क्या आपदा प्रबंधन की परिभाषा बदलनी चाहिए ?
यह वीडियो है नवंबर 02 2020 का, यह वह काल है जब कोरोना एक बार कहर बरसा चुका अर्थात प्रथम वेव आके जा चुकी थी,
कई मौते हो चुकी थी , उस काल मे जब देश को थोड़े बड़े पैमाने पे न जाके इस शहर को इस महामारी से मुक्त करने का रास्ता सजग करना था और यह संकल्पित करना था कि हम शहर में न सही अस्पताल में कोरोना के अनुरूप रवैया इख्तियार करवा सकते थे, उस काल मे शहर के कोरोना जांच केंद्र के बाहर भीड़ लगा के जांच का इंतेज़ार कर रहे आदिवासी क्षेत्र के लोग इस वीडियो में देखे जा सकते है, इस वीडियो में एक महिला भी दिखाई देगी जो कोरोना जांच केंद्र के सामने दन्त मंजन की प्रक्रिया कर रही है , जिसके द्वारा यह वीडियो सामने आया है वो यह बताता है कि वो महिला अंदर से जांच करा के बाहर दन्तमंजन करने लगी उसी पल उन्होंने वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू किया ।
क्या वास्तविकता में इस स्वस्थ सेवा है, आपदा आने के बाद होने वाले कुप्रबंधन के मध्य हमे आत्म अवलोकन की ज़रूरत है ?
ज़रूरत तो है , अन्यथा आपदा के मध्य में आपदा का प्रबंधन आपदा के सामने समर्पण के तुल्य है और उस समर्पण का नाम है "lockdown" ।
हम यही आशा करते है कि देश इस बीमारी से जल्द से जल्द निकल पाए और फिर वही दिन आ पाए ।
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