"भटकते मुद्दे" पर फौजियों की मीडिया को फटकार...
(त्रिलोकीनाथ )
लाइव टेलीकास्ट की पत्रकारिता याने इलेक्ट्रॉनिक्स चैनल की मीडिया गिरी में सिर्फ बुराई नहीं है कि वह किसी की गोद में जाकर के बैठ जाती है... या फिर उनके दरबार में घुंघरू पहन करो मनोरंजन करती रहती है... कभी-कभी बहुत अच्छी चीजें निकल आती है। इसी प्रकार से राग दरबारीओं में आज जो दरबार आजतक में 5:00 बजे शाम के लगाया उसमें फौज के दो ऑफिसर्स जनरल बक्शी और जनरल विशंभर दयाल ने मन की बात कह दी....
क्यों मुद्दे को भटकाया जा रहा है मुद्दा आपसी विवाद का नहीं है मुद्दा इस बात का है कि क्या भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय न्यायालय अथवा संगठनों के सामने इस मुद्दे को उठाने जा रही है.. या नहीं... मुद्दा इस बात का है कि उन्होंने खुलेआम स्वीकार कर लिया है कि पुलवामा में उन्होंने सरकार की सहमति से घुसकर हमारे 40 जवानों को मारा.., अब इंतजार किस बात का है...?
क्या अभी हर हमले को.., जब कहेंगे की उन्होंने संसद पर घुसकर मारा या अन्य जगह तभी आप यहां पर बैठकर गलत मुद्दों पर बहस करेंगे....?
सीधा जवाब या हमला क्यों नहीं होना चाहिए..
आर्मी के लोगों की यह फाड़फड़ाहट आम नागरिक की फड़फड़ाहट है किंतु राजनेता ऐसा क्या सोचते..? क्या सचमुच कोई राजनीति हो रही है.... देखना होगा।
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