शनिवार, 8 अगस्त 2020

द रियल रंगमंच...... (त्रिलोकीनाथ)

द रियल रंगमंच ...अयोध्या,
  तेरा जादू चल गया.... चल गया

(त्रिलोकी नाथ)
1974 के दौर में जब यह फिल्म बनी थी अमीर गरीब तब भारतीय लोकतंत्र में क्रांतिकारी आवाजें उठ रही थी जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में जन जागरण हो रहा था उसी दौर में मशहूर अदाकार देवानंद के अंदाज में एक जादूगर  वर्तमान भाजपा सांसद  हेमा मालिनी अभिनेत्री ने बखूबी प्रदर्शन किया था करीब 46 साल बाद 2020 में फिल्म वास्तविक जीवन में जबकि चीनी कोरोना कोविड-19 की महामारी का  खुलकर दुनिया में नाच रहा है ऐसे में जब अमीर और गरीब की खाई बड़ी तेजी से बढ़ रही है तब दुनिया का दूसरा बड़े लोकतंत्र भारत में भगवान राम की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का एक मंच सजाया गया जिसमें 5 अगस्त 20 को 5 लोगों ने अब तक का सर्वाधिक बड़ा धार्मिक रंगमंच रंगमंच का प्रदर्शन किया
यह एक रियल स्टोरी है ऐसे में अमीर गरीब का यह गाना मानसिक पटल पर उभर कर आ रहा था

उसी गाने के कुछ वाक्यांश का आप भी मनन करें और आनंद लें जो आज के परिवेश से हूबहू जुड़ रहा था तब जबकि अमीर अंबानी दुनिया का पांचवां बड़ा अमीर हो गया था

और गरीब भारत की जनता लगातार गरीब हो रही है ऐसे में महाभारत के 5 पांडवों का अवतार त्रेता युग के राम की उपासना के लिए अपने काल्पनिक मंदिर को आकार रूप देने के लिए पूजन कर रहे थे तो हम झूठ-मुठ में  मान लें कि अयोध्या के रंगमंच में 5 लोग अमीर नायक हैं और भारत की करोड़ों जनता गरीब नायिका है फिर अमीर गरीब फिल्म के गाने का आनंद लें.......

"बैठ जा.... बैठ गयी 

खड़ी हो जा.... खड़ी हो गई

घूम जा....... घूम गयी

झूम जा....... झूम गयी
मेरे बस में हो गयी..... हो गयी
तो जगी थी सो गयी..... सो गई...
वापस आजा....आ गयी राजा, आ गयी

मेरा जादू चल गया... चल गया

कल आया था....... कल गया
मै कौन हुं..?,
कैसे भूलू तुझको... तू तो हैं मेरी जान है..
वापस आजा..., आ गयी राजातेरी मेरी प्रीत हैं..... प्रीत हैं
प्रीत की रीत निभाएगी
जवाब दे... निभाऊंगी...."



कोरोना के राम.., तुझे सत सत प्रणाम 

भारतीय वोट बैंक वर्तमान सत्ता के लिए सिर्फ एक प्रोडक्ट है अगर प्रोडक्ट चल गया किसी भी जादू से चल जाए तो बाजार पैदा करने में किस को परेशानी है धर्म का बाजार, राम का बाजार, रहीम का बाजार लोग अपने अपने अंदाज में बनाते रहते हैं ।

अन्यथा  भारत के आध्यात्मिक  विरासत की परंपरा के वाहक  जगतगुरु  स्वरूपानंद जी सरस्वती की इस झूठी बात पर हम यकीन क्यों न करें या यकीन न करने का कोई कारण समझ में नहीं आता की

जगद्गुरु ने स्वयं को मंदिर विरोधी कहे जाने पर उन्होंने कहा कि वह सिर्फ वेदों के अनुसार काम करने की बात कह रहे थे. शंकराचार्य ने सफाई देते हुए कहा, “मुझे मंदिर विरोधी क्यों कहा जा रहा है? मैंने तो सिर्फ ये कहा कि हिंदू धर्म वेदों से चलता है. वेदों में कहा गया है कि भूमि पूजन का मुहूर्त शुभ होना चाहिये. इन दिनों देव शयन पर हैं. कुछ शुभ कार्य नहीं किया जाता. ये काम दो महीने बाद भी हो सकता था जब देव उठनी ग्यारस हो जाती.”


शंकराचार्य ने इसमें राजनीति किए जाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “ये तो सब जान रहे हैं कि मंदिर का ये भूमि पूजन खास राजनीतिक मकसद के तहत हो रहा है. कोई बोल नहीं रहा, मैं तो बोलुंगा क्योंकि मुझे हिंदू धर्म का ज्ञान है और धर्म में क्या गलत, क्या सही है ये कहने को ही मुझे इस परम पद पद बैठाया गया है.”



  आज अयोध्या में जहां  सैकड़ों मंदिर  अपनी  सुंदरता के लिए  तरस रहे हैं  वही सेवेन स्टार मंदिर का निर्माण का पूजन कार्यक्रम हुआ और

इस कार्यक्रम में पधारे आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत ने स्पष्ट भी किया कि "यह मंदिर भारत के अन्य लाखों मंदिर की तरह नहीं है" इस हालत में बाजारियों का मनोबल भी बढ़ा हो।
 नतीजतन वोट बैंक के धंधे में बात हो रही,  वही हैदराबाद के ओवैसी अपना बाजार पैदा कर रहे थे तो कोई एक दूसरा मुसलमान चरित्र नायक यह बोलने में जरा भी झिझक नहीं कर रहा था कि "मंदिर तोड़कर मस्जिद भी बनाई जा सकती है" अगर देश का लोकतंत्र वोट बैंक का बड़ा बाजार बन गया है तो उसके व्यवसायी भी बाजार में आएंगे।
 कभी कल्पना कर सकता है कोई कि जब महामारी कोविड-19 का प्रकोप का दौर चल रहा हो तब पारले-जी का बिस्किट अपने उद्योग के इतिहास में सबसे ज्यादा बिस्किट बेचने वाला उद्योगपति बन गया। भारत की आजादी के बाद जन्मा उद्योगपति  अंबानी ग्रुप का एक भाई अनिल अंबानी कर्ज के बोझ में जब नीलाम होने के कगार पर आ गया तभी उसका बड़ा भाई मुकेश अंबानी दुनिया का पांचवां बड़ा अमीर आदमी हो गया। तो यह एक जादू नहीं तो क्या है......?
 जी हां  यह सदाबहार हीरो  देवानंद के  1974 की कल्पना का अमीर गरीब फिल्म का  उक्त गाने का रियल मंचन हो रहा था। अयोध्या करोड़ों लोगों के मन में आध्यात्मिक विरासत की भ्रम के धुएं में अपना मंदिर बना रही थी और जो रंगमंच सजा था उसमें देव आनंद या कहीं 5 लोग भारत की करोड़ों जनता को जादू दिखा रहे थे। आज अगर देवानंद जीवित होते तो वह इस गाने में कुछ और बोल जोड़ते,

 जैसे...
 तेरा भूख मिट गया....मिटगया,
 बेरोजगारी खत्म हो गई.... खत्म हो गई,
 तू भूल जा.... मैं भूल गई.. मैं भूल गई । भारत नीलाम हो गया..., हो गया
प्रिय-कोरोना काम कर गया.... कर गया

यही आज की सच्चाई है 
जादूगर जादू कर गया
 
हे, कोरोना के राम, तुझे सत-सत प्रणाम।
तेरी माया तू ही जाने बारंबार तुझे प्रणाम  कोरोना के राम, तुझे सत-सत प्रणाम


 

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