देर आए...
दुरुस्त आए...?
मुख्यमंत्री ने कहा..
"अमरकंटक में नहीं होगा,
कोई नया निर्माण कार्य "
सी.एम. ने की समीक्षा
"नर्मदा पुनर्जीवन कार्यक्रम" की
शहडोल 24 अप्रैल 2022- वर्ष 1998 के आसपास पर्यावरण वाहिनी में इस बात के लिए हम सदस्य थे पर्यावरण संदर्भ में कई चर्चाएं होती है जो आप दो दशक से लगभग बंद है शहडोल के संदर्भ उसी दौर में अक्सर मैं कहता था कि अगर अमरकंटक क्षेत्र कि पर्यावरण परिस्थितिकी कंक्रीट निर्माण के खिलाफ हमें वातावरण देती है तो हम कंक्रीट निर्माण करके उसके साथ अत्याचार कर रहे होते.. क्या इससे बचा नहीं जा सकता..? और परिणाम क्या हुआ के अमरकंटक के साथ लगातार पर्यावरण विरोधी गतिविधियां बढ़ती चली गई हालात इतने गंदे हो गए नर्मदा के जन्म स्थल पर ही कुछ कदम चलकर कल्याण का नाम की कांक्रीट का राक्षस स्कूल के नाम पर नदी के अंदर जा पहुंचा जिसे आज तक हटाने में किसी भी सरकार के पसीने छूट रहे हैं तब से आज तक लगातार कहीं जैन मंदिर के नाम पर तो कहीं किसी मंदिर के नाम पर कंक्रीट के निर्माण हो रहे थे जो पर्यावरण विरोधी थे जिस कारण जैन मंदिर को भयानक हादसा का भी सामना करना पड़ा जिसमें 30 से 40 मजदूरों की कथित तौर पर मौत हो गई थी यह अलग बात है कि मामला दब गया था।
तो देर से ही सही दुरुस्त होकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अध्यक्षता में 24 अप्रैल को अमरकंटक में नर्मदा पुनर्जीवन कार्यक्रम के लिए किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की। बैठक में भारत सरकार के केन्द्रीय पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री भूपेन्द्र यादव, केन्द्रीय जलशक्ति राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल, मध्यप्रदेश शासन के वन मंत्री विजय शाह, मध्यप्रदेश शासन की जनजातीय कार्य विभाग तथा अनूपपुर जिले की प्रभारी मंत्री सुश्री मीना सिंह मांडवे, मध्यप्रदेश शासन के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के मंत्री बिसाहूलाल सिंह एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे ।
बैठक मे मुख्यमंत्री ने कहा कि नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है। नर्मदा नदी मध्यप्रदेश ही नहीं अपितु गुजरात, महाराष्ट्र एवं राजस्थान भी अपने समृद्धि के लिए बहुत हद तक इसमें निर्भर हैं। नर्मदा हमारे आस्था एवं श्रद्धा का केंद्र है। लेकिन भौतिक रूप से अगर कोई मध्यप्रदेश को देखें तो सिंचाई का पानी, पीने का पानी, बिजली इत्यादि जो नर्मदा जी के ही भरोसे हैं ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार भारत देश में गंगा जी का नाम है, उसी पर पूरे मध्यप्रदेश में नर्मदा जी का नाम है। प्रधानमंत्री जी का जिस प्रकार गंगा मिशन एक मिशन है, उसी प्रकार मध्यप्रदेश में नर्मदा है, उसी मिशन के तहत नर्मदा मिशन भी मध्यप्रदेश में बने। अमरकंटक कोई साधारण जगह नहीं है,यहाँ वृक्षारोपण अभियान में 16 विभागों का जोड़ा जाएगा तथा इसके क्रियान्वयन समाज की अहम भूमिका रही है। नदी को संरक्षित एवं संवर्धित करने के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा। 1 मई को नर्मदा सेवा अभियान से जुड़े हुए लोग जुड़ कर जन जागरण अभियान का शुभारंभ करेंगे तथा 5 जून को पर्यावरण दिवस है। पर्यावरण दिवस के दिन संकल्प लेने की किस किस स्थान पर कहां-कहां, कौन-कौन से वृक्ष लगाए जाएंगे तथा ऐसे वृक्ष लगाए जाएंगे जो यहां की इकोसिस्टम के अनुरूप हैं।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने आजादी के अमृत 75वें वर्ष में अमृत मान सरोवर बनाने का आह्वान किया है। इसके अंतर्गत नर्मदा जी को दो चीजों की आवश्यकता है, एक वृक्ष, जिसके जड़ों से नर्मदा नदी का जल निकलता है तथा वह वृक्ष स्थानीय हो जो यहां के इको फ्रेंडली सिस्टम से जुड़ा हुआ हो तथा दूसरा अलग-अलग जन संरचनाएं चाहिए जो अमृत सरोवर के रूप में नर्मदा तट पर स्थित हो। उन्होंने कहा कि नर्मदा जी के 41 सहायक नदियों के तट पर भी अमृत सरोवर का निर्माण किया जाएगा, जिससे नर्मदा नदी और अधिक विस्तृत एवं विशाल हो सके एवं हर जगह से पानी नर्मदा नदी पर आता रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अमरकंटक में अब कोई भी नया निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा, कोई नई आश्रम एवं संस्था नहीं बनेगी। अमरकंटक में पर्यटकों की सुविधा के लिए कोई स्थान चाहिए तो पर्वत की नीचे नया निर्माण कार्य हो जैसे कि रेस्टोरेंट होटल इत्यादि बनाया जाना। उन्होंने कहा कि हरियाली अमावस्या पर्व पर अमरकंटक क्षेत्र में वृहद स्तर पर पौधरोपण कराया जाएगा।
बैठक मे केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि नर्मदा नदी के संरक्षण और संवर्धन के लिए आज नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में बैठक ली जा रही है। उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी मध्यप्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक जीवन की आधारषिला है। उन्होंने कहा कि नर्मदा के संरक्षण और संवर्धन से ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों का विकास होगा। कहा कि नर्मदा नदी भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदी है, जिसे बचाने के लिए बेहतर कार्य योजना की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि 2018 में जो नर्मदा सेवा क्षेत्र का विकास कार्य प्रारंभ किया गया था, उसे और आगे बढ़ाने हेतु बैठक में विस्तृत चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि अमरकंटक, धार्मिक, पारंपारिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक रूप से हमारे पूर्वजों का अनंत काल से निवास स्थान रहा है। यहां से निकलने वाली नर्मदा जी का जल को संरक्षित एवं संवर्धित करना यह हम सब का कर्तव्य है। नर्मदा को सुरक्षित रखने के लिए सभी पक्षों को रखकर कार्यप्रणाली तैयार किया जाएगा। बैठक में केन्द्रीय जलशक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल, वन मंत्री श्री विजय शाह, पर्यावरण विद सुरेश सोनी ने भी नर्मदा के संरक्षण और संवर्धन के लिए सुझाव दिए।
बैठक में कलेक्टर अनूपपुर सुश्री सोनिया मीना ने नर्मदा उद्गम स्थल अमरकंटक में जल संरक्षण एवं सौन्दर्यीकरण के लिए कराए जा रहे कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। बैठक में प्रमुख सचिव वन अशोक वर्णवाल, संभागायुक्त शहडोल संभाग राजीव शर्मा, अतिरिक्त पुलिस महानिदेषक डी.सी. सागर, मुख्य वन संरक्षक पी.के. वर्मा एवं केन्द्र सरकार के अधिकारी उपस्थित रहे।
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