आदिवासी विशेष क्षेत्र शहडोल तब अनुसूचित नहीं हुआ था, पांचवी अनुसूची में शहडोल में त्रिस्तरीयपंचायती राज व्यवस्था का सपना साकार करने के लिए 2000 के दशक में शहडोल जिला पंचायत का जब गठन हुआ कमलाप्रसाद सिंह पहले जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे।
उनके कार्यकाल में अकेली महिला की बुलंद आवाज श्रीमती सुमन लता अग्रवाल की थी।
वे सहकारिता विभाग की अध्यक्ष भी थीं। उनमें ब्यूरोक्रेट्स से लड़ने का साहस था। जो अब विलुप्त सा हो गया है। सही बात को सही और गलत बात को गलत बोलने की ताकत हालांकि उनके पति इंजीनियर संतोष अग्रवाल की प्रेरणा से होता था। किंतु उनकी अपनी मृदुभाषिता और विनम्रता की विशेष शैली के कारण उस संघर्ष को बल मिल जाता था। पंचायती राज व्यवस्था में तब वह सफल पंचायती महिला नेता के रूप में निखर कर आई थी।
बाद में कांग्रेस पार्टी उच्चतम पद पर महिलाओं का नेतृत्व करती रहीं। महिला कांग्रेस का बड़ा चेहरा भी बन पाई । वर्तमान में महिलाओं में संघर्ष बढ़ाने की वे एक प्रेरणा इस आदिवासी अंचल में बनी। *विजयआश्रम" तब शहडोल जिला पंचायत (जिसमें शहडोल उमरिया और अनूपपुर जिले शामिल थे )का प्रवक्ता समाचार पत्र रहा। नजदीक से उनकी रिपोर्टिंग करने में अवसर मिलता रहा। महिला आरक्षण विधेयक तो आज भी अधूरा है किंतु तब ऐसी महिलाओं के नेतृत्व से लोकतांत्रिक संघर्ष को बढ़ावा मिलता रहा है। यह तब की बात है। जिला पंचायत से निकले नेताओं में जमीनी ताकत का एहसास श्रीमती सुमन लता अग्रवाल में हमेशा देखा गया। विजयआश्रम उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
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