका असली मकसद विश्व की व्यवस्था को बाधित करना है।
उन्होंने कहा कि ये स्वार्थी, भेदभावपूर्ण और धोखेबाज ताकतें अपने सांप्रदायिक हितों को साधने की कोशिश में सामाजिक एकता को बाधित करने और संघर्ष को बढ़ावा देने का प्रवास कर रही वे तरह-तरह के चोगे पहनती हैं। उनमें से कुछ खुद को सांस्कृतिक मार्क्सवादी या जागृत कहती हैं। सांस्कृतिक मार्क्सवादी अराजकता को पुरस्कृत करते हैं, बढ़ावा देते हैं और फैलाते हैं। मीडिया और शिक्षा जगत पर नियंत्रण हासिल कर लेते हैं। साथ ही शिक्षा, संस्कृति, राजनीति और सामाजिक वातावरण को भ्रम, अराजकता और भ्रष्टाचार में डुबो देते हैं।
कहा कि यूक्रेन या गाजा पट्टी में संघर्ष जैसी घटनाएं जो हितों के टकराव के कारण होती हैं, कहा कि अफ्रीकी संघ को जी20 के सदस्य के रूप में शामिल कराने में भारत की सच्ची सद्भावना और कूटनीतिक चातुर्य को सभी ने देखा जी20 शिखर सम्मेलन को सफलतापूर्वक आयोजित करके, हमारे नेतृत्व ने भारत को वैश्विक मंच पर एक प्रमुख राष्ट्र के रूप में मजबूती से स्थापित करने का सराहनीय काम किया है।
भारत में अघोषित राष्ट्र के सुपर पी.एम. मोहन भागवत ने जो कहा है उसका राष्ट्रीय स्तर पर 9 साल और मध्य प्रदेश के स्तर पर 20 साल सत्ता में रहने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकारों की असफलता पर कोई टिप्पणी नहीं आती है, उन्हें सब हरा-हरा ही दिखता है जबकि वास्तव में आदिवासी क्षेत्र में जो विकास नाम के अराजकता का आलम है वह खतरनाक पूंजीवाद को सिर्फ बढ़ावा देता हुआ दिखता है। इससे पर्यावरण और पारिस्थितिकी के साथ सामाजिक ताना-बाना बुरी तरह से भयभीत और क्षतिग्रस्त हो रहा है।
पिछले दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शहडोल जिले के व्योहारी में कहा था कि लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात को आर एस एस की प्रयोगशाला नहीं कहा, बल्कि मध्य प्रदेश को लैब के रूप में बताया था। यानी आरएसएस पूर्ण स्वतंत्रता के साथ जो भी प्रयोग 20 साल में मध्य प्रदेश में किए हैं सत्ता में रहते हुए उसके परिणाम मध्य प्रदेश में दिखना चाहिए। लेकिन वास्तव में आदिवासी विशेष क्षेत्र शहडोल में माफिया राज का ताना-बाना कितना भयानक और खूंखार है इसका एक नमूना विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के दौरान देखा गया… यह अपने आप में बड़ा उदाहरण है कि आरएसएस का प्रयोगशाला किस प्रकार का प्रोडक्ट समाज को विकास में दिया है।
( ---------------जारी भाग २ )