19 अगस्त 2018 में “विश्व
छायांकन दिवस” पर
फोटो
जब कोई फुटपाथ में चाय बेचकर, प्रधानमंत्री के रूप में ठेले में पकौड़ा
बेचने की दुकान का उद्योग का सपना लिए विश्व-आर्थिक-मंच
पर अपना सपना साकार करने जा सकता है, तो हम आदिवासी-निवासी
क्षेत्र के रहने वाले भी फोटो शेयर करने के बारे में सोच शायद किसी को पसंद आ जाए...?
Facebook
में
पोस्ट करूंगा. विचार आया. दुर्भाग्य से परिवार में के
बड़े भाई केदारनाथ जी की मृत्यु हो. बहरहाल
अपने अग्रज की सीधी-
साधी-ईमानदार पूरी
जिंदगी को समर्पित फोटो को भारत की स्वतंत्रता दिवस के सप्ताहांत प्रस्तुत कर रहा
हूं. जो यह दर्शाती
है कि शहडोल के गांधीचौक में,
वहां पर दो फ्लेक्सी 15 अगस्त को शहडोल जिले के नेतृत्व का दावा करने वाले लोग, स्वतंत्रतादिवस को लगाएं.
नाम
नहीं लूंगा किसी का, एक
फोटो में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरागांधी के चर्चित आपातकालीन दौर में, जिसे नकली-स्वतंत्रता-दिवस का आंदोलन माना जा सकता है, 80 के दशक में जेल में जबरदस्ती बंद
कर दिए गए शहडोल के स्वर्गीय हो चुके नेताओं को समर्पित थी, तो दूसरी फोटो बदली-हुई-राजनीति की परिभाषा में जन्म लिए नेता थे,
जन्म-दिन की बधाई थी.,
दोनों ही स्थानीय लीडरशिप ने भारतीय स्वतंत्रता
संग्राम जो कि हजार साल की गुलामी के बाद अनगिनत शहीदों के बलिदान से जन्मा था, को समर्पित....ना कोई फ्लेक्सी स्वतंत्रता-दिवस के लिए समर्पित थी और ना ही उन
शहीदों के लिए
. यही है 21वीं सदी में वैचारिक-गुलामी की राजनीति का वातावरण.
मुझे
लगा यही विश्व-छायांकन-दिवस का वास्तविक छायाचित्र.
बहरहाल
यह वैचारिक गुलामी हम सबके लिए,
स्वतंत्रता नहीं;
दिवालियापन की उद्घोषणा भी है.
हर हाथ में फोटो खींचने के लिए अगर मोबाइल है, तो कृपया साल भर फोटो खींचिए. कुछ देश के लिए.., कुछ नगर के लिए...., कुछ अपने लिए... और कुछ विश्व के लिए, और जब 19 अगस्त को “विश्व-छायांकन-दिवस” आवे, उसे जरूर आपस में शेयर करें. आपकी सर्वोच्च सोच को हम सब समझ सके. शायद छायांकन से ही हम परिभाषित हो सके.
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