यह कैसा दुर्भाग्य .....?
गुलामी की निष्ठा के साथ लोकतंत्र का यह कैसा विकास......
तो, क्यों ना राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, मंत्रीगणों के पदों में भी निजीकरण के अवसर खोजे जाएं...?
(त्रिलोकीनाथ)
संसद के अंदर हमारे युवा नेता पूरी गुलामी के साथ सरकार की नीतियों का जिस प्रकार से महिमामंडन करते हैं और सूचना देते हैं उससे यह लगता है कि लोकहित और जनहित को स्वतंत्र भारत ने छोड़ने का निर्णय कर चुका है ,उसे लोकतंत्र का हित सिर्फ निजीकरण में दिखता है। एक तरफ जनजातियों को संरक्षण देने की बात होती है ताकि विरासत बची रहे तो दूसरी तरफ जनहित की सार्वजनिक कंपनियों को अपने अपने लोगों को बेचा जा रहा है। इस रोज की चिल्लर-चकल्लस से बेहतर है की सरकार प्रधानमंत्री पद मंत्री गुणों के पद और राष्ट्रपति के पद का भी निजी करण करने की योजना लाए। कार्यपालिका के तमाम सचिव स्तर के पद भी निजी करण में लाए जा सकते हैं जो अभी तक गोपनीय वैसे भी सरकार निजी क्षेत्र के सीईओ स्तर के बड़े अधिकारियों को पीछे के दरवाजे से सरकारी पदों में बैठा ही दिया है।
तो बेहतर है कि कोरोनाराम के काल में ही लोकतंत्र के सभी स्तंभों को निजीकरण कर दिया जाए। शायद उनका पेट इससे भर जाये।
वैसे मल्टीनेशनल कंपनियों का जल्दी पेट भरता नहीं है और 10 करोड़ की सदस्यता वाली स्वयं को लोकतांत्रिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी के सभी सदस्य उनके महान कदमों का चरण चुंबन भी कर रहे हैं।
क्या यही है सबका साथ सबका विकास तो देखिए एक झलक इस सोशल मीडिया में उभर कर आया है अगर यह सच है तो.......?
सूत्र बताते हैं केंद्र सरकार ने कहा है कि वह 20 सरकारी कंपनियों (CPSEs) और उनकी इकाइयों में हिस्सेदारी बेच रही है, जबकि छह को बंद करने पर विचार किया जा रहा है। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार विनिवेश के लिए रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री नीति का पालन करती है।
अनुराग ठाकुर ने कहा, ''नीति आयोग की ओर से तय किए गए मानदंडों के आधार पर सरकार ने 2016 से 34 मामलों में रणनीतिक विनिवेश को मंजूरी दी है। इनमें से 8 में विनिवेश की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 6 CPSEs को बंद करने पर विचार किया जा रहा है और 20 अन्य में प्रक्रिया अलग-अलग चरण में है।''
जिन कंपनियों को सरकार बंद करने पर विचार कर रही है उनमें हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन लिमिटेड (HFL), स्कूटर्स इंडिया, भारत पंप्स एंड कम्प्रेसर्स लिमिटेड, हिंदुस्तान प्रीफैब, हिन्दुस्तान न्यूजप्रिंट और कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्टूकिल्स लिमिटेड शामिल हैं।
जिन कंपनियों में विनिवेश की प्रक्रिया अलग-अलग चरणों में हैं, वे हैं- प्रोजेक्ट एंड डिवेलपमेंट इंडिया लिमिटेड, इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट (इंडिया) लिमिटेड, ब्रिज एंड रूफ को इंडिया लिमिटेड, यूनिट्स ऑफ सीमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआई), सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड, नागरनर स्टील प्लांट, अलोय स्टील प्लांट, दुर्गापुर; सालेम स्टीम प्लांट; भद्रावती यूनिट्स ऑफ SAIL, पवन हंस, एयर इंडिया और इसकी पांच सब्सिडियरी और एक जॉइंट वेंचर।
इसके अलावा एचएलएल लाइफ केयर लिमिटेड, इंडियन मेडिसिन एंड फार्माशूटिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड, इंडियन टूरिज्म डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (आईटीडीसी), हिन्दुस्तान एंटीबायोटिक्स, बंगाल केमिकल्स और फार्माशूटिकल्स, भारत पेट्रोलियम लिमिटेड, नूमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड में बीपीसीएल की हिस्सेदारी, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और नीलांचल इस्पात लिमिटेड में रणनीतिक बिक्री चल रही है।
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