मदर्स डे स्पेशल
यूं तो हर दिन माँ का होता है ,किन्तु आज जब हर किसी के व्हाट्सअप स्टेटस, और फेसबुक स्टोरी में माँ की प्रतिमा है ।
तो हमे लगा कि अपने पाठको को कुछ चुनी हुई पंक्तिया जो
मुन्नवर राणा द्वारा रचित पंक्तियां जो आपकी आंखों को नम कर देंगी :
1.
दावर-ए-हश्र तुझे मेरी इबादत की कसम
ये मेरा नाम-ए-आमाल इज़ाफी होगा
नेकियां गिनने की नौबत ही नहीं आएगी
मैंने जो मां पर लिक्खा है, वही काफी होगा
मैंने जो मां पर लिक्खा है, वही काफी होगा
2
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
3
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
4
मुसीबत के दिनों में हमेशा साथ रहती है
पयम्बर क्या परेशानी में उम्मत छोड़ सकता है
पयम्बर क्या परेशानी में उम्मत छोड़ सकता है
5
जब तक रहा हूँ धूप में चादर बना रहा
मैं अपनी माँ का आखिरी ज़ेवर बना रहा
मैं अपनी माँ का आखिरी ज़ेवर बना रहा
6
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
7
ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
8
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
9
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
10
हादसों की गर्द से ख़ुद को बचाने के लिए
माँ ! हम अपने साथ बस तेरी दुआ ले जायेंगे
माँ ! हम अपने साथ बस तेरी दुआ ले जायेंगे
11
ख़ुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे
माँ तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे
माँ तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे
12
जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई
देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई
देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई
13
यहीं रहूँगा कहीं उम्र भर न जाउँगा
ज़मीन माँ है इसे छोड़ कर न जाऊँगा
ज़मीन माँ है इसे छोड़ कर न जाऊँगा
14
अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कु्छ भी नहीं होगा
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
15
कुछ नहीं होगा तो आँचल में छुपा लेगी मुझे
माँ कभी सर पे खुली छत नहीं रहने देगी
माँ कभी सर पे खुली छत नहीं रहने देगी
16
दुआएँ माँ की पहुँचाने को मीलों मील जाती हैं
कि जब परदेस जाने के लिए बेटा निकलता है
कि जब परदेस जाने के लिए बेटा निकलता है
17
दिया है माँ ने मुझे दूध भी वज़ू करके
महाज़े-जंग से मैं लौट कर न जाऊँगा
महाज़े-जंग से मैं लौट कर न जाऊँगा
18
बहन का प्यार माँ की ममता दो चीखती आँखें
यही तोहफ़े थे वो जिनको मैं अक्सर याद करता था
यही तोहफ़े थे वो जिनको मैं अक्सर याद करता था
19
बरबाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
माँ सबसे कह रही है कि बेटा मज़े में है
माँ सबसे कह रही है कि बेटा मज़े में है
20
खाने की चीज़ें माँ ने जो भेजी हैं गाँव से
बासी भी हो गई हैं तो लज़्ज़त वही रही
बासी भी हो गई हैं तो लज़्ज़त वही रही
21
मुक़द्दस मुस्कुराहट माँ के होंठों पर लरज़ती है
किसी बच्चे का जब पहला सिपारा ख़त्म होता है
किसी बच्चे का जब पहला सिपारा ख़त्म होता है
22
मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दीं
सिर्फ़ इक काग़ज़ पे लिक्खा लफ़्ज़—ए—माँ रहने दिया
सिर्फ़ इक काग़ज़ पे लिक्खा लफ़्ज़—ए—माँ रहने दिया
23
माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती
24
मुझे कढ़े हुए तकिये की क्या ज़रूरत है
किसी का हाथ अभी मेरे सर के नीचे है
किसी का हाथ अभी मेरे सर के नीचे है
25
बुज़ुर्गों का मेरे दिल से अभी तक डर नहीं जाता
कि जब तक जागती रहती है माँ मैं घर नहीं जाता
कि जब तक जागती रहती है माँ मैं घर नहीं जाता
26
मेरे चेहरे पे ममता की फ़रावानी चमकती है
मैं बूढ़ा हो रहा हूँ फिर भी पेशानी चमकती है
मैं बूढ़ा हो रहा हूँ फिर भी पेशानी चमकती है
27
आँखों से माँगने लगे पानी वज़ू का हम
काग़ज़ पे जब भी देख लिया माँ लिखा हुआ
काग़ज़ पे जब भी देख लिया माँ लिखा हुआ
28
ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है
मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है
29
चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
30
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
मां दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है
मां दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है
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