सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

दादा कोंडके होते तो क्या होता ...?( त्रिलोकीनाथ)

दोहरे संवाद वाले दादा कोंडके

 


"साइकिल पर बम आया.."

 "और जो बाप का नहीं हुआ.."

 वह किसका होगा....?

(त्रिलोकीनाथ)

कृष्णा "दादा" कोंडके एक भारतीय अभिनेता और फिल्म निर्माता थे। वह मराठी फिल्म उद्योग में सबसे प्रसिद्ध व्यक्तित्वों में से एक थे, जो फिल्मों में अपने दोहरे मनोरंजक संवादों के लिए प्रसिद्ध थे।कोंडके मराठी मानुष होने के चलते ठाकरे के करिश्मे से प्रभावित थे और उन्होंने शिवसेना की ओर मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए महाराष्ट्र का दौरा किया था।  कोंडके शिवसेना के एक बहुत सक्रिय सदस्य थे और अपनी लोकप्रियता और जनता को प्रभावित करने के लिए उग्र भाषण देने के तरीके के कारण ग्रामीण महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों को प्रभावित करने में सक्षम थे। उनकी दोहरे संवादों में अश्लीलता स-सम्मान जगह पाती थी।

 जैसे आधुनिक राजनीति में कई संवाद गैर राजनीतिक होने के बाद भी राजनीतिक तमगा पाए जाते हैं ।


हमारे प्रधानमंत्री जी ने साइकिल पर आरोप लगाया कि वह बम विस्फोट साइकिल पर आता है। अखबारों ने छापा समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल होने के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने यह कहा है ।दादा कोंडके होते तो इसे अपने अंदाज पर कहते हैं। वह अब हमारे बीच में नहीं है। लेकिन उनकी चलचित्र-कार्यशैली राजनीति में उछाले मार रही है।

 अब देखिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने आरोप तो सीधा लगाया की "जो अपने बाप का नहीं हुआ वह जनता का कैसे होगा....?

 बावजूद इसके दादा कोंडके होते तो उनकी फिल्म चल पड़ती अगर उत्तर प्रदेश की चुनाव पर वह फिल्म बनाते। आखिर कौन नहीं जानता, कि आज के राजनेताओं में कौन किसका नहीं हुआ जिसके कारण कहां किसको किससे फायदा मिल रहा है फिलहाल शिवराज सिंह ने भगवान राम की कसम तो नहीं खाई है किंतु उन्होंने सिर्फ बाप तक सीमित रख कर उसे गद्दार कह दिया है तो जो पत्नी के नहीं होते.., पति के नहीं होते, पिता के नहीं होते भाई या बहन के नहीं होते तो वह किसके होते हैं...? शिवराज सिंह की माने तो वह किसी की नहीं होते...।

 दादा कोंडके होते तो कुछ ऐसा ही सोचते। यही राजनीति की दोहरे भाषा वाली आधुनिक स-सम्मान संवाद है और कोई बात नहीं..

.हमें अच्छा नहीं लगा इसलिए लिख डाला।




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