कांग्रेस पार्टी :लड़कों की दोस्ती जी का जंजाल
छेड़खानी के बाद
गोलीबारी के चक्कर में फंसे विधायक जी
.............( त्रिलोकीनाथ )...............
आखिर शहडोल का कल्याण हो तो कैसे..? यह बड़ा प्रश्न है। हाल में जितने भी जनप्रतिनिधि हैं इन्होंने एकमत होकर शहडोल के विकास के लिए कभी कोई मार्गदर्शक कार्य नहीं किया। इनका पत्रकारों से कोई स्वस्थ संवाद भी होता नहीं दिखा जब भी यह मीडिया में आए हैं तो तथाकथित अपने तुच्छ राजनीति के उपयोग के लिए मीडिया को दलाल की तरह सिर्फ इस्तेमाल किया है ।ऐसे में यदि शहडोल संभाग में माफिया गिरी और भ्रष्टाचार अपनी ऊंचाई में झंडे फहरा रही है तो इस पर आश्चर्य नहीं करना चाहिए।
वैसे भी कहा भी गया है राम की चिड़िया राम का खेत चुग ले चिड़िया भर भर पेट तो राम के लोग अपना पेट भरने में लगे हैं। अब जिसे समझ में आता है अपने अपने तरीके से अपना अपना खेत खा पी रहे हैं। यह भाजपा की कार्यशैली का हिस्सा हो चाहे ना हो किंतु जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता उनके प्रतिनिधित्व के उद्देश्यों को पाती नहीं दिख रही। कांग्रेश की बात तो कांग्रेस पार्टी के तीन विधायक यहां से चुने थे, एक तो सर्वाधिक बुजुर्ग थे और कांग्रेस के प्रदेश के नेतृत्व की योग्यता में इस कदर अछूत बना दिए गए थे कि वे रोते गाते रह गए और उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया और इन्होंने तब जिस प्रकार का झटका दिया वह अंतत: कांग्रेस को सत्ता से धरातल में ला दिया ।तो एक मात्र संभाग की सामान्य सीट में अनुभवहीन लड़के को चुनाव जीता दिया उन पर जो भी आरोप लग रहे हैं वह उनके अहम की पराकाष्ठा को चित्रित करते हैं। इन विधायक महोदय का सोच है कि जिस सीडी पर चलो पहले उसको काट दो और विकास का मायना अपने को राजा समझकर ,राजा नंद की तरह कहीं भी विलासिता का आनंद लेते रहो। ऐसे आरोप ट्रेन में एक महिला की छेड़खानी के साथ लगे थे । उसमें दो विधायक थे दोनों कांग्रेसी थे अब इन अपरिपक्व विधायक सुनील शराफ पर मैं हूं डॉन के अंदाज में हवाई
फायर करने पर प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया और किसी स्थानीय कार्यकर्ता भुवनेश्वर तिवारी किससे शिकायत पर मुकदमा दर्ज हो गया ।धारा 336 और आर्म्स एक्ट के लिए अपराध के धारा 336 आरोप सिद्ध हो जाने पर 1 साल की सजा का प्रावधान करती है।
खैर यह तो राजनीति खेल है, दुर्भाग्य है की कोतमा विधायक है तो जमीन के आदमी किंतु उनकी उड़ान किसी माफिया डॉन की तरह है। इसीलिए जब उनका तथाकथित जन्मदिन आया तो नए वर्ष में उन्होंने मैं हूं डॉन, मैं हूं डॉन कहते हुए नाचते रहे और हवाई फायर किए।
ऐसे में प्रदेश के मुखिया चाहे कमलनाथ हो या दिग्विजय सिंह इनकी कोई जिम्मेदारी बनती है संगठन को संदेश देने की यह अभी तक तो नहीं दिखता है।
विधानसभा चुनाव होने के हैं कांग्रेस विधायक अपनी विरासत में जब डान बन के नाचेंगे और हवाई फायर करेंगे तो निश्चित रूप से मारे भी जाएंगे । किंतु इससे कोतमा विधानसभा क्षेत्र में माफिया गिरी मुक्त क्षेत्र हो जाएगा यह कहना जल्दबाजी है। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी अपने परिपक्व डॉन को इस क्षेत्र से उतार सकती है। क्योंकि भाजपा का आने वाला डॉन पूरी तैयारी से अपने लोकहित के उद्देश्यों को लेकर चुनाव की तैयारी कर रहा है। लगे हाथ उसका चिट्ठा भी स्थानीय पत्रकार वाले गाहे-बगाहे प्रकाशित करते रहते हैं। इन सब से फर्क नहीं पड़ता क्योंकि जहां भी माफिया क्षेत्र हो जाता है इन सब का उद्देश्य सिर्फ सिस्टम को प्रभावित करना कहलाता है। सिस्टम में कोई आमूलचूल परिवर्तन होगा यह बड़ा मुश्किल है।
तो कोतमा विधानसभा क्षेत्र में आने वाला भी डान और जाने वाला भी डान विधायक बना दिखता है। बहरहाल फिलहाल तो यही कहना उचित होगा कांग्रेस को सद्बुद्धि जितनी जल्दी मिल जाए उतना अच्छा होगा ।अकेले राहुल गांधी के पदयात्रा से कश्मीर में झंडा जरूर फहराया जा सकता है कोतमा विधानसभा में कांग्रेसका झंडा इसी तरह से चर्चित होता रहा तो कोतमा विधानसभा सीट तो मानो हाथ से गई ।
रह गया विधायकों की तो 2 विधायकों के बारे में यही कहा जा सकता है जो एक मंत्री बन गए हैं भाजपा में आकर और जो डॉन बन कर डांस कर रहे हैं उनके बारे में तो यही कहा जा सकता है या पाये बौरात नर, वा पाये बौराए ......सत्ता सुंदरी किसे पागल नहीं करती है ....? अथवा विनाश काले विपरीत बुद्धि तो अपना काम कर ही रही है। रही जनता के जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा तो वह तो फिलहाल पूरा होता नहीं दिख रहा है। तो कितना विधानसभा सिर्फ अपने घमंड अपनी विलासिता और अपनी अहम को सिद्ध करने की जगह बन गई दिखती है।
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